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चंद्रयान-2 मिशन क्यों हुआ फेल?,इसरो चीफ के किताब ने मचाई सनसनी


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नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने खुलासा किया कि संगठन के पूर्व प्रमुख के. सिवन ने उन्हें अंतरिक्ष एजेंसी का अध्यक्ष बनने से रोकने की कोशिश की थी. यह आरोप उनकी आत्मकथा ‘निलावु कुदिचा सिम्हांगल’ (मोटे तौर पर ‘शेर दैट गज़ल्ड द मूनलाइट’ के रूप में अनुवादित) में उठाया गया है. उन्होंने किताब में यह भी कहा कि चंद्रयान 2 मिशन विफल रहा क्योंकि इसे आवश्यक परीक्षण किए बिना जल्दबाजी में लॉन्च किया गया था.मनोरमा मीडिया संस्थान ने किताब के हवाले से लिखा कि सोमनाथ का कहना है कि वह और सिवन, जो 60 वर्ष (सेवानिवृत्ति की आयु) के बाद विस्तार पर सेवा में बने रहे, को 2018 में ए एस किरण कुमार के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद इसरो के अध्यक्ष पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था. हालांकि, उन्हें इस पद को हासिल करने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

चंद्रयान-2 मिशन इस वजह से हुआ था फेल

अपने ऑटोबायोग्राफी में एस. सोमनाथ ने बताया कि किसी भी एक ऊंचे पद के लिए कई लोग लाइन में होते हैं। सब टैलेंटेड होते हैं। मैं किसी भी एक व्यक्ति पर निशाना नहीं साध रहा हूं। मुझे किसी से कोई दिक्कत नहीं है। चंद्रयान-2 कैसे फेल हुआ था इस बारे में बात करते हुए एस. सोमनाथ ने कहा कि जल्दबाजी के चक्कर में यह मिशन फेल हुआ था। क्योंकि मिशन से पहले जितने टेस्ट होने चाहिए थे, जितनी परिपक्वता बरती जानी चाहिए थी, वो नहीं किए गए थे।

हालांकि, इसरो के अध्यक्ष बनने के बाद भी, सिवन ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक के रूप में अपना पद नहीं छोड़ा. जब सोमनाथ ने सिवन से उस पद की मांग की, जो उचित रूप से उनका था, तो सिवन ने कोई जवाब दिए बिना टाल-मटोल किया. अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ बी एन सुरेश के हस्तक्षेप से छह महीने के बाद आखिरकार सोमनाथ को वीएसएससी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया.

सोमनाथ ने चंद्रयान-2 की विफलता का किया जिक्र

सोमनाथ ने चंद्रयान-2 की विफलता का जिक्र क्यों किया, इसका जवाब भी दिया। सोमनाथ ने कहा, वो यह मानते हैं कि जो जैसा हो रहा है, उसे उसी तरह से बताना चाहिए। लोगों को अंधेरे में नहीं रखना चाहिए। इससे संस्थान में पारदर्शिता आती है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने यह ऑटोबायोग्राफी लोगों को प्रेरित करने के लिए लिखी है। ताकि लोग अपनी चुनौतियों से घबराएं नहीं बल्कि हिम्मत दिखा कर लड़ते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा ले सकें। बता दें कि यह किताब जल्द ही मार्केट में उपलब्ध होगी।

सोमनाथ का यह भी आरोप है कि इसरो अध्यक्ष के रूप में तीन साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने के बजाय, सिवन ने अपना कार्यकाल बढ़वाने की कोशिश की. सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा में कहा, ”मुझे लगता है कि यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक को अंतरिक्ष आयोग में तब लिया गया था जब इसरो के नए अध्यक्ष का चयन करने का समय था, न कि मुझे अध्यक्ष बनाने के लिए.” हालांकि, उन्होंने इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया.

