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Black Fungus : कोरोना से ठीक होने के कितने हफ्तों तक बना रहता है ब्लैक फंगस का खतरा?

नई दिल्ली – कोरोना महामारी की दूसरी लहर सिर्फ और सिर्फ परेशानियां लेकर आई है। इस लहर में कोरोना के भी मामले तेजी से बढ़े हैं और साथ ही ब्लैक फंगस संक्रमण यानी म्यूकरमाइकोसिस का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में विशेषज्ञ लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि कोविड से ठीक होने के कितने दिन तक इस बीमारी का खतरा बना रहता है?

डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का गलत तरीके से इस्तेमाल भी ब्लैक फंगस की एक वजह बन सकती है। इस सवाल का दिल्ली स्थित एम्स के सीनियर न्यूरोसर्जन ने जवाब दिया है। एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. पी सरत चंद्रा ने बताया है कि कोरोना से संक्रमित हो चुके मरीजों को छह हफ्तों तक ब्लैक फंगस का खतरा सबसे अधिक होता है।

उन्होंने आगे बताया कि ब्लैक फंगस होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारणों में अनियंत्रित डायबिटीज, इलाज के दौरान टोसीलिज़ुमैब के साथ स्टेरॉयड का ठीक तरीके से नहीं इस्तेमाल, वेंटिलेशन पर रहने वाले मरीज और सप्लीमेंट ऑक्सीजन लेना शामिल हैं। कोरोना इलाज के छह हफ्तों के भीतर यदि इनमें से कोई फैक्टर हैं तो मरीज में ब्लैक फंगस होने का सबसे ज्यादा रिस्क है। डॉक्टर ने आगाह किया कि सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना मरीजों के लिए काफी खतरनाक हो सकता है।

सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना बहुत खतरनाक है। 2-3 सप्ताह के लिए मास्क का इस्तेमाल करना भी ब्लैक फंगस को बुलावा देने जैसा हो सकता है। इस तरह की घटनाओं को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को एंटी-फंगल दवा पॉसकोनाजोल दी जा सकती है। बता दें कि पिछले कुछ दिनों में विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा समेत दक्षिण भारत के भी राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़े हैं।

यह फंगल इंफेक्शन, आमतौर पर मिट्टी, पौधे, खाद और सड़े हुए फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं। यह दिमाग, साइनस, फेफड़ों पर असर डालता है और डायबिटीज से पीड़ित एवं कम इम्यून सिस्टम वाले मरीजों के लिए घातक हो सकता है।

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