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सैम बहादुर रिव्यू : फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के किरदार में विक्की कौशल ने जीता सबका दिल


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मुंबई –सैम बहादुर पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक है जिन्होंने अपने कार्यकाल में चार युद्ध लड़े थे। मुख्य रूप से उन्हें 1971 के भारत-पाक युद्ध के लिए जाना जाता है जिससे बांगलादेश का जन्म हुआ था। फिल्म का निर्देशन मेघना गुलजार ने किया है। विक्की मानेकशॉ के किरदार में हैं। वहीं मोहम्मद जीशान अय्यूब पाकिस्तानी जनर याह्या खान की भूमिका में हैं।किसी को फील्ड मार्शल की उपाधि ऐसे ही नहीं मिल जाती. सेना की 19 उपाधियों में सबसे श्रेष्ठ. उसके अंदर कुछ तो कौशल रहे होंगे. जो उसे औरों से अलग बनाते हैं. एक फौजी का कर्तव्य है इस ओहदे की गरिमा को समझना और उसी धैर्य-निष्ठा के साथ उसका पालन करना. किसी भी मैके पर इसके साथ समझौता ना करना. इसी मिजाज के साथ फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ जिए और उन्हीं के मिजाज को ओढ़ इस फिल्म में विक्की कौशल ने उन्हें हूबहू पर्दे पर उतार दिया और एक महान सोल्जर को एक बेहतरीन ट्रिब्यूट दिया. मेघना गुलजार जरूर अपने क्रॉफ्ट से भटकती नजर आईं और फिल्म को कॉमर्शियल बनाने के चक्कर में इसके साथ पूरा जस्टिस नहीं कर पाईं.

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क्या है कहानी?

फील्ड मार्शल सैम होर्मसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ देश के सबसे बहादुर सोल्जर में से एक माने जाते हैं. वे देश के पहले फील्ड मार्शल थे. ये विदेश की उपाधि थी जिसकी शुरुआत उन्हें सम्मानित करने के साथ ही हुई. फिलहाल इस उपाधि को खत्म कर दिया गया है. सैम की बात करें तो पहले उन्होंने ब्रिटिश सेना के लिए सर्व किया और फिर आजादी के बाद वे भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बन गए. वे एक बहादुर सैनिक थे इसलिए उनका नाम सैम बहादुर पड़ा. उन्हीं के पूरे करियर, पॉलिटिकल अफेयर और पर्सनल लाइफ को शामिल करते हुए ये बायोपिक बनाई गई है.सैम बहादुर के नाम से लोकप्रिय मानेकशॉ का सैन्‍य करियर ब्रिटिश इंडियन आर्मी से शुरू हुआ था। करीब चार दशक के इस करियर में उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध, 1962 भारत-चीन युद्ध, 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। उनकी निडरता और बेबाकी की कायल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी थीं।

कैसा है डायरेक्शन?

फिल्म का डायरेक्शन मेघना गुलजार ने किया है. गुलजार पहले तलवार, राजी और छपाक जैसी फिल्में बना चुकी हैं. उनकी पहली पॉपुलर फिल्म तलवार को पसंद किया गया. इसके बाद आलिया भट्ट के साथ आई उनकी फिल्म राजी ने उनके करियर में निखार ला दी. फिल्म को फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. इसके बाद उनकी फिल्म छपाक भले ही अनफॉर्चुनेटली अजेंडे के लपेटे में आ गई लेकिन इसके बाद भी फिल्म की क्रिटिक्स ने तारीफ की. लेकिन इस फिल्म के साथ मेघना गुलजार पूरी तरह से इंसाफ नहीं कर पाई हैं.उनके पिता गुलजार साहेब ने अपने समय में आंधी फिल्म बनाई थी. उसे विवादित रूप से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन में बनी फिल्म माना जाता है. क्योंकि उसमें सुचित्रा सेन के किरदार में इंदिरा गांधी की सशक्त छवि नजर आती है. वो किसी रिफ्रेंस के तौर पर भी ली गई हो सकती है. लेकिन इस फिल्म में इंदिरा गांधी के रोल को ठीक तरह से प्ले नहीं किया गया है. ऐसा दिखाया गया है जैसे वे हर बात के लिए आसानी से राजी हो जाती थीं. लेकिन ऐसा नहीं था. वे एक स्ट्रॉन्ग नेता थीं और बहुत सोच समझ कर फैसला लेती थीं. इंदिरा गांधी संग मानेकशॉ के तनावपूर्ण रिश्तों को दिखाया गया है जो फिल्म में थोड़ी रोचकता पैदा जरूर करता है.

