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चीन में H9N2 इन्फ्लूएंजा वायरस का बढ़ा खतरा, जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार (24 नवंबर) को कहा कि वह चीन में बच्चों में एच9एन2 मामलों (नोवल एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस) और श्वसन संबंधी बीमारियों के समूहों के फैलने की बारीकी से निगरानी कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि भारत को एवियन इन्फ्लूएंजा के मामलों से कम खतरा है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने अक्टूबर 2023 में चीन से सामने आए एक मामले की पृष्ठभूमि में देश में एवियन इन्फ्लूएंजा के खिलाफ तैयारियों के उपायों पर चर्चा करने के लिए हाल ही में एक बैठक की।

भारत किसी भी तरह की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति के लिए तैयार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा,भारत किसी भी तरह की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति के लिए तैयार है। भारत ऐसे सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए एक समग्र और एकीकृत रोडमैप अपनाने के लिए वन हेल्थ दृष्टिकोण पर काम कर रहा है।मंत्रालय ने कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है, खासकर कोविड महामारी के बाद से। इसके अतिरिक्त, भविष्य में किसी भी प्रकोप का जवाब देने के लिए प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तरों पर स्वास्थ्य प्रणालियों और संस्थानों की क्षमता विकसित करने के लिए प्रधान मंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) शुरू किया गया था।

कोरोना के बाद अब चीन एक नई परेशानी

कोरोना के बाद अब चीन एक नई परेशानी से जूझ रहा है. चीन में इस समय रहस्यमयी वायरस फैला हुआ है, जिससे पूरी दुनिया दहशत में है. हालांकि इसे निमोनिया बताया जा रहा है. निमोनिया के मामले फ्लू और इंफ्लूएंजा H9N2 की वजह से फैल रहे हैं. H9N2 एक तरह का वायरस है. ये तेजी से बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. भारत इसपर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस बीमारी को लेकर चिंता व्यक्त की है साख ही सतर्क रहने की सलाह दी है.

H9N2 क्या है और कोई इसे कैसे अनुबंधित करता है?

H9N2 इन्फ्लूएंजा ए वायरस का एक उपप्रकार है, जो मानव इन्फ्लूएंजा के साथ-साथ बर्ड फ्लू का कारण बनता है। यूएस नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (एनसीबीआई) के अनुसार, एच9एन2 वायरस दुनिया भर में जंगली पक्षियों में पाया जाता है और कई क्षेत्रों में पोल्ट्री में स्थानिक है।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो H9N2 एक वायरस है, जो जानवरो से इंसानो मे फैलता है और फिर इसका ट्रांसमिशन इंसानो में होता है. H9N2 वायरस जंगली पक्षियों में पाया जाता है. हालांकि बताया ये भी जा रहा है कि इंसानों में इसके ट्रांसमिशन की दर कम है, लेकिन ये कमजोर इम्यूनिटी को अपनी चपेट में तेजी से लेता है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस बीमारी के सिम्टम्स बिल्कुल फ्लू की तरह ही हैं. साथ ही साथ कुछ केसेस में सांस से संबंधित परेशानियां हो सकती है. H9N2 से सामान्य तौर पर मरीज को एक हप्ते में राहत हो जाती है.

H9N2 वायरस पहली बार अमेरिका में आया सामने

H9N2 वायरस पहली बार 1966 में अमेरिका में सामने आया था. तब ये वायरस जंगली टर्की पक्षी के झुंड में पाया गया था. 1988 में इंसानी संक्रमण का पहला केस आया था. इसके बाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश समते कई देशों में इस वायरस के केस आए थे. ये वायरस पॉल्ट्री फार्म में सबसे ज्यादा फैलता है. यह पक्षियों के साथ इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है.लैंसेट के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि पोल्ट्री को मनुष्यों को संक्रमित करने वाले एच9एन2 नोवेल एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस की उत्पत्ति के लिए आनुवंशिक इनक्यूबेटर माना जाता है।

H9N2 के लक्षण क्या हैं और इसे फैलने से कैसे रोकें?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार , एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के संपर्क में आने से हल्के, फ्लू जैसे लक्षण या आंखों की सूजन से लेकर गंभीर, तीव्र श्वसन रोग या मृत्यु तक का संक्रमण हो सकता है। रोग की गंभीरता संक्रमण फैलाने वाले वायरस और संक्रमित व्यक्ति की विशेषताओं पर निर्भर करती है।डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए, व्यक्तियों को पशु इन्फ्लूएंजा वायरस से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में जानवरों के साथ संपर्क कम से कम करना चाहिए, जिसमें खेत और सेटिंग भी शामिल हैं जहां जीवित जानवरों को बेचा या मारा जा सकता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जानवरों के संपर्क से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोने सहित व्यक्तिगत और हाथ की स्वच्छता बनाए रखना वायरस से संक्रमित होने से बचने के लिए आवश्यक है।

क्या हैं लक्षण

डॉक्टर्स की मानें तो ये पक्षियों से इंसानों में आता है. इसमें आम फ्लू जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे खांसी, जुकाम और बुखार. साथ ही साथ ये कुछ मामलो में लंग्स को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है. ऐसे में हो सकता है कि चीन में निमोनिया के मामले बढ़ने का कारण एच9एन2 वायरस हो, हालांकि अभी इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है. चीन की तरफ से कहा गया है कि वहां फैल रही बीमारी में कुछ भी असामान्य नहीं है. उन्होंने इसे नॉर्मल डिसिस करार दिया है. हालांकि WHO ने इसे लेकर चिंता जताई है.

