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राजनीति

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले दक्षिण में भाजपा को लगा झटका,AIADMK ने NDA से तोड़ा रिश्ता


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नई दिल्लीः अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने भाजपा और NDA से आधिकारिक तौर पर नाता तोड़ लिया है। पार्टी अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी नेताओं ने सोमवार को हुई एक मीटिंग में इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया है।पार्टी के डिप्टी कोर्डिनेटर केपी मुनुसामी ने बताया कि अन्नाद्रमुक आज से भाजपा और NDA से सभी संबंध तोड़ रही है। भाजपा के लोग पिछले एक साल से पार्टी नेताओं खासकर महासचिव ई पलानीसामी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।

ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) ने सोमवार को घोषणा की कि वह भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन से अलग हो रही है। इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बाहर निकलने का फैसला यहां अन्नाद्रमुक मुख्यालय में पार्टी प्रमुख ई के पलानीस्वामी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में किया गया। बैठक में हुए विचार-विमर्श के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए, पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता के पी मुनुसामी ने कहा कि पार्टी ने NDA से अलग होने और अगले साल होने वाले चुनाव में समान विचारधारा वाले दलों के गठबंधन का नेतृत्व करने का सर्वसम्मति से संकल्प लिया है।

AIADMK ने NDA से रिश्ता तोडनेकी वजहें

  1. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का जयललिता पर बयान
    AIADMK और भाजपा के बीच इस साल जून में ही कड़वाहट शुरू हो गई थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि तमिलनाडु सबसे भ्रष्ट राज्यों में से एक है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री तक को दोषी ठहराया गया।उनका इशारा तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता पर था। उन्‍हें आय से ज्यादा संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गया था। हालांकि इस मामले में जयललिता आरोपी थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले उनका निधन हो गया था। इस मामले में उनकी सहयोगी शशिकला समेत अन्य लोग दोषी ठहराए गए।
  1. पलानीस्वामी ने कहा था- शाह से मिलने की जरूरत नहीं
    2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से AIADMK भाजपा के साथ गठबंधन में राज्य में तीन चुनाव हार चुकी है। सूत्रों का दावा है कि AIADMK अब भाजपा को बोझ मानने लगी है। पिछले साल नवंबर में पलानीस्वामी ने कहा था कि उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की जरूरत नहीं है। शाह निजी दौरे पर तमिलनाडु पहुंचे थे।दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा था कि भाजपा से लोगों को AIADMK से मिलाने से लगता है कि तमिलनाडु में हम बढ़ रहे हैं।
  1. दोनों पार्टियों के नेताओं का एक-दूसरे दल में शामिल होना
    मार्च में भाजपा के पांच नेता AIADMK में शामिल हो गए थे। इनमें पार्टी के प्रदेश आईटी विंग के प्रमुख सीआरटी निर्मल कुमार भी शामिल हैं। निर्मल कुमार ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई पर आरोप लगाया है कि उनकी डीएमके की एक मंत्री के साथ साठगांठ है। निर्मल के अलावा 13 और नेता भी AIADMK में चले गए।इससे पहले AIADMK के बड़े नेता और पूर्व मंत्री नैनार नागेंद्रन पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और अभी विधानसभा में पार्टी के नेता हैं। इस पर AIADMK ने कहा- जब हमारे कैडर बीजेपी में जाते हैं तो वह छाती ठोकती है और जब उनके पार्टी कैडर हमारे साथ आते हैं तो वे चिल्लाने लगते हैं।
  1. बीजेपी खुद को प्रमुख विपक्ष के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है
    तमिलनाडु विधानसभा में भाजपा के सिर्फ 4 एमएलए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब AIADMK में ई पलानीसामी और ओ पन्नीरसेल्वम के बीच विवाद गहरा गया था तो भाजपा ने खुद को प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया था। इसी के बाद से दोनों सहयोगी दलों में मतभेद शुरू हो गए।

बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब के बाद तमिलनाडु चौथा राज्य है, जहां भाजपा के सहयोगी पार्टी से अलग हुए हैं। इससे पहले बिहार से नीतीश कुमार की JDU, महाराष्ट्र से शिवसेना उद्धव गुट, पंजाब से शिरोमणि अकाली दल NDA से अलग हो चुके हैं।बैठक में हुए विचार-विमर्श के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए, पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता के पी मुनुसामी ने कहा कि पार्टी ने राजग से अलग होने और अगले साल होने वाले चुनाव में समान विचारधारा वाले दलों के गठबंधन का नेतृत्व करने का सर्वसम्मति से संकल्प लिया है.

AIADMK के नेता ने कहा

अन्नाद्रमुक की इस बैठक में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ ही जिला सचिवों और विधायकों एवं सांसदों ने हिस्सा लिया.स्वीकार किए गए संकल्प में किसी का नाम लिए बिना कहा गया है कि भाजपा का राज्य नेतृत्व हाल ही में पार्टी की नीतियों की आलोचना करने के साथ ही मशहूर द्रविड़ हस्ती दिवंगत सी एन अन्नादुरै और दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को बदनाम कर रहा है। अन्नाद्रमुक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के बयानों को लेकर नाराज थी और अन्नादुरै के बारे में उनके हालिया बयानों से दोनों दलों के बीच दरार पैदा हो गई थी.

