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राजनीति

Rajasthan New CM : थोड़ी देर में विधायक दल की बैठक ,राजस्थान को मिलेगा नया CM


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नई दिल्लीः राजस्‍थान के नए मुख्‍यमंत्री के नाम का ऐलान होने में कुछ देर बाकी है. राज्‍य का मुख्‍यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर अलग अलग नामों की चर्चा चल रही हैं और कयास लगाए जा रहे हैं. इसी बीच सुनील बंसल का नाम भी चर्चा में है. बंसल बीजेपी के सह संगठन महामंत्री है. वह राजस्थान से हैं. हालांकि बंसल अभी तक जयपुर नहीं पहुंचे हैं.

बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताए बिना ही चुनाव लड़ा

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताए बिना ही चुनाव लड़ा था. चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद से ही बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार छिड़ गई थी. बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर कई दावेदार हैं. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि बीजेपी ने इसबार कई सांसदों को भी विधानसभा का चुनाव लड़वाया है. हालांकि बीजेपी को मुख्य चुनौती पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की ओर से मिल रही है. उन्होंने चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात भी की है और उनके घर पर भी विधायकों का आना-जाना लगातार लगा हुआ है.

आज सीएम के नाम का होगा ऐलान

राजस्थान में मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर से 9 दिन के लंबे इंतजार के बाद सस्पेंस खत्म हो जाएगा. आज सीएम के नाम का ऐलान हो जाएगा. राजधानी जयपुर में विधायक दल की बैठक होने वाली है. बैठक में शामिल होने के लिए सभी विधायक जयपुर पहुंच गए हैं. तीनों पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तांवड़े भी बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं. इधर होटल ललित में वसुंधरा राजे ने पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह से मुलाकात की. जयपुर में होटल ललित में पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह से वसुंधरा राजे ने मुलाकात की . बताया जा रहा है कि ये मुलाकात करीब 8-10 मिनट की थी. हालांकि, मुलाकात में क्या बात हुई इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. बताया जा रहा है कि 4.30 बजे राज्यपाल से मिलने का समय लिया गया है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान के ऑब्जर्वर राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडेय से फोन पर बात कर हालात का जायजा लिया. इसके बाद जे पी नड्डा ने तीनों पर्यवेक्षकों से कहा कि आप लोग विधायकों से बात करके ही नाम का ऐलान करें.

सीएम रेस में सुनील बंसल का नाम!

कभी यूपी बीजेपी के ‘चाणक्‍य’ कहे जाने वाले सुनील बंसल (Sunil Bansal) को लेकर राजस्थान के सियासी गलियारे में चर्चा का बाजार गर्म है। कहा जा रहा कि वो सूबे की एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री मार सकते हैं। वैसे भी राजस्थान की सियासत में सुनील बंसल की चर्चा करीब 6 महीने से लगातार हो रही है। उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की भी सुगबुगाहट थी। हालांकि, अब उन्हें सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है। ऐसा होने की एक खास वजह है उनका राजस्थान कनेक्शन।बंसल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे. 1989 में छात्र चुनाव में बंसल राजस्थान विश्वविद्यालय के महासचिव चुने गए. भाजपा में शामिल होने से पहले वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं. वहां से, वह विभिन्न पदों पर रहते हुए एबीवीपी के राष्ट्रीय संयुक्त संगठन सचिव के पद तक पहुंचे. वह भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में सबसे आगे रहे हैं और 2010 से 2014 तक यूथ अगेंस्ट करप्शन (YAC) के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई है.

राजस्थान के रहने वाले हैं

सुनील बंसल, राजस्थान के ही रहने वाले हैं। उनका जन्म 20 सितंबर 1969 में हुआ। वो स्टूडेंट लाइफ से ही राजनीति में बेहद एक्टिव रहे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से उनका संबंध रहा। 1989 में वो राजस्थान यूनिवर्सिटी के महासचिव चुने गए थे। बाद में उनका झुकाव आरएसएस की ओर हो गया। 1990 में आरएसएस प्रचारक बने। इसके बाद उन्होंने बीजेपी में आने का फैसला लिया।उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, भारतीय शैक्षिक प्रणाली, प्रणालीगत सुधार आदि पर किताबें और लेख लिखे हैं. .उन्हें अमित शाह का करीबी सहयोगी माना जाता है. बंसल को 2014 के भारतीय आम चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश का सह-प्रभारी नियुक्त किया गया था.सुनील बंसल ने 2017 में यूपी चुनाव और 2019 में यूपी आम चुनाव में भाजपा की जीत के लिए प्रमुख योजनाकारों में से एक के रूप में काम किया.

