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चंद्रयान-3’ -कक्षा बदलने की प्रक्रिया सफल,ISRO ने बताया आगे क्या होगा


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नई दिल्ली – अभियान चंद्रयान-3 के कक्षा बदलने की पांचवीं प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) मंगलवार को सफलतापूर्वक पूरी हो गई। जानकारी के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘चंद्रयान-3’ को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की पांचवीं प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की। यह कार्य बंगलूरू इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से किया गया।

पृथ्वी-बाउंड पेरिगी फायरिंग को ISTRAC/ISRO बेंगलुरु से सफलतापूर्वक किया गया है. अगली फायरिंग, ट्रांसलूनर इंजेक्शन (TLI), 1 अगस्त, 2023 को 12 बजे से 1 बजे IST के बीच करने की योजना है। स्पेसशिप के 127609 किमी x 236 किमी की कक्षा प्राप्त करने की उम्मीद है.इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि सब ठीक रहने पर चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त यानी बुधवार की शाम पांच बजकर 47 मिनट पर होगी।

मिशन चंद्रमा की अपनी यात्रा पर है, जो बेहद खास है। इससे पहले चंद्रयान-3 को इसरो के ‘बाहुबली’ रॉकेट एलवीएम3 से भेजा गया। दरअसल, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए बूस्टर या कहें शक्तिशाली रॉकेट यान के साथ उड़ते हैं। अगर आप सीधे चांद पर जाना चाहते हैं, तो आपको बड़े और शक्तिशाली रॉकेट की जरूरत होगी। इसमें ईंधन की भी अधिक आवश्यकता होती है, जिसका सीधा असर प्रोजेक्ट के बजट पर पड़ता है। यानी अगर हम चंद्रमा की दूरी सीधे पृथ्वी से तय करेंगे तो हमें ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। नासा भी ऐसा ही करता है लेकिन इसरो का चंद्र मिशन सस्ता है क्योंकि वह चंद्रयान को सीधे चंद्रमा पर नहीं भेज रहा है।

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