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RBI का तोहफा RBI ने रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा


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नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद नीतिगत निर्णय की घोषणा कर दी गई है। इस वित्त वर्ष में एमपीसी की दूसरी बैठक में एक बार फिर रेपो रेट (Repo Rate) को लेकर बड़ा ऐलान किया गया है। आरबीआई ने लोगों को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट को स्थिर रखा है। आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यानी रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार है। जैसा की पहले से अनुमान लगाया जा रहा था आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रख सकता है, ऐलान भी उसी तरह से हुआ है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लेकर लोगों को राहत दी है । खासकर उन लोगों को जिन्होंने ने कोई भी लोन ले रखा है या लेने की तैयारी कर रहे हैं। आपको बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हर दो महीने में एक बार होती है। आखिरी बार अप्रैल में हुई बैठक के बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि देश की इकोनॉमी में जारी रिकवरी को बरकरार रखने के लिए यह फैसला लिया गया है । हालांकि उन्होंने इशारा किया था कि अगर जरूरत पड़ी तो आगे रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा सकती है। लेकिन आंकड़ों की गणना करने के बाद रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से ब्याज दरों को स्थिर रखते हुए उसे 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है।

रेपो रेट वह इंटरेस्ट रेट है, जिस पर आरबीआई देश में बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट में वृद्धि का उद्देश्य क्रेडिट को महंगा बनाना होता है. बैंक आमतौर पर बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल देते हैं और लोन महंगा हो जाता है. लेकिन जब यह स्थिर रहता है तो आमतौर पर लोन महंगे नहीं होते हैं. साथ ही डिपॉजिट रेट्स भी स्थिर बने रहने की संभावनाएं रहती हैं. साथ ही, रेपो रेट घटने पर ब्याज दरें घट जाती हैं, जिससे लोन सस्ती दरों पर मिलते हैं. वहीं, ऐसी स्थिति में बैंक डिपॉजिट रेट्स को भी कम कर देते हैं.

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