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मणिपुर हिंसा: सरकार ने उपद्रवियों को दिया गोली मारने का आदेश


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नई दिल्ली – बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राज्यभर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, लेकिन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू है।

आरएएफ सीआरपीएफ की एक विशेष शाखा है जो कानून और व्यवस्था से संबंधित स्थिति से निपटने में काम करती है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, ‘इन 500 जवानों को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया जाएगा.’ फिलहाल सीआरपीएफ की कई कंपनियां मणिपुर में शहर के आसपास के क्षेत्रों में तैनात हैं. जबकि असम राइफल्स और भारतीय सेना सबसे अधिक हिंसक प्रभावित क्षेत्रों में तैनात है. एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ”स्थिति अच्छी नहीं है और इसीलिए राज्यपाल ने देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं.”

नगा और कुकी आदिवासियों की ओर से आदिवासी एकजुटता मार्च निकालने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई थी। हालात रात में और गंभीर हो गए थे। राज्य की 53 फीसदी आबादी वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई। हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।

मार्च का आयोजन मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया। पुलिस ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में भी हमले हुए। इस वजह से पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर के पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की। अधिकारियों ने कहा कि शाह मणिपुर के हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं। अधिकारियों ने कहा कि शाह ने नगालैंड के सीएम नेफ्यू रियो, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा और असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा से टेलीफोन पर बात की। साथ ही गृह मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक कर राज्य के हालात की समीक्षा की। इन बैठकों में मणिपुर के मुख्यमंत्री, प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस प्रमुख, केंद्रीय गृह सचिव और केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।

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