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भारत में ग्रहण के दौरान भी हमेशा खुले रहते है ये मंदिर-जानें


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नई दिल्लीः शनिवार 28 अक्टूबर 2023 को शरद पूर्णिमा के दिन साल का अंतिम और चौथा चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इस चंद्र ग्रहण को भारत के कुछ इलाकों में देखा जा सकता है। धार्मिक ग्रंथो में ग्रहण लगने की घटना को अशुभ माना गया है। इस दौरान पूजा पाठ भी नहीं किया जाता। ग्रहण के नियम सूतक काल से ही शुरू हो जाते हैं। चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। ऐसे में सूतक काल से ही पूजा पाठ नहीं किया जाता और मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में ऐसे 3 अमंदिर हैं जो ग्रहण के दौरान बंद नहीं होते हैं।वे मंदिर कौन से हैं इसके पीछे क्या कारण हैं चलिए हम आपको बताते हैं।

विष्मुपद मंदिर

ग्रहण के दौरान बिहार के गया का विष्णुपद मंदिर बंद नहीं किया जाता। इस मंदिर पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में भी इस मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। ग्रहण के दिन मंदिर की मान्यता काफी बढ़ जाती है। क्योंकि ग्रहण के दौरान यहां पिंडदान किए जाते हैं। ऐसा करना शुभ माना जाता है।

गोवर्धन नाथ जी की हवेली, झाबुआ

ये मंदिर भगवान श्री कृष्णा के बाल रूप को समर्पित है इस मंदिर के लिए ऐसी मान्यता है कि, यहाँ भगवान के बाल रूप होने के कारण उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा जाता है इसलिए इस मंदिर के पट ग्रहण काल में भी खुले रहते हैं. इस दौरान भगवान को काले वस्त्र पहनाये जाते हैं. और ग्रहण के दौरान भक्त श्री गोवर्धन नाथ जी की हवेली में आकर भजन और कीर्तन कर सकते हैं.

महाकाल मंदिर

उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर के पट ग्रहण काल के दौरान कभी भी बंद नहीं किये जाते हैं. हालाकिं ग्रहण के दौरान शिवलिंग को स्पर्श करने और भोग लगाना वर्जित है. यहाँ ऐसी मान्यता है कि, महाकाल कालों के काल हैं और उनपर ग्रहण का कोई असर नहीं होता है इस लिए इसके पट बंद नहीं किये जाते हैं. इस दौरान भक्तों के दर्शन भी बंद नहीं होते हैं, लेकिन गर्भ ग्रह में श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं होता है जबकि पंडित और पुरोहित मंदिर के गर्भ गृह में भी प्रवेश कर सकते हैं. कुल मिलाकर कुछ परिवर्तनों के साथ मंदिर खुला रहता है. अपनी भव्यता के लिए मशहूर उज्जैन का महाकाल मंदिर भी ग्रहण के दौरान खुला रहता है। ग्रहण काल में मंदिर के दर्शन करने पर भक्तों को किसी तरह की मनाही नहीं होती और ना ही मंदिर के पट बंद किए जाते हैं। हालांकि पूजा-पाठ और आरती के समय में अंतर होता है। ग्रहण लगते ही आरती का समय बदल जाता है।

कालहटेश्‍वर मंदिर, दक्षिण भारत

ग्रहण के दौरान जहाँ अधिकतर मंदिरों के पट बंद होते हैं वही देश में एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ ग्रहण के दौरान पूजा भी होती है ये मंदिर है दक्षिण भारत के कैलाष्ठी में स्थित कालहटेश्‍वर मंदिर. ये मंदिर राहु और केतु को समर्पित है इस कारण इसके पट ग्रहण के दौरान भी बंद नहीं किये जाते हैं. ये विश्व का इकलौता राहु और केतु को समर्पित मंदिर है. इस मंदिर में राहु केतु के साथ ही काल सर्प दोष पूजा ही होती है.

श्रीनाथ जी मंदिर, नाथद्वारा


राजस्थान स्थित श्रीनाथद्वारा मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण के ही स्वरूप श्री नाथ जी को समर्पित है ग्रहण के दौरान इस मंदिर के पट कभी भी बंद नहीं किये जाते हैं और इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आकर मंदिर की परिक्रमा और पूजा पाठ करते हैं.

श्रीकालहस्ती मंदिर

श्रीकालहस्ती मंदिर आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र के चित्तूर जिले में स्थित है। श्रीकालहस्ती का मंदिर उन भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है, जो तिरुपति मंदिर के साथ-साथ इस मंदिर में भी दर्शन करने के लिए आते हैं। ये मंदिर तिरुपति से 36 किमी दूर है। चंद्रग्रहण के दौरान श्रीकालहस्ती क्षेत्र भक्तों के लिए खुला रहेगा। ग्रहण के दौरान ग्रहण कालाभिषेकम किया जाता है।

लक्ष्मीनाथ मंदिर

प्राचीन लक्ष्मीनाथ मंदिर का पट भी सूतक काल में खुला रहता है। दरअसल इससे जुड़ी एक कथा है, इसके अनुसार एक बार सूतक लगने पर पुजारी ने लक्ष्मीनाथ मंदिर के पट बंद कर दिए। उस दिन भगवान की पूजा नहीं हुई और ना ही उन्हें भोग लगाया गया। उसी रात एक बालक मंदिर के सामने वाली हलवाई की दुकान पर गया और उसने कहा कि इसे भूख लगी है। उसने हलवाई को एक पाजेब देकर प्रसाद मांगा। हलवाई ने भी उसे प्रसाद दे दिया। अगले दिन मंदिर से पाजेब गायब होने की बात फैल गई। तब हलवाई ने पुजारी को पूरी बात बताई। दरअसल जिस बालक को भूख लगी थी वह और कोई नहीं बल्कि स्वयं लक्ष्मीनाथ महाराज थे। इस घटना के बाद से ही ग्रहण के सूतक में इस मंदिर के पट नहीं बद होते। बल्कि यहां आरती होती है और भगवान को भोग लगाया जाता है। केवल ग्रहण काल में मंदिर के पट बंद किए जाते हैं।

द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा


जहाँ मथुरा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री कृष्ण जन्म भूमि, श्री रंगनाथ जी, बांके बिहारी मंदिर ग्रहण काल के दौरान बंद रहेंगे और कई घंटों बाद ही खुलेंगे वहीं मथुरा में स्थित प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर के पट ग्रहण के दौरान भी खुले रहेंगे और भक्त भगवान के दर्शन कर सकेंगे. ये मंदिर पुष्टि मार्ग संप्रदाय को समर्पित है. इस दौरान भक्त भगवान के सामने बैठकर भजन कीर्तन भी कर सकेंगे.

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