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Indian Air Force Day: 72 वर्ष बाद वायु सेना को आज मिलेगा नया झंडा,प्रयागराज में होगा बड़ा एयर शो


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नई दिल्लीः वायु सेना की 91वीं वर्षगांठ पर रविवार को एक और नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। आठ अक्टूबर को वायुसेना का झंडा बदला जाएगा। यह बदलाव 72 वर्ष बाद किया जा रहा है। वायु सेना अध्यक्ष चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी परेड के दौरान झंडा बदलने के साथ वायु योद्धाओं को शपथ भी दिलाएंगे।

नए ध्वज का अनावरण

भारतीय वायुसेना अपने मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए रविवार को प्रयागराज में वार्षिक वायु सेना दिवस परेड में अपने नए ध्वज का अनावरण करेगी. नौसेना द्वारा अपने औपनिवेशिक अतीत को छोड़कर ध्वज में बदलाव करने के एक साल से अधिक समय बाद वायुसेना ने यह कदम उठाया है. रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी ग्रुप कैप्टन समीर गंगाखेडकर ने बताया कि आज यानी आठ अक्टूबर को वायु सेना दिवस के अवसर पर यहां परेड ग्राउंड पर वायुसेना प्रमुख वी.आर. चौधरी नए वायुसेना ध्वज का अनावरण करेंगे.

वायु सेना की 91वीं वर्षगांठ

इस वर्ष वायु सेना अपनी स्थापना के 91वें वर्ष पूरी कर रही है जिसके उपलक्ष्य में यहां संगम क्षेत्र में आठ अक्टूबर को एयर शो का भव्य आयोजन किया जा रहा है जिसमें चिनूक, चेतक, जगुआर, अपाचे, राफेल समेत कई विमान आपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे. वायुसेना ने कहा, ‘आठ अक्टूबर भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज किया जाएगा. इस ऐतिहासिक दिन पर, वायु सेना प्रमुख वायुसेना के नए ध्वज का अनावरण करेंगे.’ नए ध्वज में सबसे ऊपर दाएं कोने में भारतीय वायुसेना का चिह्न होगा. आधिकारिक तौर पर आठ अक्टूबर, 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी.

वायु सेना का इतिहास

नए ध्वज में सबसे ऊपर दाएं कोने में भारतीय वायुसेना का चिह्न है. 8 अक्टूबर, 1932 को वायुसेना की स्थापना हुई थी. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी पेशेवर दक्षता और उपलब्धियों को देखते हुए, मार्च 1945 में बल को ‘रॉयल’ उपसर्ग से सम्मानित किया गया था. इसलिए, यह रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) बन गई थी. साल 1950 में, भारत के गणतंत्र बनने के बाद वायुसेना ने अपना ‘रॉयल’ उपसर्ग हटा दिया था और ध्वज में संशोधन किया था.द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी पेशेवर दक्षता और उपलब्धियों को देखते हुए, मार्च 1945 में बल को ‘रॉयल’ उपसर्ग से सम्मानित किया गया था. इसलिए, यह रॉयल इंडियन एयर फोर्स ( आरआईएएफ) बन गई थी. साल 1950 में, भारत के गणतंत्र बनने के बाद वायुसेना ने अपना ‘रॉयल’ उपसर्ग हटा दिया था और ध्वज में संशोधन किया था. पीआईबी द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘इतिहास में पीछे जाएं, तो रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) ध्वज में ऊपरी बाएं कैंटन में यूनियन जैक और फ्लाई साइड (बाहरी हिस्से) पर आरआईएएफ राउंडेल (लाल, सफेद और नीला) शामिल था. स्वतंत्रता के बाद, निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे और आरएएफ राउंडल्स को आईएएफ ‘ट्राई कलर राउंडेल’ के साथ प्रतिस्थापित करके भारतीय वायु सेना का ध्वज बनाया गया था.’

