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चीन एलएसी से 6-7 किलोमीर दूर के मध्य इलाके में बसा रहा है गाँव


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मुंबई – चीन उत्तराखंड से सटी सीमा के नजदीक गांवों का निर्माण कर रहा है. साथ ही ये भी कहा गया है कि चीन के ये गांव सीमा से बेहद नजदीक हैं, इनकी दूरी भारतीय सीमा से महज 11 किमी बताई गई है। चीन आगे भी इस तरह के निर्माण करने की योजना बना रहा है. इससे पहले चीन ने लद्दाख और अरुणाचल के नजदीक भी निर्माण शुरू किया था।

चीन द्वारा गांवों के निर्माण की गति इतनी तेज है कि वे 3 महीने में बहुमंजिला ब्लॉकों में 300-400 घर बना रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चीन द्वारा एलएसी के पास के कुछ क्षेत्रों में गश्त की घटनाएं काफी बढ़ गई है। हाल में पीएलए की गश्त 15 दिनों या उससे भी कम समय में देखी गई है। पहले एक सीजन में एक बार गश्त की जाती थी, जो लगभग तीन या चार महीने होती है। सूत्र के मुताबिक माणा, नीति और थंगला इलाकों में भी पीएलए के छोटे-छोटे गश्ती दल देखे जा रहे हैं।

उत्तराखंड चीन के साथ करीब 350 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. उत्तराखंड में पलायन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ रहा है, सीमावर्ती गांव रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लगातार खाली हो रहे हैं। जिसका नुकसान रणनीतिक तौर पर भारत को उठाना पड़ सकता है. वहीं इसके उलट चीन लगातार अपने लोगों को सीमा के पास बसाने का काम कर रहा है। चीन के ये गांव सभी सुविधाओं से लेस हैं. हालांकि भारत की तरफ से भी लगातार कोशिश हो रही है कि चीनी सीमाओं से सटे गांवों में लोगों को फिर से बसाने का काम किया जाए।

हाल में पीएलए की गश्त 15 दिनों या उससे भी कम समय में देखी गई है। पहले एक सीजन में एक बार गश्त की जाती थी, जो लगभग तीन या चार महीने होती है। सूत्र के मुताबिक माणा, नीति और थंगला इलाकों में भी पीएलए के छोटे-छोटे गश्ती दल देखे जा रहे हैं। एक दूसरे सूत्र ने द हिन्दू के बताया कि थोलिंग क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम में एक संभावित सीमावर्ती गांव का निर्माण देखा गया है और एक सैन्य परिसर भी पास में बन रहा है। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि दोनों स्थानों पर इमारतों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।

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