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Aditya-L1 Mission : ISRO के मिशन ने कैप्चर की सूरज की फुल डिस्क इमेज,अलग-अलग रंगों में दिखा सूरज


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नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पर लगे सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) ने पराबैंगनी तरंग दैर्ध्य के निकट सूर्य की पहली पूर्ण-डिस्क तस्वीरों को कैप्चर किया है. शुक्रवार को घोषित यह उल्लेखनीय उपलब्धि सौर अवलोकन और अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

ISRO के मिशन ने कैप्चर की सूरज की फुल डिस्क इमेज

ये तस्वीरें, जो 200 से 400 नैनोमीटर तक की तरंग दैर्ध्य रेंज को कवर करती हैं, सूर्य के फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल) और क्रोमोस्फेयर के बारे में अभूतपूर्व जानकारी प्रदान करती हैं. सूर्य की दृश्यमान ‘सतह’ फोटोस्फेयर कहलाती है, जबकि और इसके ठीक ऊपर की पारदर्शी परत को क्रोमोस्फेयर कहा जाता है.सूरज की ये परतें विभिन्न सौर घटनाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें सनस्पॉट और फ्लेयर्स शामिल हैं, जो अंतरिक्ष के मौसम और पृथ्वी की जलवायु पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं. आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) के जरिए निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) में स्थापित किया गया था.

SUIT पेलोड को 20 नवंबर 2023 किया गया था लॉन्च

ISRO ने बताया कि Aditya-L1 के SUIT पेलोड को 20 नवंबर 2023 को ऑन किया गया था. इस टेलिस्कोप ने सूरज के फोटोस्फेयर (Photosphere) और क्रोमोस्फेयर (Chromosphere) की तस्वीरे क्लिक की हैं. फोटोस्फेयर से मतलब सूरज की सतह है. जबकि क्रोमोस्फेयर से मतलब सूरज की सतह और इसके बाहरी वायुमंडल कोरोना के बीच मौजूद पतली परत से है.

11 फिल्टरों का किया गया इस्तेमाल

इसरो ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में बताया कि SUIT विभिन्न वैज्ञानिक फिल्टरों का उपयोग करके इस वेवलेंथ रेंज में सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरों को कैद करता है. बयान में कहा गया कि 20 नवंबर, 2023 को सूट पेलोड चालू किया गया था. एक सफल प्री-कमीशनिंग चरण के बाद, टेलीस्कोप ने 6 दिसंबर, 2023 को अपनी पहली लाइट साइंस इमेज लीं. इन तस्वीरों को 11 अलग-अलग फिल्टर का उपयोग करके लिया गया है.

आदित्य-एल1 को कुल यात्रा में लगभग चार महीने लगेंगे

लॉन्च से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे और पृथ्वी से दूरी लगभग 1.5 मिलियन किमी होगी. इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है. यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल से सूर्य का अध्ययन कर रही है.

सोलर पेलोड के ऑब्जर्वेशन से क्या होगा?

पेलोड सूट से किए जा रहे ऑब्जर्वेशन से वैज्ञानिकों को चुंबकीय सौर वातावरण के गतिशील युग्मन (संयोजन) का अध्ययन करने और पृथ्वी की जलवायु पर सौर विकिरण (सोलर रेडिएशन) के प्रभाव पर सख्त बाधा लगाने में मदद मिलेगी.

2 सितंबर को हुई थी Aditya-L1 की लॉन्चिंग

ISRO ने सौर वायुमंडल की स्टडी के लिए 2 सितंबर को देश के पहले सोलर मिशन Aditya-L1 को लॉन्च किया था. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पोलर सैटेलाइट व्हीकल (PSLV-C57) के जरिए इसे लॉन्च किया गया.

क्या है मिशन का मकसद

इस सोलर मिशन का उद्देश्य पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लांग्रेज पॉइंट 1 (L1) की प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होना है. लांग्रेज पॉइंट अंतरिक्ष में ऐसे स्थान होते हैं, जहां किसी चीज को रखने पर उन्हें वहां लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है.वैज्ञानिक जोसेफ लुई लाग्रेंज के नाम पर इस पॉइंट का नाम रखा गया है. सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के सिस्टम में ऐसे पांच पॉइंट हैं. L1 ऐसा पॉइंट है, जहां 24 घंटे सूरज पर नजर बनाए रखी जा सकती है.

क्या है इसरो का आदित्य एल1 मिशन?

इसरो ने सौर वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पोलर सैटेलाइट व्हीकल (PSLV-C57) के जरिए आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च किया था.मिशन का उद्देश्य पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लांग्रेज बिंदु 1 (L1) की प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होना है. लांग्रेज बिंदु अंतरिक्ष में ऐसे स्थान होते हैं जहां किसी चीज को रखने पर उन्हें वहां लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है. वैज्ञानिक जोसेफ लुई लाग्रेंज के नाम पर इन प्वाइंट्स का नाम रखा गया है. सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के सिस्टम में ऐसे पांच बिंदु हैं. L1 ऐसा बिंदु है जहां से चौबीस घंटे सूर्य पर बेरोकटोक नजर बनाए रखी जा सकती है.

आदित्य-एल1 मिशन में लगे हैं 7 पेलोड

आदित्य-एल1 मिशन में SUIT समेत 7 पेलोड का इस्तेमाल किया गया है. चार पेलोड सीधे सूर्य पर नजर बनाए रखने के लिए हैं और बाकी तीन लाग्रेंज प्वाइंट 1 पर पार्टिकल्स और फील्ड्स का इन-सीटू (यथास्थान) अध्ययन करने के लिए हैं.इन 7 पेलोड में सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT), विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC), हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्पेरिमेंट (ASPEX) और एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रिजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर शामिल हैं.SUIT, SoLEXS और HEL1OS पेलोड सूर्य पर नजर रखकर अध्ययन करने के लिए हैं.इसरो ने एक बयान में कहा है कि आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) में दो अत्याधुनिक उपकरण सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (एसडब्ल्यूआईएस) और सुप्राथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (एसटीईपीएस) शामिल हैं. एसटीईपीएस उपकरण 10 सितंबर, 2023 को शुरू किया गया.एसडब्ल्यूआईएस उपकरण दो नवंबर, 2023 को सक्रिय हुआ था और इसने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. इसरो के अनुसार उपकरण ने सौर पवन आयन, मुख्य रूप से प्रोटॉन और अल्फा कणों को सफलतापूर्वक मापा है.

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