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International Mother Language Day : विविधता को बनाए रखने के लिए बहुभाषी शिक्षा और शिक्षण


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नई दिल्ली – जो लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है और उनकी संस्कृति को प्रदर्शित करता है। एक देश में कई मातृभाषा हो सकती हैं। भारत में ही 122 ऐसी भाषाएं हैं, जिनको बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। वहीं 29 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 10 लाख लोग बोलते हैं। भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी, अरबी, जापानी, रूसी, पुर्तगाली, मंदारिन और स्पैनिश बोली जाती हैं। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए और कई मातृभाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से प्रति साल 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

भाषा अभिव्यक्ति का एक माध्यम है, जैसे एक चित्रकार के ब्रश के स्ट्रोक या मंच पर एक कलाकार के भाव। यह किसी की पहचान, विचारों और समझ का एक स्वाभाविक विस्तार है – और इसके भीतर एक समुदाय और सभ्यताओं का इतिहास है।भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और व्यक्तियों, समाजों और संस्कृतियों के विकास में भाषाओं के अमूल्य योगदान को स्वीकार करने के लिए हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 की थीम ‘बहुभाषी शिक्षा- शिक्षा को बदलने की आवश्यकता’ है।

जब 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना तो भौगोलिक रूप से दो हिस्सों में बांटा गया। पहला -पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान। पाकिस्तान ने उर्दू में देश की मातृभाषा घोषित किया। लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला भाषा अधिक होने के कारण उन्होंने बांग्ला को अपनी मातृभाषा बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया। बाद में पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया। 21 फरवरी को उनका संघर्ष पूरा हुआ और बांग्लादेश की वर्षगांठ भी इसी दिन से मनाई जाने लगी।

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