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Shammi Kapoor Birth Anniversary: जाने शम्मी कपूर कुछ जीवन रंग के बारे में


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मुंबई – प्राण साहब ने 50 के दशक में बॉलीवुड में अपना नाम कमा लिया था. उनकी गिनती बड़े कलाकारों में हुआ करती थी. उस दौर में वे अधिकतर विलेन के किरदार निभाया करते थे. दूसरी तरफ शम्मी कपूर भले ही कपूर खानदान के थे लेकिन वे बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे. शम्मी का जन्म 21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में हुआ था.

पढ़ाई छोड़कर बन गए जूनियर आर्टिस्ट

शम्मी के जन्म के कुछ समय बाद पृथ्वीराज कपूर परिवार को लेकर कोलकाता चले गए थे जहां वो सात-आठ साल रहे.फिर 1944 में मुंबई वापस पृथ्वीराज कपूर ने मुंबई में पृथ्वी थिएटर की स्थापना की.तब तक शम्मी 13 साल के हो गए थे और पृथ्वी थिएटर के प्ले शकुंतला में वो भरत का रोल निभाते थे। इसी प्ले के कारण शम्मी कपूर का स्कूल छूट गया था.

‘तुमसा नहीं देखा’ शूटिंग का यह किस्सा

फिल्म के शूटिंग का यह किस्सा बताने से पहले आपको इस​ फिल्म के बारे में बता देते हैं. यह​ फिल्म थी ‘तुमसा नहीं देखा’, जो साल 1957 में रिलीज हुई थी. फिल्म को नासिर हुसैन ने निर्देशित किया था और इसमें शम्मी और प्राण के साथ अमीता ने अहम भूमिका निभाई थी. ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी और उस दौर में करीब 1 करोड़ की कमाई की थी.इस फिल्म में क्लाइमैक्स के दौरान कुछ एक्शन सीन थे, जो प्राण और शम्मी के बीच फिल्माए गए थे. इन एक्शन सीन के लिए लॉन्ग शॉट के लिए बॉडी डबल का प्रयोग किया गया था. वहीं, क्लोजअप सीन के लिए शम्मी और प्रारण को प्रैक्टिस करने के लिए कहा गया था.शम्मी सीन में खोए हुए थे और उन्होंने बेहद तेज मुक्का मारा था. इस वजह से प्राण की नाक से खून आने लगा था. यह देख पूरे सेट पर हलचल मच गई और निर्देशक नासिर प्राण साहब की ओर दौड़े. ये सब देखकर शम्मी काफी घबरा गए क्योंकि उन्होंने अपने सीनियर एक्टर को जख्मी कर दिया था.शम्मी कपूर को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो प्राण साहब के सामने ‘सॉरी’ बोलते हुए गिड़गिड़ाने लगे. प्राण साहब भले ही फिल्मों में विलेन का किरदार निभाते थे लेकिन असल जिंदगी में उनका दिल बहुत बड़ा था. प्राण साहब ने कहा ‘तुम सॉरी क्यों बोल रहे हो गलती तो मेरी थी.’ इतना बोलकर उन्होंने अपनी नाक को रूमाल से दबाया और नासिर से अगले सीन को लेकर बात करने लगे. प्राण साहब की बात शम्मी के दिल को छू गई.

शम्मी कपूर का जन्म

21 अक्टूबर 1931 के दिन मुंबई (उस वक्त बॉम्बे) में मशहूर कलाकार और फिल्मकार पृथ्वीराज कपूर के घर में शम्मी कपूर का जन्म हुआ था. वह पूरी दुनिया में शम्मी कपूर के नाम से मशहूर हुए, लेकिन उनका बचपन का नाम शमशेर राज कपूर था. बचपन से ही उन्होंने घर में फिल्मी माहौल देखा और खुद भी इसी लाइन में करियर बनाने का फैसला कर लिया. इसके लिए उन्होंने पिता के पृथ्वी थिएटर में ही अभिनय की बारीकियां भी सीखीं.

शम्मी कपूर ने गीता बाली से की शादी

शम्मी की गीता बाली से मुलाकात उनके डायरेक्टर दोस्त हरि वालिया ने फिल्म ‘कॉफी हाउस’ (1957) की शूटिंग के दौरान करवाई थी। लेकिन तब दिल के दरवाजे पर मोहब्बत ने दस्तक नहीं दी थी.उसके बाद दोबारा मुलाकात हुई फिल्म ‘रंगीन रातें’ (1956) की शूटिंग के दौरान जो रानीखेत में फिल्माई जा रही थी.इसमें गीता बाली का कैमियो था। शम्मी कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘हम लोग वहां रानीखेत में 20 दिन थे शूटिंग के लिए, पहाड़ी जगह, पहाड़ी गाने, वादियां, खूबसूरत लड़की, जवान लड़का…इश्क हो गया जी!’ फिर ठान लिया कि शादी करनी है तो इसी के साथ करनी है.उसके बाद वो लगातार गीता बाली से शादी करने को कहते रहे, गीता टालती रहीं.आगे आने वाले तीन महीनों तक ये सिलसिला जारी रहा.शम्मी शादी का कहते और गीता इनकार कर देतीं।फिर आई 23 अगस्त 1955 की शाम! हमेशा की तरह शम्मी कपूर ने फिर शादी करने को कहा मगर आज शादी की बात सुनकर गीता ने इनकार नहीं किया, बल्कि कहा कि चलो शादी कर लेते हैं! लेकिन शादी आज ही होगी और अभी, नहीं तो कभी नहीं. शम्मी कपूर हैरान रह गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो तुरंत अपने दोस्त हरि वालिया को बुलाया। फिर भागे जॉनी वाकर के घर क्योंकि याद आ गया था कि उनके दोस्त जॉनी वाकर ने एक्ट्रेस शकीला की बहन नूर को भगाकर पिछले हफ्ते ही शादी रचाई थी.लेकिन जब वे जानी वॉकर के घर पहुंचे तो उन्होंने कहा- भाई मैं मुस्लिम हूं, मस्जिद गया और निकाह पढ़वा लिया। तुम्हें मंदिर जाना होगा जहां पंडित जी तुम्हारी शादी कराएंगे.24 अगस्त 1955 को सुबह 4-5 बजे बाण गंगा मंदिर गए। पुजारी ने मंदिर के पट खोले और शम्मी कपूर-गीता बाली की शादी हो गई.जब बारी आई गीता की मांग भरने की तो सिंदूर नहीं होने पर गीता ने अपने पर्स से लिपस्टिक निकाली और उस लिपस्टिक से शम्मी ने गीता की मांग भरकर उन्हें अपनी जीवन संगिनी बना लिया.

गीता बाली के निधन से शम्मी कपूर बुरी तरह टूट गए

गीता बाली के निधन से शम्मी कपूर बुरी तरह टूट गए. उन्होंने खुद पर ध्यान देना भी बंद कर दिया, लेकिन गीता और अपने बच्चों की खातिर शम्मी कपूर ने एक बार फिर शादी रचाई. 1969 के दौरान उन्होंने शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली नीला देवी संग सात फेरे लिए, लेकिन उनके सामने भी एक शर्त रखी कि वह ताउम्र मां नहीं बनेंगी और गीता के बच्चों को ही पालेंगी. नीला देवी ने यह शर्त मान ली और ताउम्र इस पर खरी उतरीं. बॉलीवुड के एल्विस प्रेसली के नाम से मशहूर रहे शम्मी कपूर ने 14 अगस्त 2011 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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