विकसित देश बनने के लिए क्या जरुरी है ?,रघुराम राजन ने किया ये खुलासा
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने की जरूरत है।रघुराम राजन ने कहा कि भारत को विकसित देश बनने के लिए कुपोषण जैसे मुद्दों का समाधान करना होगा और मानव पूंजी की अपनी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।
भारत देश अमीर होने से पहले (जनसांख्यिकीय रूप से) बूढ़ा हो जाएगा
मोदी सरकार ने साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने एक विजन डॉक्यूमेंट विकसित भारत@2047 पेश किया है। लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि अगर 2047 (अमृत काल) तक जनसंख्या में बढ़ोतरी के बिना विकास दर छह प्रतिशत सालाना बनी रहती है तब भी भारत निम्न मध्यम आय वाला देश बना रहेगा। राजन ने हैदराबाद में मंथन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। राजन ने कहा कि अगर देश तेजी से विकास की राह पर आगे नहीं बढ़ता है तो वह अमीर होने से पहले (जनसांख्यिकीय रूप से) बूढ़ा हो जाएगा। इसका मतलब यह है कि उस समय आपको बढ़ती उम्र वाली आबादी के बोझ से भी निपटना होगा।
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में बोले रघुराम राजन
हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब कुपोषण मौजूद है तो देश कैसे विकसित हो सकता है। हम 2047 तक एक विकसित, समृद्ध देश बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं इसे एक उदाहरण के साथ कहना चाहूंगा कि आज 35 प्रतिशत कुपोषण के साथ आप जब 2047 तक एक विकसित समृद्ध देश बनने के बारे में बात कर रहे हैं तो निश्चित रूप से मजाक कर रहे होंगे।
बच्चे अभी कुपोषण से पीड़ित
रघुराम राजन ने आगे कहा कि जो बच्चे अभी कुपोषण से पीड़ित हैं, वे 10 साल बाद श्रम बल में शामिल होंगे। उन्होंने बड़े पैमाने पर उचित प्रशिक्षण देकर देश में मानव पूंजी के पोषण पर भी जोर दिया।उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारत की सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति इसकी मानव पूंजी पर ध्यान केंद्रित करना होगा। हमारे पास दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक 1.4 अरब लोग हैं।
महिलाओं की भागीदारी है कम
राजन ने कहा कि पिछली दो तिमाहियों में भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत के आसपास रही है, और अगर कोई श्रमबल की भागीदारी को देखे है, तो यह काफी कम है. महिलाओं की भागीदारी तो G20 में सबसे कम है.
मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना
मोदी सरकार की नीतियों के धुर आलोचक रहे राजन ने कहा, ‘अगर आप प्रति वर्ष छह प्रतिशत की दर से हिसाब लगाएं तो आपकी आय हर 12 साल में दोगुनी हो जाएगी और इसलिए 24 वर्षों में हमारी प्रति व्यक्ति आय चार गुना हो जाएगी। आज, भारत में प्रति व्यक्ति आय 2,500 डॉलर (2,07,604 रुपये) से थोड़ी कम है। चार से गुणा करने पर हमारी प्रति व्यक्ति 10 हजार डॉलर (8,33,300 रुपये) होगी। इस हिसाब हम 2047 तक अमीर नहीं बल्कि निम्न मध्यम आय वाले देश बने रहेंगे।’
मानव पूंजी पर ध्यान केंद्रित करना होगा- राजन
उन्होंने कहा कि हमें भारत की सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति इसकी मानव पूंजी पर ध्यान केंद्रित करना होगा। हमारे पास दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक 1.4 अरब लोग हैं। राजन ने कहा कि अगर हम बड़ी संख्या में उन लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर सकते हैं तो मूल्य सृजन के मामले में हमारे पास बहुत कुछ है। मैं कहूंगा कि आइए इसके साथ शुरुआत करें।
कम हो जाएगा डेमोग्राफिक डिविडेंड
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि कुछ दक्षिण भारतीय राज्यों में आबादी बढ़ने की दर कम हो रही है। कुछ दक्षिणी राज्य जनसंख्या के मामले में प्रजनन दर से नीचे है। प्रजनन दर नीचे गिरने से विकास धीमा हो गया है। राजन के अनुसार विकास की वर्तमान गति देश को बूढ़ा होने से पहले अमीर बनाने के लिए अपर्याप्त है। साथ ही उन सभी को रोजगार देने के लिए भी पर्याप्त नहीं है, जो श्रम बल के रूप में तैयार हो रहे हैं। यानी 2047 के आसपास देश में बुजुर्गों की बड़ी आबादी होगी। यानी भारत को डेमोग्राफिक डिविडेंड का फायदा मिलना बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा ग्रोथ रेट से लेबर फोर्स में शामिल हो रहे सभी लोगों को रोजगार देना संभव नहीं है और इससे देश के अमीर होने से पहले बूढ़ा होने का खतरा है। तब अर्थव्यवस्था के ऊपर बूढ़ी आबादी का ध्यान रखने का प्रेशर होगा। आज भारत में एक बड़ी आबादी युवाओं की है लेकिन आबादी की औसत उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, डेमोग्राफिक डिविडेंड कम होता जाता है।
जीडीपी वृद्धि पर कही थी यह बात
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में जारी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज वृद्धि का श्रेय बुनियादी ढांचा पर खर्च और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अच्छे प्रदर्शन को दिया है। राजन ने पिछले दिनों कहा था कि भारत की वृद्धि दर मजबूत होने के बावजूद निजी निवेश और निजी उपभोग में तेजी नहीं आई है। उन्होंने कहा था कि अगर आप देखो कि हमने इस साल इतना अच्छा प्रदर्शन क्यों किया तो इसका एक कारण यह भी है कि दुनिया अच्छा कर रही है। इसके अलावे पहली छमाही में इस मजबूत वृद्धि का एक अन्य कारण बुनियादी ढांचे पर सरकार का जबरदस्त खर्च है। जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर उम्मीद से अधिक 7.6 प्रतिशत रहने के साथ भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार रखा है।