वर्ष 1971 में हुए युद्ध में उनके नेतृत्‍व में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्‍त दी थी। इस युद्ध के परिणामस्‍वरूप ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। उनकी जिंदगानी पर मेघना गुलजार ने फिल्‍म सैम बहादुर बनाई है। फिल्‍म में शीर्षक भूमिका में विक्‍की कौशल हैं। इरादों के पक्‍के सैम से जुड़े तमाम किस्‍से मशहूर हैं। हालांकि, यह फिल्‍म उस स्‍तर की नहीं बन पाई है, जिसके वह हकदार थे।

कैसा है सैम बहादुर स्क्रीनप्ले?

मेघना गुलजार, भवानी अय्यर और शांतनु श्रीवास्‍तव द्वारा लिखी गई पटकथा का आरंभ सैम के जन्‍म से होता है। फिर सीधे उनके फौज में भर्ती होने से लेकर उनकी सेवानिवृत्ति तक है। इसमें उनके जीवन से जुड़े सभी अहम पहलुओं को दर्शाया गया है। जब तक आप समझ पाएंगे, घटनाक्रम तेजी से आगे बढ़ जाएंगे।

अगर आपको सैम के बारे में जानकारी नहीं है तो फिल्‍म को समझने में दिक्‍कत पेश आना लाजमी है। हालांकि, फिल्‍म देखते हुए लगता है कि लेखकों ने मान लिया है कि दर्शक हर घटना को तीव्रता से समझ जाएंगे। साल 1942 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा के मोर्चे पर एक जापानी सैनिक ने अपनी मशीनगन की नौ गोलियां मानेकशा की आंतों, जिगर और गुर्दों में उतार दी थी।

कहां हो गई चूक?

लेकिन फिल्म सैम मानेकशॉ की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर थी. ना तो उनके बचपन को ठीक तरह से दिखाया गया, ना उनकी तरबियत को और ना तो उनकी जवानी के हसीन किस्से. एक सख्त सोल्जर के रोमांस को फिल्म में महज दो मिनट देना ये दर्शाता है कि फिल्म का स्क्रीनप्ले कितना कमजोर है. फिल्म में बार-बार ये कहा गया कि सैम मानेकशॉ का सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत शानदार था लेकिन ऐसे ज्यादा सीन्स देखने को मिले नहीं. हां उनके डायलॉग्स अच्छे लिखे गए थे.

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

कलाकारों की बात करें तो विक्‍की कौशल इससे पहले सरदार उधम फिल्‍म में उधम सिंह की भूमिका के लिए काफी सराहना बटोर चुके हैं। उन्‍होंने सैम के हावभाव, चाल-ढाल और वेशभूषा को समुचित तरीके से आत्‍मसात किया है। अपने अभिनय से उन्‍होंने सैम को जीने का भरपूर प्रयास किया है, लेकिन कमजोर स्‍क्रीनप्‍ले की वजह वह संभाल नहीं पाते हैं।कहीं-कहीं उनका उच्‍चारण भी एक समान नहीं रहता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को साहस-संघर्ष का प्रतीक और करिश्माई व्यक्तित्व का धनी माना जाता है। अफसोस उनके किरदार में यह सब नजर ही नहीं आता है। उनकी भूमिका में फातिमा सना शेख बेहद कमजोर लगी हैं।वह इंदिरा के करिश्‍माई व्‍यक्तित्‍व को दर्शाने में विफल साबित हुई हैं। इंदिरा और मानेकशा के बीच आपसी तालमेल काफी अच्‍छा था, पर स्‍क्रीन पर वह नदारद है। मानेकशा की पत्‍नी सिल्‍लू की भूमिका में सान्‍या मल्‍होत्रा के हिस्‍से में कुछ खास नहीं हैं। जिन दृश्‍यों में वह नजर आई हैं, उनमें बेहद थकी हुई लगी हैं। प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले किरदार में वह तनिक भी असर नहीं छोड़तीं।

कैसी है कास्टिंग और एक्टिंग?

फिल्म में विक्की कौशल, सान्या मल्होत्रा और फातिमा सना शेख लीड रोल में हैं. इसके अलावा कोई बहुत बड़ा या पॉपुलर चेहरा फिल्म में नहीं है. फिल्म में नेहरू, सरदार पटेल और जिन्ना जैसे किरदारों को दिखाया गया था. लेकिन कोई भी किरदार ठीक तरह से कैरेक्टर के औरे को मैच नहीं कर रहा था. इंदिरा गांधी के रोल में फातिमा सना शेख भी ठीक ही लगीं.

