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भारत

गोधराकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला-जानें


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नई दिल्लीः 2002 के गोधरा ट्रेन बोगी आग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 दोषियों को जमानत दी थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने 4 दोषियों की भूमिका को देखते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला दिया। इन 8 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और ट्रायल कोर्ट ने इनकी सजा को बरकरार रखा था। इस जघन्य घटना में अयोध्या के 58 श्रद्धालु जिंदा जल गए थे. इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। दी. इन सभी को गोधरा में एक ट्रेन के कोच में आग लगाने के अपराध में दोषी ठहराया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 12 दोषियों की जमानत याचिका पर विचार किया। इनमें से आठ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर हिंसक भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में आग लगा दी थी। इस घटना में लगभग 59 कारसेवक मारे गए थे। उसके बाद 2002 में पूरे गुजरात में भारी दंगे हुए। गोधरा कांड में दोषियों की जमानत पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की अदालत ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले चार दोषियों को छोड़कर बाकी दोषियों को आजीवन कारावास की जमानत दी जा सकती है। . जमानत पाने वाले सभी दोषी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बाकी लोगों को जमानत की शर्तें पूरी करने के बाद जमानत पर रिहा किया जाए। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर उन्हें जमानत पर रिहा करने की अपील की थी.भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हिंसक अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए इन लोगों को जमानत देने का विरोध किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत को मंजूरी दे दी.

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