1951 में वायु सेना का ध्वज बनाया गया था

झंडे को उतारने के बाद मध्य वायु कमान के संग्रहालय में उसे सुरक्षित रखा जाएगा। इससे पहले भारतीय नौसेना के झंडे में भी बदलाव किया जा चुका है। स्वतंत्रता के बाद 1951 में वायु सेना का ध्वज बनाया गया था। वर्तमान ध्वज नीले रंग का है। इसमें ऊपर बाएं कोने पर तिरंगा है, जबकि दाएं कोने पर नीचे वायु सेना का गोल निशान है।गोल आकृति को हटाया गया है जो अंग्रेजों के दौर में भी थी। इसे हटाकर भारत को प्रतिबिंबित करने वाला ध्वज बनाया गया है। नया ध्वज भारतीय वायु सेना के मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रकट करेगा। नए ध्वज में शीर्ष पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट पर सिंह अंकित है और उसके नीचे देवनागरी में सत्यमेव जयते शब्द है। सिंह के नीचे हिमालयी ईगल है, जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के युद्ध के गुणों को दर्शाता है।हल्के नीले रंग का वलय हिमालयी ईगल को घेरे हुए है, जिस पर लिखा है भारतीय वायु सेना। भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभ: स्पृशं दीप्तम्’ (Touch The Sky With Glory) हिमालयी ईगल के नीचे देवनागरी के सुनहरे अक्षरों में अंकित है।

कैसा होगा नया ध्वज

स्वतंत्रता के बाद, नीचे दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे और आरएएफ राउंडल्स को आईएएफ ‘ट्राई कलर राउंडेल’ के साथ प्रतिस्थापित करके भारतीय वायु सेना का ध्वज बनाया गया था.’कैंटन एक आयताकार प्रतीक है जो झंडे के ऊपर बाईं ओर बनाया जाता है, जो आमतौर पर झंडे के एक चौथाई हिस्से में होता है. किसी झंडे का कैंटन अपने आप में एक झंडा हो सकता है.

आजादी के बाद क्या बदला?

अब ‘एनसाइन’ के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न और उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है. अशोक चिह्न के नीचे एक हिमालयी गरुड़ है जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के युद्ध के गुणों को दर्शाता है. हल्के नीले रंग का एक सर्किल हिमालयी गरुड़ को घेरे हुए है, जिस पर लिखा है ‘भारतीय वायु सेना’. भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ हिमालयी गरुड़ के नीचे देवनागरी के सुनहरे अक्षरों में अंकित है जिसे भगवद गीता के अध्याय 11 के श्लोक 24 से लिया गया है और इसका अर्थ है ‘वैभव के साथ आकाश को छूना’.

प्रयागराज में बड़ा एयर शो

इस मौके पर संगम क्षेत्र में रविवार को एयर शो का भव्य आयोजन किया जाएगा. जिसमें चिनूक, चेतक, जगुआर, अपाचे, राफेल समेत कई विमान ने आपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे. आठ अक्टूबर भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज किया जाएगा. यह एक ऐतिहासिक दिन है जब वायुसेना को अपना नया ध्वज मिलेगा.

मिग-21 आखिरी बार भरेगा उड़ान

वहीं कल न्यूज़ 24 के कैमरे के प्रयागराज के आसमान में वायुवीर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाएंगे। पूरा देश वायुसेना का शौर्य और पराक्रम देखेगा। लड़ाकू विमानों की गर्जना सुनने और हैरतअंगेज कारनामे देखने के लिए 20 हजार स्कूली बच्चे आएंगे। वायुसेना दिवस पर पहली बार सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट आसमान में उड़ान भरेगा। मिग-21 आखिरी बार वायुसेना दिवस पर फ्लाई पास्ट में हिस्सा लेगा। सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर बमरौली एयर स्टेशन में परेड शुरू होगी। 3 बजे संगम पर फ्लाई पास्ट होगा।

सूर्यकिरण-सारंग दिखाएंगे करतब

फ्लाई पास्ट में राफेल और तेजस की कलाबाजियां देखने को मिलेंगी। राफेल एशिया का सबसे बेहतरीन फाइटर तो तेजस सबसे हल्का लेकिन खतरनाक विमान है। इस फ्लाई पास्ट में सुखोई का मिराज-2000 भी हिस्सा लेगा। यह वही मिराज 2000 है, जिसने बालाकोट में पाकिस्तानी आतंकी कैम्प तबाह किए थे। अपाचे और चिनूक भी दमखम दिखाएंगे। पुराने जमाने के टाइगर मोथ और हार्वर्ड भी हिस्सा लेंगे। c-130 और c-17 फ्लाई पास्ट में हिस्सा लेंगे। सूर्यकिरण और सारंग की टीमें भी प्रदर्शन करेंगी।

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