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क्यों टूटा मोरबी का केबल ब्रिज,क्या थी खामियां -जाने विस्तार से


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गुजरात – गुजरात के मोरबी में 135 लोगों की जान लेने वाले पुल की जांच जारी है। खबर है कि जांच में पांच खामियां सामने आई हैं, जिनकी वजह से यह दर्दनाक हादसा हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की विस्तृत और व्यापक जांच की बात कही है। पीएम नरेंद्र भी स्पष्ट कर चुके हैं कि बिना किसी दबाव के मामले की जांच कर हादसे की वजह को जानने और समझने की जरूरत है।

घड़ी बनाने वाली कंपनी को पुल के मरम्मत का काम दिया गया। जिस शख्स को पुल मरम्मत का काम दिया गया था वो बीजेपी को फंड देने का काम करता था। इन सबके बीच कुछ और जानकारी सामने आई है जिससे पता चलता है कि ठेकेदार और फर्म की तरफ से घोर लापरवाही की गई थी।

जल्दबाजी में ब्रिज खोलने के लिए हुए रिनोवेशन अयोग्य सब-कॉन्ट्रैक्टर, ब्रिज की सतह पर एल्युमिनियम की परतें लगाना (जिससे पुल का वजन बढ़ गया) लेकिन केबल को मजबूत नहीं करना, अनियंत्रित रूप से लोगों का आना जाना और कोई आपातकालीन योजना नहीं होना, ये पांच खामियां जांच में सामने आई हैं।

ओरेवा कंपनी लंबे समय से ब्रिज का काम देख रही थी। इस बार रिनोवेशन का काम सब कॉन्ट्रेक्ट के जरिए दो अन्य ठेकेदारों को दिया गया था। बताया जा रहा है कि दोनों इस काम के लिए योग्य नहीं थे। रिनोवेशन के दौरान पुल के फर्श का काम दोबारा किया गया था। एल्युमिनियम की चार परतें लगाई गई, जिससे पुल का वजन बढ़ गया। लेकिन केबल को न मजबूत किया और न बदला गया। खबर है कि नया दिखाने के लिए उसपर केवल पेंट किया गया। इसका मतलब है कि पुल पहले से भी ज्यादा भारी हो गया, जिससे केबल को ज्यादा लोगों की मौजूदगी में भार संभालने में मुश्किलें हुईं।

ठेकेदार को पुल का नवीनीकरण दिसंबर तक पूरा करने के लिए कहा गया था। हालांकि, दिवाली और गुजराती नव वर्ष जैसे त्योहारों के मौसम को देखते हुए पुल को पहले ही खोल दिया गया था।माच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज रविवार शाम करीब 6.30 बजे टूट गया, जिससे पुल पर सवार करीब 400 लोग गिर गए। 135 लोगों की जान चली गई।

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