x
विश्व

नेपाल में बार-बार क्यों आते हैं भीषण भूकंप? ,जानें वज़ह


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्लीः नेपाल में बीती रात शुक्रवार (03 नवंबर) को तेज भूकंप में अब तक कम से कम 128 लोगों को मौत हो गई है. ये आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. नेपाली मीडिया के मुताबिक रात 11 बजकर 47 मिनट के आसपास 6.4 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया. इस भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान करनाली प्रांत के जाजरकोट और रुकुम पश्चिम में हुआ है.

उत्तर भारत की धरती को हिलाया

नेपाल में शुक्रवार की रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 रही। भूकंप का केंद्र नेपाल में रहा, लेकिन इसके झटके उत्तर भारत के राज्यों से होते हुए दिल्ली-एनसीआर तक महसूस किए गए। बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, नोएडा समेत पूरे यूपी और बिहार में भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपाल में इससे क्या नुकसान हुआ है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल सकी है। लेकिन भूकंपीय गतिविधियों के ट्रेंड को अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि नेपाल में भूकंप काफी आते हैं। आइए जानें कि नेपाल में इतने ज्यादा भूकंप आने का क्या कारण है।

डिप्टी मेयर की हुई मौत

राष्ट्रीय भूकंप मापन केंद्र के प्रमुख लोकविजय अधिकारी ने बताया कि भूकंप रात 11:47 बजे आया, जिसका केंद्र पश्चिम नेपाल का जाजरकोट था. शुक्रवार को देर रात आए इस भूकंप में जाजरकोट के नलगढ़ नगर पालिका की डिप्टी मेयर सरिता सिंह की मौत हो गई. उनके अलावा इलाके में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

नेपाल में साल 2015 में एक भयानक भूकंप आया था

नेपाल में साल 2015 में एक भयानक भूकंप आया था। इस भूकंप ने पूरे नेपाल को बर्बाद कर दिया था। 2015 में आया भूकंप 1932 के बाद आया सबसे तगड़ा भूकंप था। इसके साथ 3000 से ज्यादा लोगों की भूकंप के कारण मौत हुई थी। दरअसल पृथ्वी का क्रस्ट टेक्टोनिक प्लेटों से बना है। जमीन के नीचे के यह भू-भाग काफी विशालकाय होते हैं। कभी-कभी तो इनमें पूरा महाद्वीप शामिल होता है। यह हर समय गतिमान रहते हैं और एक दूसरे से टकराते रहते हैं।

15 से ज्यादा लोगों की हुई मौत

नेपाल पुलिस के मुताबिक, भूकंप की वजह से पुराने मकानों मे क्षति हुई है. रुकुम पश्चिम जिला आठबिसकोट नगर पालिका 11 की लक्ष्मी बिक और उनकी 4 नाबालिग बेटियों समेत 15 लोगों की मौत हो गई. भूकंप से नेपाल के जाजरकोट के खलंगा में एक शख्स की मौत हो गई है. जजरकोट के मुख्य जिला अधिकारी सुरेश सुनार ने कहा कि उन्हें मौत की जानकारी मिली.

नेपाल में क्यों आते हैं इतने भूकंप?

नेपाल की धरती आए दिन कांपने लगती है. पिछले महीने 22 अक्टूबर को धाडिंग जिले में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था, इसके अलावा नेपाल के सुदूरपश्चिम प्रांत में 16 अक्टूबर को 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था. 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों की वजह से लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी.

नेपाल में क्यों आते हैं भूकंप

नेपाल में भूकंप को समझने के लिए आपको हिमालय को देखना होगा। इस क्षेत्र में पृथ्वी की इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे दब रही है। हर साल पांच सेंटीमीटर यह प्लेट दबती है। इस कारण हिमालय 5 मिलीमीटर ऊपर उठता जा रहा है। प्लेट दबने से चट्टानों के ढांचे में एक तनाव पैदा हो जाता है। जब यह तनाव चट्टानें बर्दाश्त नहीं कर पातीं तो भूकंप आता है। वैज्ञानिक अभी भी भूकंप के आने का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयी क्षेत्र में यह ज्यादा आने की आशंका है।

लेकिन इसकी वजह क्या है और क्यों बार-बार नेपाल में भूकंप आते हैं? दरअसल नेपाल भारतीय और तिब्बती टेक्टोनिक प्लेट के बीच बसा है. ये टेक्टोनिक प्लेट्स हर 100 सालों में दो मीटर तक खिसक जाती है, जिसकी वजह से धरती में दबाव पैदा होता है और भूकंप आता है. नेपाल सरकार की आपदा आंकलन रिपोर्ट (पीडीएनए) के मुताबिक, नेपाल दुनिया का 11 वां सबसे ज्यादा भूकंप वाला देश है.

भूकंप के खतरे वाले इलाके में है नेपाल

नेपाल अपनी स्थिति के कारण भूकंप के लिए बहुत संवेदनशील है. बड़ी टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की परत बनाती हैं. ये वे भूभाग हैं, जिनमें संपूर्ण महाद्वीप शामिल हैं. ये प्लेटें गतिमान हैं और हर समय एक-दूसरे से टकराती रहती हैं. नेपाल दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों- इंडो-ऑस्ट्रेलियाई और एशियाई प्लेटों की सीमा पर स्थित है. इन प्लेटों के टकराव के कारण ही हिमालय पर्वत बना है. इसके साथ-साथ ही टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से भूकंप भी आते हैं. ये दोनों प्लेटें हर साल लगभग 5 सेमी की दर से एक दूसरे के ऊपर और नीचे धकेले जा रहे हैं. हालांकि यह ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन जब यह बल एकत्रित हो जाता है, तो इसका नतीजा भूकंप होता है, जो काफी विनाशकारी होता है.

कमजोर इमारतें नेपाल में भारी तबाही का कारण

अपनी कमजोर इमारतों के कारण नेपाल तेज भूकंपों का सामना नहीं कर पाता है. इससे मामला और भी जटिल हो जाता है और मौतों की संख्या भी बढ़ जाती है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) भूकंप के प्रति सबसे संवेदनशील देशों की सूची में नेपाल को 11वें स्थान पर रखता है. नेपाल की राजधानी काठमांडू भूकंप के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील शहरों में से एक है. नेपाल में 15 जनवरी, 1934 को आया भूकंप उसके इतिहास के सबसे भयानक भूकंपों में से एक था. रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता के इस भूकंप से करीब 12,000 लोगों की मौत हुई थी.

Back to top button