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दो दशक में Gold ने दिया सबसे ज़्यादा रिटर्न


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नई दिल्लीः आपने बड़े बुजुर्गों को यह कहते सुना होगा कि अगर घर में सोना रखा हो, तो आदमी चैन की नींद सो सकता है। मुश्किल वक्त में सोना (Gold) काफी काम आता है। यही कारण है पहले लोग सोना खरीदने पर बहुत जोर देते थे। सोना सिर्फ आर्थिक संकट में ही काम नहीं आता यह एक शानदार निवेश विकल्प भी है। इसने निवेशकों को शानदार रिटर्न्स (Returns from Gold) दिये हैं।शेयर बाजार हो या म्यूचुअल या फिर गोल्ड ही क्यों ना हो. लांग टर्म इंवेस्टमेंट में अच्छी कमाई का फंडा हर किसी पर लागू होता है. दिवाली का मौका है. धनतेरस का दिन आने वाला है. फिर क्यों ना गोल्ड पर ही बात कर ली जाए. अगर किसी निवेशक ने 30 साल पहले धनतेरस पर 20 ग्राम गोल्ड भी खरीदा होगा तो उसकी वैल्यू में 1200 फीसदी से ज्यादा इजाफा हो चुका है. इसका मतलब है कि उस गोल्ड से कई गुना का प्रॉफिट हो चुका होगा. वैसे भी धनतेरस के दिन गोल्ड में निवेश करना काफी शुभ माना जाता है. अगर बात बीते एक साल की करें तो धनतेरस के दिन खरीदे गए गोल्ड ने करीब 21 फीसदी का रिटर्न दे दिया है.

एक साल में 20% रिटर्न


पिछली दिवाली से लेकर अब तक सोने ने करीब 20 फीसदी का रिटर्न दिया है। यह बंपर रिटर्न है। अगले एक साल में भी सोने से शानदार रिटर्न की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले एक साल में सोना करीब 19 फीसदी का रिटर्न दे सकता है।

1 लाख के बना दिये 6.79 करोड़ रुपये

साल 1947 में 24 कैरेट सोने का भाव सिर्फ 88.62 रुपये प्रति 10 ग्राम था। इस तरह आजादी से अब तक सोने ने 67,953 फीसदी का बंपर रिटर्न दिया है। अगर आपने साल 1947 में 1 लाख रुपये का सोना खरीदा होता, तो इस सोने की कीमत आज 6.79 करोड़ रुपये होती।

गोल्ड वाले पोर्टफोलियों में लगाएं पैसा

स्मॉलकेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी विंडमिल कैपिटल द्वारा किए गए एक स्टडी में यह बात सामने आई। स्टडी में कहा गया है कि सोना एक ऐसा एसेट क्लास है, जो महंगाई के खिलाफ कुशल बचाव के रूप में कार्य करता है और सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए ऐसे पोर्टफोलियो में निवेश करना बेहतर है, जिसमें सोना शामिल हो।

दिवाली पर बढ़ेगी डिमांड

स्टडी से संकेत मिलता है कि त्योहारी सीजन, खासकर दिवाली के दौरान सोने की मांग मजबूत रहने की संभावना है। विंडमिल कैपिटल की हालिया स्टडी से पता चलता है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता के समय में सोने में तेजी की उम्मीद है। ऐतिहासिक रूप से, जब भी बाजार में उथल-पुथल होती है, निवेशकों की स्वाभाविक प्रवृत्ति सोने की ओर भागने की होती है। एसेट क्लास के रूप में सोना संकट के दौरान अच्छा प्रदर्शन करता है। उदाहरण के लिए, जहां कोविड संकट या रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान निफ्टी का रिटर्न कम रहा, वहीं सोने का रिटर्न पॉजिटिव रहा। इसलिए सोना इक्विटी के खिलाफ एक प्रभावी बचाव है।

स्ट्रांग रह सकती है ​गोल्ड डिमांड

भारत गोल्ड के सबसे बड़े कंज्यूमर्स में से एक रहा है और निकट भविष्य में स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है. कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह ने ईटी से बात करते हुए कहा कि कैलेंडर वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान भारत में सोने की खपत 10 फीसदी बढ़कर 210.2 मीट्रिक टन हो गई, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 191.7 मीट्रिक टन थी.

