MP New CM: MP के नए सीएम बने उज्जैन के मोहन यादव ,UP में लोकसभा चुनाव में होगा सियासी असर
नई दिल्लीः उज्जैन के रहने वाले मोहन यादव को मध्यप्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. ऐसे में उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. हालांकि वह अभी भोपाल स्थित प्रदेश कार्यालय में है. इससे पहले वाल शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे. इनकी गिनती भारतीय जनता पार्टी केदिग्गज नेता में होती है. 1965 को उज्जैन में जन्में मोहन यादव ने पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में कदम रख लिए थे.
यूपी की राजनीति में यादव बेल्ट पर लोकसभा चुनाव में असर साफ दिखाई देगा
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए उज्जैन से विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है. एमपी में पिछड़ा वर्ग के यादव को सीएम बनाने से यूपी की राजनीति में भी यादव बेल्ट पर लोकसभा चुनाव में असर साफ दिखाई देगा. यूपी में ऐसी आठ लोकसभा सीटें और 35 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें यादव मतदाता निर्णायक साबित होते हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में भी यादव वोटर हैं.
पहली बार 1982 में छात्र संघ के बने सचिव
2021 में मोहन उस समय विवाद का हिस्सा रहे, जब उन्होने उच्च शिक्षा विभाग के एक कानून को लेकर बयान दिया था. कानून में कहा गया था कि जिस छात्र के नाम आपराधिक रिकॉर्ड है, उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. हालांकि बाद में यह कानून का वापस ले लिया. इस कानून को लेकर मोहन ने कहा था कि अगर कोई नेता लोकसभा और विधानसभा में चुनाव लड़ सकता है तो एक छात्र को कॉलेज में प्रवेश क्यों नहीं दिया जा सकता है.
ऐसे की राजनीति की शुरुआत
कैबिनेट मंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने माधव विज्ञान महाविद्यालय से पढ़ाई की है. साथ ही यही वो समय था जब वह राजनीति के गुण सीख रहे थे और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे. जिसके बाद मोहन को पहली बार 1982 में छात्र संघ का सह सचिव चुना गया.
मोदी के मन में क्यों बस गए उज्जैन के मोहन यादव
बीजेपी ने 9 दिनों तक मंथन के बाद आज सीएम पद का ऐलान कर दिया है। जिसमें उज्जैन के मोहन यादव को सीएम बनाया गया है। आखिर तमाम दिग्गजों को दरकिनार कर मोदी के मन में क्यों बस गए उज्जैन के मोहन यादव। आइए जानते हैं वो पांच वजह।
एमपी के नेतृत्व में पीढ़ी का बदलाव
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश में नई पीढ़ी की राजनीति की शुरुआत करने की कोशिश की है। मोहन यादव महज 58 साल के हैं। इससे बीजेपी ने मैसेज देने की कोशिश की है कि वह राज्य में सेकेंड लाइन नेतृत्व तैयार करने को लेकर तैयारी में है।
एमपी के नेतृत्व में पीढ़ी का बदलाव
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्य प्रदेश में नई पीढ़ी की राजनीति की शुरुआत करने की कोशिश की है। मोहन यादव महज 58 साल के हैं। इससे बीजेपी ने मैसेज देने की कोशिश की है कि वह राज्य में सेकेंड लाइन नेतृत्व तैयार करने को लेकर तैयारी में है।
युवा जोश और अनुभव का कॉम्बो
मोहन यादव तीन बार के विधायक हैं। वह उच्च शिक्षा मंत्री के तौर पर शिवराज कैबिनेट में काम कर चुके हैं। उन्हें सरकार में रहने और उसे चलाने का अच्छा खासा अनुभव रहा है। राजनीति में ऐसा माना जाता है कि सीएम, पीएम जैसे पदों पर नये चेहरे को लाने पर उसकी स्वीकार्यता में दिक्कत होती है। लेकिन मोहन यादव के पास अच्छा खासा अनुभव है, जिससे उन्हें सरकार चलाने में शायद ही कोई दिक्कत हो।
एबीवीपी और आरएसएस की पृष्ठभूमि
मोहन यादव ने 1982 में माधव विज्ञान कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही एबीवीपी के सदस्य बन गए थे। उसके बाद से वह लगातार एबीवीपी में अलग-अलग पदों पर बने रहे। इस लिहाज से देखें तो मोहन यादव में खांटी भाजपाई नजर आते हैं।
यूपी-बिहार को संदेश, 2024 पर नजर
मोहन यादव ओबीसी समाज से हैं। खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव की राजनीति का खासा असर है। इसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी आलाकमान ने मोहन यादव को सीएम बनाकर लंबी राजनीतिक लकीर खींचने की कोशिश है। बीजेपी को उम्मीद है कि मोहन यादव का चेहरा 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार में खासा असर डाल सकता है।
ओबीसी से ओबीसी को रिप्लेस किया
मोहन यादव को सीएम बनाकर 2024 के लिए उत्तर के दो बड़े राज्यों को संदेश दिया है, जहां लोकसभा की 120 सीटें हैं और यादव ओबीसी में यादव वोटर्स एक निर्णायक वोट बैंक है।
विवादित बयानों से काफी चर्चा में रहते हैं
बता दें कि डॉक्टर मोहन यादव अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. उनका विवादित बयानों से भी लंबा नाता रहा है. चुनाव आयोग ने उपचुनाव 2020 में असंयमित भाषा का उपयोग करने पर एक दिन के लिए प्रचार करने से प्रतिबंधित लगा दिया था.
भाजपा ने राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखी
मालूम हो कि उज्जैन दक्षिण से बीजेपी विधायक मोहन यादव मध्यप्रदेश के नये मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया है। ओबीसी नेता यादव (58) को शाम को भोपाल में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में हुई बैठक में मध्य प्रदेश में भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। वह निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में कार्यरत थे। मप्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के बूते भाजपा ने राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखी है।