चंद्रयान-2 के फेल होने पर सही जानकारी नहीं दी गई थी


सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 के फेल होने की घोषणा के समय जो गलतियां हुई थीं, वे छिपाई गई थीं। लैंडिंग के समय कम्युनिकेशन सिस्टम फेल हो गया था, ऐसे में साफ था कि क्रैश लैंडिंग होगी। लेकिन पूर्व चीफ ने यह सच्चाई बताने के बजाय लैंडर के साथ संपर्क स्थापित नहीं किया जा सकता, इसकी घोषणा की थी।सोमनाथ ने आगे कहा कि मिशन के दौरान जो जैसा हो रहा है, उसे उसी तरह से बताना चाहिए था। सच लोगों के सामने आना चाहिए। इससे संस्थान में पारदर्शिता आती है। इसलिए किताब में चंद्रयान-2 की विफलता का जिक्र किया गया है।

इसरो चीफ सोमनाथ का कहना है कि जिस दिन चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने वाला था, उस दिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे तो, उन्हें उनके स्वागत के लिए आए लोगों के समूह से भी दूर रखा गया था. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि तत्कालीन चेयरमैन (के. सिवन) ने यह सच्चाई बताने के बजाय कि सॉफ्टवेयर में एक खामी थी, जिसके कारण चंद्रयान-2 की लैंडिंग कामयाब नहीं हुई, उन्होंने घोषणा की कि लैंडर के साथ संपर्क स्थापित नहीं किया जा सका.

मोदी के स्वागत दल से उनको दूर रखा गया


सोमनाथ ने अपनी किताब में यह भी दावा किया है कि जिस दिन चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने वाला था, उस दिन पीएम मोदी ISRO आए थे। मुझे उनके स्वागत दल के ग्रुप से भी दूर रखा गया था।वहीं, इस मामले पर सिवन ने कहा कि मैंने नहीं देखा कि ISRO चीफ सोमनाथ ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में मेरे बारे में क्या लिखा है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है।

किताब के मुताबिक, सिवन ने चंद्रयान-2 मिशन में कई बदलाव किए, जो तब शुरू हुआ जब किरण कुमार अध्यक्ष थे. अत्यधिक प्रचार-प्रसार ने भी चंद्रयान-2 मिशन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. हालांकि, इसरो चीफ सोमनाथ ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि उन्हें इस बात को लेकर सबसे बड़ी संतुष्टि थी कि जब वे चंद्रयान-3 मिशन में सफल हुए, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से उन्हें और टीम को बधाई देने पहुंचे थे. ‘निलावु कुदिचा सिम्हांगल’ को कोझिकोड के लिपि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है.

चंद्रयान-2 मिशन सॉफ्टवेयर में थी गड़बड़ी


चंद्रयान-2 एक भारतीय मिशन था। इसे 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को भेजना था। इस मिशन में ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था, लेकिन रोवर और लैंडर चंद्रमा पर सफल लैंडिंग नहीं कर पाए थे।ISRO के मुताबिक, एक सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण रोवर और लैंडर अपना रास्ता भटक गए थे और चांद की सतह पर जाकर टकरा गए थे।

सोमनाथ ने ISRO चीफ बनने तक की यात्रा बताई

हालांकि, शनिवार 4 नवंबर को सोमनाथ ने PTI से इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि किताब में मैंने अपनी ISRO चीफ बनने तक की यात्रा बताई है। हर इंसान को किसी संस्थान में सबसे ऊंचे पद पर जाने के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वैसी ही समस्याएं मेरे सामने भी आई थीं।उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में आई चुनौतियों के बारे में लिखा है। किसी के ऊपर निजी टिप्पणी नहीं की है। मैं किसी एक इंसान के खिलाफ नहीं हूं। बता दें कि एस सोमनाथ की अगुआई में ही चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया और यह पूरी तरह कामयाब रहा।

चंद्रयान-3 ने रच दिया इतिहास

चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 ने 30 किलोमीटर की ऊंचाईसे शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा किया।

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