पिछले काफी समय से थी तनातनी

हालांकि पिछले काफी समय से AIADMK राज्य बीजेपी के बीच तनातनी देखने को मिली थी. पिछले दिनों ही पार्टी के नेता डी. जयकुमार ने द्रविड़ नेता सी. एन. अन्नादुरई की आलोचना के लिए बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता दिवंगत मुख्यमंत्री का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. आरोप थे कि अन्नामलाई ने दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता सहित AIADMK नेताओं के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी की थी.

अन्नाद्रमुक की इस बैठक में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ ही जिला सचिवों और विधायकों एवं सांसदों ने हिस्सा लिया। यहां पार्टी मुख्यालय में पटाखे चलाए जाने के बीच, मुनुसामी ने कहा कि सर्वसम्मति से किए गए इस फैसले में दो करोड़ से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं एवं आकांक्षाओं का सम्मान किया गया है।.उन्होंने कहा, “अन्नाद्रमुक ने बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया. अन्नाद्रमुक आज से भाजपा और एनडीए गठबंधन से सभी संबंध तोड़ रही है. भाजपा का राज्य नेतृत्व पिछले एक साल से लगातार हमारे पूर्व नेताओं, हमारे महासिचव ईपीएस और हमारे कैडर के बारे में

तेज हुई सियासी बयानबाजी

फिलहाल दक्षिण भारत की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि एआईएडीएमके अभी किस तरफ के गठबंधन में शामिल होगी, यह साफ नहीं है. देश में दो प्रमुख गठबंधन जरूर हैं लेकिन ऐसे कई दल है जो कि एनडीए और ‘इंडिया’ दोनों का ही हिस्सा नहीं है. इसमें तेलंगाना के सीएम केसीआर की भारत राष्ट्र समिति, सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन जैसी पार्टियां शामिल हैं.अनावश्यक टिप्पणी कर रहा है.”

AIADMK के भाजपा और NDA से गठबंधन तोड़ने पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अगर यह विकास हुआ है तो यह उन लोगों को मसला था… तमिलनाडु में कांग्रेस-DMK गठबंधन बहुत मजबूत है… NDA गठबंधन की बैठक हुई और उसमें कोई परिणाम नहीं निकला… दक्षिण भारत में बड़ा गठबंधन बाहर हुआ है. इससे भारी नुकसान भाजपा को होगा. इससे पहले महाराष्ट्र में शिवसेना हिस्सा थी, वह भी बाहर हुई. बिहार से JDU बाहर हुई, पंजाब से अकाली दल बाहर हुआ. हर जगह साफ दिख रहा है कि NDA को कुछ मतलब नहीं रह गया है. वहां एक तानाशाह बैठे हैं और दो व्यक्ति देश चला रहे हैं.

वहीं पार्टी के इस फैसले पर AIADMK नेता कोवई सत्यन ने कहा, “गठबंधन के धर्म और पवित्रता के लिए हमने अपनी यथास्थिति बनाए रखी. अनामलाई ने हमारे नेताओं, संस्थापकों के खिलाफ बोला था. वे हमारी विचारधारा की आलोचना करने लगे और कई बार हमने भाजपा के शिर्ष नेतृत्व को इस बारे में जानकारी भी दी, जहां तक तमिलनाडु की बात है तो वह भाजपा है जिसे AIADMK की जरूरत है ना कि AIADMK को भाजपा की… हम उनके सहयोगी है इसका यह मतलब नहीं कि हमारी विचारधारा भी एक जैसी है…

AIADMK प्रवक्ता शशिरेखा ने कहा- सदस्यों की राय के आधार पर हम यह प्रस्ताव लाए। यह AIADMK के लिए खुशी का क्षण है। हम आगामी लोकसभा या विधानसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेंगे।18 सितंबर को AIADMK नेता डी जयकुमार ने कहा था- तमिलनाडु के भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई हमारी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों सीएन अन्नादुरई और जयललिता पर बयानबाजी करते हैं। हमारे कार्यकर्ता इस बात को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

JDS लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगी

साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA को जनता दल सेक्युलर (JDS) का साथ मिला है। कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने 8 सितंबर को बताया कि JDS लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगी। उन्होंने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह (JDS) को लोकसभा की 4 सीटें देने पर सहमत हो गए हैं। हालांकि, पहले JDS कर्नाटक की 28 सीटों में से पांच सीटें मांग रही थी।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री और JDS सुप्रीमो एच.डी. देवेगौड़ा ने अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से मुलाकात की। जिसमें दोनों पार्टियों के साथ आने पर सहमति बनी। JDS कर्नाटक की मांड्या, हासन, बेंगलुरु (ग्रामीण) और चिकबल्लापुर सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है। अभी यह पता नहीं चला है कि बीजेपी JDS को कौंन सी सीटें देने पर राजी हुई है।

अगर साल 2019 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो JDS सिर्फ हासन सीट पर जीत पाई थी। जबकि मांड्या, बेंगलुरु (ग्रामीण) और चिकबल्लापुर सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।हासन से पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना ने चुनाव जीता था, लेकिन 1 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनकी सांसदी रद्द कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन को हलफनामे में गलत जानकारी दी थी। उन्होंने अपनी 24 करोड़ से अधिक की इनकम छिपाई थी। प्रज्वल साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतने वाले पार्टी के एकमात्र सांसद थे।हासन की सांसदी रद्द होने के बाद अब लोकसभा में JDS के पास कोई सदस्य नहीं है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीएस को 9.67% वोट मिले थे। वहीं, विधानसभा चुनाव में JDS ने 19 सीटें जीती थीं और पार्टी को 13.29% वोट मिले थे।

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