विज्ञान को कैसे पता होती है ब्रह्मांड की उम्र
नई दिल्ली – वैज्ञानिकों को पता चला कि ब्रह्माण्ड की शुरुआत 13.8 साल पहले हुई थी क्योंकि अभी तक तो हमें पूरे ब्रह्माण्ड का अवलोकित कर ही नहीं सके हैं और हमें यह भी नहीं पता है कि हम उसका कितना हिस्सा जान पाए हैं. ऐसे में अवलोकित ब्रह्माण्ड से हमें उसकी उम्र का अदाजा कैसे हो गया. या फिर भविष्य में हमें ऐसे नए अवलोकरने के मौका मिले जिससे ब्रह्माण्ड की उम्र की नई गणना संभव हो जाए.
हबल कॉन्सटेंट नाम से प्रसिद्ध यह ईकाई ब्रह्माण्ड के विभिन्न इलाकों में हो रहे विस्तार की व्याख्या करती है. नासा के मुताबिक हबल कॉन्सटेंट दूर के पिंडों के लिए अधिक है और पास के पिंडों के लिए कम है जिसका सीधा अर्थ यही है कि ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति की दर भी बढ़ रही है. इसका एक मतलब यही है कि ब्रह्माण्ड की उम्र क सिद्ध करना मुश्किल है.
ब्रह्माण्ड की वर्तमान आयु वैज्ञानिकों के कई समूहों ने अपनी अपनी गणनाओं के आधार पर 2020 में निकाली थी जिसके लिए उन्होंने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्लैंक स्पेसक्राफ्ट के आंकड़ों का फिर से आंकलन कर और आटाकामा कॉस्मोलॉजी टेलीस्कोप के आंकड़ों का विश्लेषण किया. नई उम्र 2013 की गणना से केवल 10 करोड़ साल अधिक थी. इन दोनों उपकरणों से वैज्ञानिकों ने कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड या सीएमबी का नक्शा बनाया जो कि बिग बैंग के बाद बचा हुआ प्रकाश है.
2020 की नई गणना से ब्रह्माण्ड की उम्र 13.8 अरब साल निकली. इस आंकलन में मापन सटीक और विभेदन बेहतर था. सटीक मापन से गहराई से त्रुटियों की भी पता चलता है जिससे गणना को सुधारने का मौके मिलते हैं. जैसा कि 2020 के एटीसी के आंकड़े के जरिए किया जा सका जो कि बहुत ज्यादा संवेदी टेलीस्कोप है. इसी तरह के कुछ और अध्ययनों ने भी ब्रह्माण्ड की उम्र यही पाई है. लेकिन यह भी सच है कि ब्रह्माण्ड इससे भी पुराना हो सकता है क्योंकि सब कुछ अवलोकनों की सटीकता पर निर्भर करता है. भविष्य में टेलीस्कोप इन अवलोकनों को और सटीक और बेहतर कर देंगे इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.