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बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी,राज्य में सियासत जंग हुई शुरू


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नई दिल्लीः बिहार में जाति जनगणना पर सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी गई है. बिहार में यह मुद्दा खासा चर्चा का विषय रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अब बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. इनमें हिंदू समुदाय की आबादी 81.9%, मुस्लिम की आबादी 17.7%, ईसाई 0.05%, सिख- 0.01%, बौद्ध 0.08%, जैन 0.0096% और अन्य धर्म के लोगों की आबादी 0.12% है. नए आकंड़ों के मुताबिक, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति अन्य पिछड़ा वर्ग मिलाकर कुल आबादी का 63 फीसदी है.जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी होते ही बिहार में सियासत तेज हो गई है। एक तरफ भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश सरकार से उनके कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड मांग लिया तो लालू प्रसाद यादव ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए जमकर तारीफ की। बिहार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने आज ही रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि राज्य में पिछड़ा वर्ग 27.13%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, सामान्य वर्ग 15.52% है। बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है।

I.N.D.I.A गठबंधन

पूर्व सीएम और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि आज गांधी जयंती पर हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने हैं। भाजपा की तमाम साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम साजिशों के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे जारी कर दिया। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हमला बोला। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवाय कुछ नहीं है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने नीतीश सरकार के फैसले का सपोर्ट किया है। ऐसे में देखें तो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले I.N.D.I.A गठबंधन खुद को एकजुट दिखा रहा है।

बिहार में प्रति 1000 पुरुषों में 953 महिलाएं

बिहार में 81.99 प्रतिशत यानी लगभग 82% हिंदू हैं। इस्लाम धर्म के मानने वालों की संख्या 17.7% है। शेष ईसाई सिख बौद्ध जैन या अन्य धर्म मानने वालों की संख्या 1% से भी कम है। जिनकी संख्या 1 प्रतिशत से भी कम है, उनकी भी जातियों के लोगों की संख्या जारी कर दी गई है। जातियों को बांटकर गिना गया तो सबसे ताकतवर जाति नहीं बदली। आंकड़ें कह रहे हैं कि बिहार की आबादी 13,07,25,310 है। वहीं कुल सर्वेक्षित परिवारों की संख्या 2,83,44,107 है। इसमें पुरुषों की संख्या 4 करोड़ 41 लाख और महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख है। बिहार में प्रति 1000 पुरुषों में 953 महिलाएं हैं।

जातिगत जनगणना

मसलन, बिहार की कुल 13 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 10.07 करोड़ हिंदू और मुस्लिम की आबादी 2.31 करोड़ है. अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी, पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 फीसदी, अनारक्षित आबादी 15.5 फीसदी, राजपूत की आबादी 3 फीसदी से ज्यादा है. नए आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में अब एससी की आबादी 19 फीसदी है.राज्य की आधी आबादी पिछड़ों और अति पिछड़ों की है. यादवों की तादाद 14 फीसदी है. पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 फीसदी है. अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है. ब्राम्हाणों की आबादी 3.3 फीसदी है. कुर्मी की आबादी 2.87 फीसदी है.

नीतीश बुलाएंगे 9 दलों की बैठक

सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई! जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी। 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है।सीएम ने कहा कि जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए आगे कार्रवाई की जाएगी। बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी और जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।

बिहार में सबसे ज्यादा यादव

जातीय जनगणना का आंकड़ा काफी हद तक अनुमान के अनुसार ही आया है। अगड़ी जातियों के लिए यह चौंकाने वाला है, लेकिन राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय पिछड़े और अन्य पिछड़ी जातियों के लिए यह आंकड़ा सुकून भरा है। सबसे रोचक आंकड़ा यह है कि बिहार में सामान्य वर्ग के लोगों की जितनी संख्या है, राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की जाति के लोगों की संख्या लगभग उतनी ही है। बिहार में सबसे ज्यादा यादव 14.26% हैं। आंकड़ों ने यह भी बता दिया है कि हर तरीके से दिवंगत रामविलास पासवान की जाति यहां मायने रखती है। यादवों के बाद दुसाध जाति की संख्या 5.31% आई है। रविदास वर्ग के लोगों की संख्या भी थोड़ी ही कम है। 5.25% के साथ यह बिहार में तीसरे नंबर पर हैं।

‘नीतीश कुमार 15 साल का रिपोर्ट कार्ड दें


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार को 15 साल और लालू यादव को अपने 18 साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों का क्या उद्धार किया, कितने लोगों को नौकरियां दीं। यह रिपोर्ट भ्रम के अलावा कुछ नहीं है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बोले


बिहार सरकार की जातिगत जनगणना की रिपोर्ट पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने साफ कहा, ‘हम तो हमेशा से इसके (जातिगत जनगणना) पक्षधर रहे हैं। मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर हम इसे (जातिगत जनगणना) कराएंगे।ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और प्रगति के लिए समग्र योजना बनाने और आबादी के अनुपात में वंचित समूहों को प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए एक उदाहरण स्थापित करेंगे।

संजय सिंह ने मोदी पर साधा निशाना

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है कि जातीय जनगणना पूरे देश में होनी चाहिए लेकिन भाजपा अपने मूल सिद्धांतों और विचारों में पिछड़ों, दलितों, शोषितों, वंचितों की विरोधी है इसलिए ये इससे भाग रहे हैं। संजय सिंह ने कहा कि ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय के साथ आप न्याय करना चाहते हैं तो पूरे देश में इनकी संख्या कितनी है यह जानना बहुत जरूरी है। मोदी जी, इससे क्यों भाग रहे हैं?

जेडीयू ने कहा अगले चुनाव का एजेंडा तय

JDU नेता के. सी. त्यागी ने कहा, ‘कर्पूरी ठाकुर और वी.पी. सिंह के बाद पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में नीतीश कुमार उभरे हैं। आज साबित हुआ है कि वे (पिछड़ा वर्ग) 63% हैं। हम नीतीश कुमार को सलाम करते हैं और चाहते हैं कि देश में घूमकर जनता को आंदोलित करें जिससे हर राज्य को जातिगत जनगणना करानी पड़े। यह अगले चुनाव के लिए एजेंडा तय हुआ है।’

जानिए, बिहार में किस धर्म की कितनी आबादी है

  • हिन्दू- 81.99% (10,71,92,958)
  • मुस्लिम- 17.70% (2,31,49,925)
  • ईसाई- 0.05% (75,238)
  • सिख- 0.011% (14,753)
  • बौद्ध आबादी 0.0851% (1,11,201)
  • जैन- 0.0096%(12,523)
  • अन्य धर्मों की आबादी 0.1274% (1,66,566)
  • कोई धर्म नहीं मानने वाले- 0.0016% (2,146)

जानिए, बिहार में किस वर्ग के कितनी आबादी है

  • अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी)- 36.1% (4,70,80,514)
  • पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27.12%- (3,54,63,936)
  • अनुसूचित जाति- 19.65% (2,56,89,820)
  • अनुसूचित जनजाति – 1.68% (21,99,361)
  • अनारक्षित (सामान्य वर्ग) 15.52% (2,02,91,679) 

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