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जानिए कौन है देश के 50वें CJI जस्टिस DY Chandrachud


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नई दिल्ली – देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Yashwant Chandrachud) होंगे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित (UU Lalit) ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम केंद्र सरकार को भेज दिया है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ मौजूदा सीजीआई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश और इस पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे.आमतौर पर सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सबसे सीनियर न्यायाधीश को नॉमिनेट करते हैं.

जस्टिस चंद्रचूड़ नौ नवंबर को सीजेआई पद की शपथ ग्रहण कर सकते हैं। उनका कार्यकाल दो साल का हो सकता है और वह 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 साल की आयु में और हाई कोर्ट के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस थे. उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक लगभग 7 साल तक रहा, जोकि अब तक का सबसे लंबा समय है. अब पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को भी वही जिम्मेदारी मिलने जा रही है.

मिनर्वा मिल्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि संविधान में संशोधन करने की भारत की संसद की शक्ति संविधान द्वारा सीमित है. इसलिए संसद खुद को असीमित शक्ति प्रदान करने के लिए इस सीमित शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकती है.
शाह बानो मामले में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला को भरण-पोषण मुआवजे का आदेश देने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 में एक प्रावधान लागू किया था.

डीवाई चंद्रचूड़ के पांच बड़े फैसले
जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2017-18 में पिता के दिए गए दो फैसलों को ही पलट दिया था. इसमें एडल्टरी लॉ और शिवकांत शुक्ला वर्सेज एडीएम जबलपुर के फैसले को पलटा था. 2018 में इस फैसले को पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा- एडल्टरी लॉ पितृसत्ता का संहिताबद्ध नियम है. सेक्सवल ऑटोनोमी को महत्व दिया जाना चाहिए.
ट्विन टावर तो आप सभी को याद होगा, जिसे 28 अगस्त को गिराया गया था. 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को तोड़ने का आदेश दिया था. इस फैसले में भी जस्टिस चंद्रचूड़ का हाथ था.
हाल ही में सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार देने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था. इसमें कहा गया था कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 22 से 24 हफ्ते तक गर्भपात का हक सभी को है. इस बेंच की अगुआई भी जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे.
केरल में अखिला अशोकन उर्फ हादिया (25) ने शफीन नाम के मुस्लिम लड़के से 2016 में शादी की थी. परिवार ने इस मामले को लव जिहाद बताया था और हाईकोर्ट ने शादी रद्द कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हादिया की शादी रद्द करने से संबंधित केरल हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया था.
जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद का फैसला करने वाली 5 जजों की बेंच का भी हिस्सा थे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक अलग सहमति वाला निर्णय दिया था.

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