क्या हैं सोने के भाव

एमसीएक्स एक्सचेंज पर सोने की कीमतों (Gold Price Today) में बुधवार शाम मामूली गिरावट देखने को मिली। बुधवार शाम 5 दिसंबर 2023 की डिलीवरी वाली सोना 0.14 फीसदी या 83 रुपये की गिरावट के साथ 60,264 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड करता दिखाई दिया।

चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट

सोने से इतर चांदी के वायदा भाव (Silver Price Today) में बुधवार शाम बड़ी गिरावट देखने को मिली। 5 दिसंबर 2023 की डिलीवरी वाली चांदी बुधवार शाम 0.47 फीसदी या 330 रुपये की गिरावट के साथ 70,304 रुपये प्रति किलोग्राम पर ट्रेड करती दिखाई दी।

30 साल में कितना दिया रिटर्न

धनतेरस के आसपास खरीदे गए सोने का लाॅॅन्ग टर्म रिटर्न काफी हद तक डबल डिजिट में रहा है. आईबीजेए के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ईटी से बात करते हुए कहते हैं कि ऐतिहासिक रूप से, सोने ने हमेशा अच्छा रिटर्न दिया है और इसलिए यह दूसरे असेट क्लास के मुकाबले सबसे बेहतर है. बीते 5 साल की बात करें तो निवेशकों को करीब 13 फीसदी का रिटर्न मिला है. 2013 में किए गए निवेश पर रिटर्न घटकर 7.1 फीसदी रह गया है. 15, 20 और 25 सालों में निवेशकों को 11 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिला है.

हाल फिलहाल में कोई संभावना नहीं

अगर आप निवेश के लिए सोने की कीमतों में किसी बड़े सुधार का इंतजार कर रहे हैं तो संभव है कि शॉर्ट टर्म में आपको ऐसा मौका नहीं मिलेगा. शाह कहते हैं कि भारत, दुनिया में सोने की खपत करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश होने के नाते, आम तौर पर हर साल की पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में, अक्टूबर में दिवाली के साथ अधिक खपत होती है. त्योहारी खरीदारी पूरे जोरों पर चलने के साथ, घरेलू बाजार में गोल्ड की डिमांड अप्रभावित रहेगी और आगामी धनतेरस और शादी के सीजन के कारण मजबूत होती रहेगी

सोने पर भू-राजनीतिक प्रभाव

सोने की मांग हमेशा से रही है। पिछले साल यानी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भी इसके प्रति उत्साह देखा गया, जब अमेरिका ने रूस पर पाबंदी लगाने के लिए 300 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को जब्त कर लिया था।अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध भी लगाए। इस कार्रवाई ने कई देशों को, खासकर उभरती अर्थव्यवस्थाओं को भी अचंभित कर दिया था कि क्या अमेरिका रूस के विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रतिबंध लगा सकता है। साल 2022 में ही केंद्रीय बैंकों ने रिकॉर्ड 1,126 टन सोने की खरीद की, जिसकी कीमत करीब 70 अरब डॉलर थी।

सेंट्रल बैंकों की ओर से ज्यादा खरीदारी

दुनिया भर में सेंट्रल बैंक अधिक सोना खरीद रहे हैं, जिससे कीमतें बढ़ रही हैं. एमओएफएस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के प्रमुख सेंट्रल बैंक अपने सोने के भंडार में लगातार वृद्धि कर रहे हैं, जिससे सोने की कीमतों मूें इजाफा देखने को मिला. उन्होंने कहा कि हमने इस साल केवल दो महीने देखे हैं जब केंद्रीय बैंक शुद्ध सेलर थे. इस वर्ष अब तक खरीदारी की गति से पता चलता है कि केंद्रीय बैंकर एक और मजबूत वार्षिक वृद्धि की राह पर हैं. चीन, पोलैंड, तुर्की, कजाकिस्तान और कुछ अन्य देशों से मजबूत खरीदारी की वजह से इस साल कुल लगभग 800 ट्रिलियन का प्रोडक्शन हुआ है.

क्या यह सोने में निवेश का अच्छा समय है?

टीबीएनजी कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ तरुण बिरानी ईटी को बताते हैं कि अधिकांश निवेशक यह जानना चाहते हैं कि क्या यह निवेश करने का सही समय है वो भी तब जब कीमतें पहले से ही हाई पर हैं. इजराइल-फिलिस्तीन के अलावा रूस और यूक्रेन वॉर के साथ पूरी दुनिया ने गोल्ड में इजाफे को महसूस किया है. खाड़ी वॉर और उसके बाद 9:11 जैसी घटनाओं की वजह से गोल्ड की कीमत में इजाफा होता रहा है. अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करने का मन बना रहै हैं तो बाजार पर ध्यान ना दें.

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