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भारतराजनीति

अब CM योगी की बारी, यूपी से गुजरात तक है बदलाव का संदेश


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नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तालमेल को लेकर पिछले कुछ समय से कई सारे कयास लगाए जा रहे थे। योगी के खिलाफ पार्टी के भीतर ही विरोध के स्वर भी उठते सुनाई पड़े थे। कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी पर भी खतरे के बादल मंडराने की बातें कही जा रही थीं। लेकिन, बुधवार को हुए केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार से यह सारी बातें अटकलबाजियां ही साबित हुई हैं।

दरअसल, दिल्ली में बैठी पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने भाजपा शासित राज्यों और उसके नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है। खासकर उनका ध्यान उन राज्यों पर ज्यादा है, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। अभी से चुनाव का गणित महाराष्ट्र के लिए भी बिठाने की कोशिश की गई है। लेकिन, सबसे बड़ा संदेश यूपी के लिए है, जहां अब चुनाव में कुछ महीने ही बाकी रह गए हैं। मोदी कैबिनेट में अब उत्तर प्रदेश के 15 नेताओं को जगह मिल चुकी है। यूपी से नए मंत्रियों को शामिल करने के पीछे अगले साल होने वाला यूपी विधानसभा चुनाव है, जहां से 2024 के लिए बीजेपी का भविष्य तय होना है।

अनुप्रिया पटेल के रूप में कुर्मियों को तो उनका प्रतिनिधित्व मिल चुका है, अब जल्द ही योगी कैबिनेट के विस्तार की संभावना भी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि उसमें निषाद और राजभर समाज को भी प्रतिनिधित्व देकर पार्टी अपने पॉलिटिकल इंजीनियरिंग को पूरी तरह से दुरुस्त करने की कोशिश करेगी। क्योंकि, निर्बल इंडिन शोषित हमारा आम दल (निषाद) पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने अपने बेटे और भाजपा सांसद प्रवीण निषाद को मंत्री नहीं बनाए जाने पर अपनी मायूसी सार्वजनिक तौर पर जाहिर कर दी है। चर्चा हो रही थी कि यूपी में योगी के खिलाफ भाजपा के अंदर ही विरोध के सुर फुटने लगे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने संतोष गंगवार जैसे वरिष्ठ नेता को भी जिस तरह से मंत्रिमंडल से किनारे किया है, उसका संदेश साफ है कि प्रदेश में सीएम योगी ही पार्टी के नेता हैं और विधानसभा चुनाव के लिए उन्हीं की लाइन भाजपा की लाइन होगी।

अगले साल के अंत में गुजरात विधानसभा का भी चुनाव है। गुजरात की राजनीति को मोदी से बेहतर कौन समझ सकता है, इसलिए उन्होंने अभी से पार्टी के लिए लंबी योजना कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेश के नेताओं के सामने रख दी है। मनसुख मंडाविया और पुरषोत्तम रुपाला का प्रमोशन उसी का संदेश है। दोनों नेता वहां के सशक्त पाटीदार समाज से आते हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी और बीजेपी का समर्थक माना जाता है।

उसी तरह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को कैबिनेट में शामिल करके नरेंद्र मोदी ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना को खुली चुनौती दे दी है। पार्टी का संदेश यही बताता है कि भाजपा 2024 का चुनाव अपने दम पर लड़ने की तैयार कर रही है। पूर्व शिवसैनिक राणे कोंकण इलाके के कद्दावर नेता हैं, जहां शिवसेना काफी मजबूत मानी जाती है। उनके दोनों बेटे नितेश और निलेश राणे भी अब भाजपा की राजनीति करते हैं, लेकिन उनकी आक्रमक सियासत का बीज नारायण राणे के शिवसेना में रहने के दौरान के दौरान ही पड़ा है।

हाल के दिनों में एकबार फिर से कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा को अपनी पार्टी के अंदर ही कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन, मोदी ने अपनी कैबिनेट में शोभा करांदलाजे को जगह देकर और वरिष्ठ नेता सदानंद गौड़ा को बाहर का रास्ता दिखाकर साफ कर दिया है कि केंद्रीय नेतृत्व सीएम येदियुरप्पा के पीछे खड़ा है। करांदलाजे को एक प्रभावी और तेज-तर्रार नेता के तौर पर देखा जाता है और उनका चुनाव येदियुरप्पा विरोधी अभियान की धार कुंद करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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