यूपी में चुनावी जीत के रणनीतिकार

सुनील बंसल, बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। साथ ही उन्हें पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना का प्रभारी भी बनाया गया है। सुनील बंसल को कुशल रणनीतिकार माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें यूपी का को-इंचार्ज बनाया गया था। इस चुनाव में उन्होंने अमित शाह के साथ मिलकर ऐसी रणनीति तैयार की कि बीजेपी गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 सीटें अपने नाम कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। बस इसी के बाद से सुनील बंसल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कैलाश चौधरी की सुरक्षा बढ़ाई गई

उधर, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को जयपुर बुलाया गया है. अचानक से कैलाश चौधरी की सुरक्षा बढ़ाई गई है. वहीं सतीश पूनिया को भी बीजेपी ऑफिस आने के लिए कहा गया है. विधायक दल की बैठक से पहले आज सुबह वसुंधरा राजे के आवास पर भी हलचल थी. 4 विधायक वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचे थे. कालीचरण सराफ, बाबू सिंह राठौड़, प्रताप सिंह सिंघवी और गोपाल शर्मा पूर्व सीएम के आवास पर पहुंचे. बता दें कि दो बार की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे के तेवर से बीजेपी आलाकमान के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. माना जा रहा है कि पिछले दिनों बीजेपी के करीब 60 विधायक वसुंधरा राजे से मुलाकात कर चुके हैं. ज्यादातर विधायक यही कह रहे हैं कि सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात थी. कुछ विधायक ये भी कहते हुए नजर आए कि वो वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह पर कुछ विधायकों की कथित बाड़ेबंदी के भी आरोप लगे थे.

राजे समर्थकों ने मैडम को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की

इधर राज्य में सीएम पद को लेकर तनातनी का माहौल है. वसुंधरा राजे के समर्थक बीजेपी दफ्तर के बाहर नारेबाजी कर रहे हैं. राजे समर्थकों का की मांग है कि वसुंधरा राजे को सीएम बनाया जाए. समर्थक विधायक कालूराम मेघवाल ने दावा किया है. विधायक मेघवाल ने कहा कि वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री बनेंगी. पूरा राजस्थान वसुंधरा राजे के साथ है. उन्होंने पार्टी के लिए बहुत काम किया है. राजस्थान की जनता ने वसुंधरा राजे के नाम पर बीजेपी को वोट किया है. दूसरे समर्थक शंकर सिंह ने भी राजे को मुख्यमंत्री बनाने का दांवा किया है. वहीं, विधायक दल की बैठक से पहले बीजेपी विधायक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि 115 विधायकों में से कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है.वहीं, भाजपा नेता किरोड़ीलाल मीणा से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सरप्राइज के लिए तैयार रहिए. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आपका आंकलन गलत निकला. सरप्राइज के लिए तैयार रहिए, राजस्थान में भी चौंकाने वाला नाम होगा.

वसुंधरा राजे ने सीएम बनने की इच्छा जताई

विधायक दल की बैठक से पहले वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रही हैं. दो बार सीएम रहीं वसुंधरा राजे ने इस बार भी सीएम बनने की इच्छा जताई है. इसको लेकर वे जयपुर से लेकर दिल्ली तक का दौरा कर चुकी हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद वो जयपुर में बीजेपी के 60 से ज्यादा नए विधायकों से मुलाकात भी कर चुकी हैं. और इशारों इशारों में संकेत दे चुकी हैं कि उनके पास 60 से अधिक विधायकों का समर्थन है.

मोदी-शाह की कर चुकी हैं तारीफ

वसुंधरा राजे लगातार आलाकमान को खुश करने में लगी हुई हैं. लगातार पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ भी कर रही हैं. पहले चुनाव में जीत का श्रेय देने की बात हो या धारा 370 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं.अब देखना होगा कि आलाकमान एक बार फिर वसुंधरा राजे के नाम पर मुहर लगाता है या कोई और सीएम का चेहरा होगा.

नए चेहरे पर दांव

लेकिन नए भारत की नई बीजेपी किसी प्रेशर में काम नहीं करती है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने तो ये साबित कर दिया है. बड़े-बड़े दिग्गजों को दरकिनार कर पार्टी आलाकमान ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है तो छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव के हाथों में बागडोर सौंपी है. ऐसे में वसुंधरा राजे के लिए राह आसान नहीं दिख रहा. हो सकता है कि राजस्थान में भी अप्रत्याशित फैसले आ जाए. पार्टी नए चेहरे को सामने ला दे जिसका अंदाजा किसी को ना हो.

क्या फिर चौंकाएगी बीजेपी?

इसी बीच सूत्रों से जानकारी मिली की उनकी फोन पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी बातचीत हुई है. इस बातचीत के दौरान वसुंधरा ने एक साल तक उन्हें ही राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी. वहीं नड्डा ने उन्हें राजस्थान विधानसभा का स्पीकर बनने की सलाह दी तो वसुंधरा ने इससे इनकार कर दिया. अब देखना ये होगा कि क्या बीजेपी राजस्थान में वसुंधरा की इस आर्म ट्विस्टिंग के आगे कमजोर पड़ती है या मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसा ही कोई फैसला लेकर सबको चौंका देती है. इसका फैसला शाम चार बजे से होने वाली विधायक दल की बैठक में हो जाएगा.

शाम 4 बजे होगी बैठक

बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक शाम चार बजे होगी. बैठक में पार्टी पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह भी भाग लेंगे. सभी नव-निर्वाचित विधायकों को अनिवार्य रूप से विधायक दल की बैठक में उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं. बैठक में राजनाथ सिंह, सह-पर्यवेक्षक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पाण्डेय और राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े भी मौजूद रहेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत और अश्विनी वैष्णव राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं.

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