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World Soil Day 2023: 5 दिसंबर को मनाया जाता है विश्व मिट्टी दिवस ,जानें इतिहास और महत्व


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नई दिल्लीः विश्व मृदा दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य मिट्टी के महत्व को उजागर करना है। मिट्टी की खराब स्थिति के कारण मिट्टी का तेजी से कटाव हो रहा, जो दुनिया भर में एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा बनता जा रहा। लगभग 45 साल पहले भारत में ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य लोगों का ध्यान मृदा संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन की ओर लाना है। मिट्टी के क्षरण के बारे में जागरूक करना है, जोकि एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जिसे मिट्टी की स्थिति में गिरावट के रूप में जाना जाता है।

विश्व मृदा दिवस हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है

मिट्टी यानी मृदा हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है. मिट्टी के महत्व के बारे में लोगों को बताने और मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए हर साल 5 दिसंबर को वर्ल्ड सॉइल डे मनाया जाता है. अब सवाल यह है कि मिट्टी को बचाना क्यों जरूरी है? दरअसल प्रदूषण और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की क्वालिटी हर साल कम होती जा रही है. यह एक गंभीर समस्या है.

जानिए क्या है इस दिन का इतिहास?

2002 में, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉइल साइंस (IUSS) ने यह प्रस्ताव दिया था कि 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाया जाए. ताकि मिट्टी की खराब होती कंडिशन के बारे में लोगों को अवेयर किया जाए. इसके बाद जून 2013 में फूड और एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (FAO) कॉन्फ्रेंस ने 68वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व मृदा दिवस को मनाने का आग्रह किया. असेंबली ने आखिरकार 5 दिसंबर 2014 को पहले ऑफिशियल विश्व मृदा दिवस के रूप में अनाउंस किया था. तब से हर साल इस दिन को मनाया जाता है.

यह वार्षिक कार्यक्रम मिट्टी, पौधों, जानवरों और मनुष्यों के बीच जटिल संबंधों की याद दिलाता है। इस अमूल्य संसाधन को संरक्षित और संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देता है। हर साल विश्व मृदा दिवस पर एक थीम पेश की जाती है और इस थीम के आधार पर ही इस दिन को मनाया जाता है।

मृदा दिवस का महत्व

विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य लोगों में मृदा संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। दरअसल, सभी स्थलीय जीवों के लिए मिट्टी का खास महत्व है। मिट्टी के क्षरण से कार्बनिक पदार्थों को नुकसान होता है। वहीं मिट्टी की उर्वरता में भी गिरावट आती है। इस साल के थीम के माध्यम से मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करके, मृदा लवणता से लड़ने, मृदा जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।…

विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य

सॉइल डिग्रडेशन हमारे एकोसिस्टम के लिए एक खतरा है और इसे ग्लोबल लेवल पर एक बड़ा खतरा माना जा रहा है. ऐसे में 5 दिसंबर को इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल लोगों को मिट्टी से संबंधित समस्याओं, इसमें आने वाली चुनौतियों आदि के बारे में जागरूक करना है.

विश्व मृदा दिवस का इतिहास

मिट्टी के लिए जश्न मनाने की विश्व स्तर पर शुरुआत दिसंबर 2013 से हुई। जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक के दौरान 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का फैसला लिया। इसके लिए एक संकल्प भी पारित किया गया। हालांकि इस दिन को मनाने की सिफारिश साल 2002 से ही शुरू हो गई थी। जब अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने पहली बार 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की। बाद में सर्वसम्मति से 2013 में इस दिन को आधिकारिक तौर पर मनाए जाने की घोषणा कर दी गई। एक साल बाद 5 दिसंबर 2014 को पहली बार पूरे विश्व में मृदा दिवस मनाया गया।

धरती की साइलेंट फाउंडेशन

हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है. यह एक ग्लोबल पहल है, जिसका उद्देश्य मिट्टी की सेहत और सस्टेनेबल सॉइल मैनेजमेंट के के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह दिन एक अनुस्मारक के रूप में काम करता है कि हमारे पैरों के नीचे की मिट्टी पृथ्वी पर जीवन का सपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मिट्टी को धरती की “साइलेंट फाउंडेशन” कहा जाता है.

ऐसे दें पुरानी मिट्टी को नया जीवन

यह सूक्ष्मजीवों, कीड़ों और पौधों की जड़ों के लिए कॉम्पलेक्स इकोसिस्टम देती है. यह पानी और पोषक तत्वों के स्टोरेज के रूप में काम करती है और कृषि और जैव विविधता के लिए जरूरी सपोर्ट सिस्टम देती है. लेकिन समय के साथ बहुत ज्यादा इस्तेमाल, अनुचित कृषि पद्धतियों और पर्यावरण के खराब स्तर के कारण मिट्टीख़राब हो सकती है और अपनी उर्वरता खो सकती है

पुरानी मिट्टी को कैसे करें रिवाइव

पुरानी मिट्टी को पुनर्जीवित करना न केवल इकोलॉजिकल जरूरत है बल्कि सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के लिए एक प्रैक्टिकल भी है. खराब होती मिट्टी में नई जान फूंकने के कुछ रचनात्मक और सुलभ तरीके यहां दिए गए हैं

खाद बनाना- मिट्टी को समृद्ध करने के लिए खाद बनाना एक सरल लेकिन पावरफुल तकनीक है. रसोई के स्क्रैप, यार्ड के कचरे और दूसरे ऑर्गनिक मैटेरियल्स को इकट्ठा करके, आप पोषक तत्वों से भरपूर खाद बना सकते हैं. पुरानी मिट्टी में खाद मिलाने से इसकी संरचना में सुधार होता है, वाटर रिटेंशन बढ़ता है और पौधों के विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं

कवर क्रॉपिंग- फलियां और तिपतिया घास जैसी कवर फसलें न केवल मिट्टी को कटाव से बचाती हैं बल्कि इसकी उर्वरता में भी योगदान देती हैं,इन पौधों में मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिर करने की क्षमता होती है. कवर फसलों को अपनी बागवानी या खेती के रूटीन में शामिल करना पुरानी मिट्टी को फिर से जीवंत करने

यह प्रक्रिया मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जोड़ती है, इसके टेक्चर को बढ़ाती है और माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ावा देती है. मिट्टी में सुधार के लिए हरी खाद किफायती और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है.

माइक्रोबियल मैजिक- माइकोरिज़ल कवक पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं, जिससे पोषक तत्व बढ़ते हैं. इन लाभकारी कवकों को मिट्टी में शामिल करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ सकती है और पौधों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है. माइकोरिज़ल इनोक्युलेंट कमर्शियल रूप से उपलब्ध हैं और पुरानी मिट्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्राकृतिक समाधान हैं.

विश्व मृदा दिवस पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाली मिट्टी की रक्षा और पोषण करने की हमारी ज़िम्मेदारी की याद दिलाता है. सस्टेनेवल सॉइल मैनेजमेंट को अपनाने से न केवल वर्तमान पीढ़ियों को लाभ होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संपन्न धरती भी सुनिश्चित होगी.

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