किरदार की आत्मा ओढ़ कर आए विक्की कौशल

विक्की कौशल आज इंडस्ट्री के उन एक्टर्स में से हैं जो किरदार के साथ पूरा जस्टिस करते हैं. इस फिल्म में उन्हें विक्की कौशल ना होकर सैम मानेकशॉ होना था. वे शुरू से ही सैम मानेकशॉ होकर आए थे. उन्हें इस किरदार के दौरान खुद से विक्की कौशल को पूरी तरह से अलग कर दिया था. वो किरदार में खो गए थे. वो किरदार के हो गए थे. वे एक्टिंग को इस अंदाज से करते हैं कि उसे अलग मुकाम मिल जाता है. सैम के रोल में विक्की परफेक्ट थे. उनके डायलॉग्स भी अच्छे थे और फिल्म की लेंथ की करीब 70 पर्सेंट स्पेस में तो वही थे. ऐसे में उन्होंने अपना काम बेखूबी किया. अगर ये वेब सीरीज होती तो निसंदेह ये सैम के दीवानों के लिए एक बड़ी ट्रीट होती.

देखें कि नहीं ?

वैसे तो एनिमल फिल्म के लिए पहले ही एक जमात तैयार है. लेकिन एनिमल बाप-बेटे के एक टॉक्सिक रिश्ते की कहानी है. एनिमल में भी फाइटिंग सीन्स है लेकिन शोबाजी वाले. सैम मानेकशॉ देश के नेशनल हीरो हैं. उनकी बायोपिक ना देख पाना देशवासियों का दुर्भाग्य होगा. फाइटिंग सीन इसमें भी है. लेकिन ये देश की आजादी के बाद सेना के गौरव और उस गौरव की गाथा लिखने वाले सबसे गौरवशाली जवान सैम मानेकशॉ की कहानी है. और यही बात इस फिल्म को सबसे स्पेशल बनाती है.

नेटिजंस की प्रतिक्रिया

‘सैम बहादुर’ देखने के बाद नेटिजंस की विक्की पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ याद आई. एक एक यूजर ने लिखा, ‘बहुत बढ़िया! विक्की कौशल… यह एक बड़ी ब्लॉकबस्टर होने वाली है, इस तरह से आप सेना के अधिकारियों को चित्रित करते हैं. वे शानदार होते हैं. आप इसे वैसे ही जीते हैं जैसे आपने ‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ में किया था. एक दूसरे ने लिखा, ‘विकी आप कितनी बार दिल जीतेंगे आपने ने सैम को जीवंत कर फिल जीत लिया. तीसरे यूजर ने लिखा, ‘मुझे कभी-कभी लगता है कि विक्की कौशल का चेहरा हर किरदार के हिसाब से बदलता रहता है. इस तरह वह उनमें गहराई से उतर जाता है. हमारी पीढ़ी के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक. #सैमबहादुर’.

भारत में 2,000 से अधिक स्क्रीन पर रिलीज हुई

पिंकविला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सैम बहादुर’ को भारत में 2,000 से अधिक स्क्रीन पर रिलीज हुई. फिल्म एडवांस बुकिंग के मामले में शानदार प्रदर्शन कर रही है. शाम गुरुवार तक फिल्म की करीब 57,888 टिकट बिक चुकी थी. वहीं इंडिया टूटे की रिपोर्ट की मानें तो, इस फिल्म को 75 करोड़ में बनाया गया है. फिल्म के लिए विक्की कौशल ने 10 करोड़ की फीस ली है.

सैम बहादुर स्टार कास्ट

नेटिज़न्स को विक्की की फिल्म बहुत पसंद आई. फिल्म देखने के बाद दर्शकों का कहना है कि ये एक ब्लॉकबस्टर फिल्म है. ‘सैम बहादुर’ देखने के बाद यूजर्स विक्की की एक्टिंग और उनके लुक को देख कर काफी इम्प्रेस हैं. बता दें कि सैम बहादुर का निर्देशन मेघना गुलज़ार ने किया है और यह फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित है. फिल्म में सान्या मल्होत्रा, फातिमा सना शेख, गोविंद नामदेव, मोहम्मद जीशान अय्यूब और नीरज काबी जैसे कलाकार शामिल हैं.

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