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बॉम्बे हाईकोर्ट ने ED को लगाई फटकार,नींद को बताया बुनियादी मानवीय जरूरत


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मुंबई – बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईडी को एक मामले में खरी-खरी सुना दी है। हाईकोर्ट ने एक मामले के सुनवाई के दौरान कहा कि नींद का अधिकार एक बुनियादी मानवीय जरूरत है और इसे न देना किसी भी व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को ये निर्देश दिया कि जब एजेंसी किसी को भी प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत समन जारी किया जाए तो बयान दर्ज करने के लिए “सांसारिक समय” बनाए रखने के निर्देश जारी किए जाएं।

पूरी रात पूछताछ की गई

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वह जारी किए गए समन पर सात अगस्त, 2023 को एजेंसी के सामने पेश हुए और उनसे पूरी रात पूछताछ की गई तथा अगले दिन मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि पीठ ने याचिका खारिज कर दी लेकिन साथ ही कहा कि वह याचिकाकर्ता से रातभर पूछताछ करने की प्रथा को अस्वीकार करती है।

ईडी ने कोर्ट में क्या दी दलील?

इसरानी की ओर से वकील विजय अग्रवाल, आयुष जिंदल और यश वर्धन तिवारी पेश हुए।इसरानी ने कोर्ट को बताया कि वे 7 अगस्त 2023 को दिल्ली में सुबह 10.30 बजे ईडी की जांच में शामिल हुए।इस दौरान एजेंसी ने उनका मोबाइल जब्त कर लिया गया और ईडी अधिकारियों ने घेर लिया।उनका वॉशरूम जाते समय भी पीछा किया गया।वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि इसरानी से पूरी रात पूछताछ की गई, जिससे उनकी ‘नींद के अधिकार’ का उल्लंघन हुआ, जोकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त उनके जीवन के अधिकार का हिस्सा है।

‘नींद की कमी इंसान के हेल्थ को प्रभावित करती है’

एजेंसी की ओर से पेश एडवोकेट हितेन वेनेगांवकर और आयुष केडिया ने कहा कि इस्सरानी को उनके बयान को देर से दर्ज करने पर कोई आपत्ति नहीं थी और इसलिए, इसे दर्ज किया गया। बेंच ने कहा, “सांसारिक समय पर बयान दर्ज करने से निश्चित रूप से किसी व्यक्ति की नींद, जो कि एक इंसान का बुनियादी मानवाधिकार है, से वंचित हो जाती है। हम इस प्रैक्टिस को एक्सेप्ट नहीं कर सकते हैं।” नींद की कमी इंसान के हेल्थ को प्रभावित करती है, उसकी मेंटल स्टेटस, काम करने की स्किल आदि को बिगाड़ सकती है।

सोने का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है

अदालत ने कहा.”स्वैच्छिक हो या अन्यथा लेकिन हम उस तरीके की निंदा करते हैं जिस तरह से इतनी देर रात में याचिकाकर्ता का बयान दर्ज किया गया। यह प्रक्रिया तड़के साढ़े तीन बजे तक चली। सोने का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है और इससे वंचित करना व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन है।” कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तारीख मुकर्रर की।

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