कैसे बचें-

H9N2 से बचने के लिए हमें कुछ चीजों का पालन करना चाहिए जैसे-

  • सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें
  • बाहर निकलने पर मास्क पहनें
  • साफ-सफाई का विषेश ध्यान रखें
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें

    इन्फ्लूएंजा से ठीक होने में कितना समय लग सकता है?

    इन्फ्लूएंजा से पीड़ित लोग आमतौर पर एक या दो हफ़्ते में ठीक हो सकते हैं। हालाँकि, इन्फ्लूएंजा के लक्षण आमतौर पर तीन से पाँच दिनों के भीतर कम हो जाते हैं। यदि लक्षण बढ़ जाते हैं या एक सप्ताह के बाद भी बने रहते हैं, तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। इन्फ्लूएंजा से हर साल काफ़ी लोग मरते हैं, इसलिए इस संक्रमण का इलाज करना और इससे उत्पन्न होनेवाली जटिलताओं को विकसित होने से रोकना आवश्यक है। यदि गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं, तो उनका इलाज चिकित्सा देखभाल द्वारा किया जा सकता है।

    इनफ़्लुएंज़ा का खुद इलाज करने के तरीके

    इनफ़्लुएंज़ा का खुद इलाज करने के तरीके निम्न हो सकते हैं:

    1. पर्याप्त आराम: इन्फ्लुएंजा से संक्रमित होने पर, अपने शरीर को पूरी तरह से आराम देना आवश्यक है।
    2. पूरी नींद: पूरी नींद लेने से शरीर की ताकत को बढ़ाया जा सकता है और लक्षणों को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
    3. हाइड्रेशन: पर्याप्त पानी पीने से शरीर में हाइड्रेशन बना रहता है और तापमान को कम करने में मदद मिल सकती है।
    4. गरम द्रव्यों का सेवन: गरम चाय, सूप, और गरम पानी पीने से, लक्षणों को कम किया जा सकता है, साथ ही खाँसी और ठंड लगने जैसे लक्षण कम हो सकते हैं।
    5. ड्राई फ्रूट्स का सेवन: ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना शरीर के लिए अधिक पौष्टिक हो सकता है, जिससे शरीर की ताकत भी बढ़ सकती है।
    6. खाँसी और ठंड के लिए घरेलू उपाय: गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना, गरारे करना और गर्म पानी में नमक और हल्दी मिलाकर गरारे करना, खाँसी और सर्दी को कम करने में मदद कर सकता है।
    7. दवाइयाँ: डॉक्टर द्वारा निर्धारित किए गए दवाइओं का सेवन करना, लक्षणों को कम कर सकता है।
    8. संक्रमित व्यक्तियों से बचाव: संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना और उनसे दूरी बनाए रखना, संक्रमण से बचने में मदद कर सकता है।
    9. मास्क पहनना: इन्फ्लूएंजा के लक्षण होने पर, मास्क पहनने से दूसरों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है।
    10. ख़ुद की देखभाल: ख़ुद की देखभाल करना, स्वस्थ रहना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना आत्म-उपचार को सफल बना सकता है।

    इन्फ्लूएंजा का उपचार

    इन्फ्लूएंजा के उपचार में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह का पालन करना आवश्यक है। लक्षणों की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर इन्फ्लूएंजा का उपचार किया जा सकता है। इन्फ्लूएंजा के उपचार के लिए कुछ उपचार विकल्प निम्न हैं:

    1. आराम: यदि कोई व्यक्ति इन्फ्लूएंजा से पीड़ित है, तो उसके लिए अधिक आराम करना फायदेमंद हो सकता है।
    2. गरारे करना: गरारे करने से, खाँसी और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
    3. दवाइयों का सेवन: डॉक्टर की सलाह के अनुसार खाँसी और सर्दी के लिए, उपयुक्त खाँसी सिरप और एंटीपायरेटिक दवाइयों का सेवन किया जा सकता है।
    4. हाइड्रेशन बनाए रखना: पर्याप्त पानी पीना, बुखार की दवा के रूप में काम करता है और तापमान बनाए रखने में भी मदद करता है।
    5. खानपान का ध्यान रखना: स्वस्थ आहार और पर्याप्त पौष्टिकता से भरपूर खाना खाने से, इन्फ्लूएंजा से लड़ने में मदद मिल सकती है।
    6. डॉक्टर की सलाह लेना: स्थिति गंभीर होने पर, डॉक्टर की सलाह लेना और उसके बताए गए उपचार का पालन करना आवश्यक है।
    7. दवाइओं का समय पर सेवन करना: डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई दवाइयों का समय पर सेवन करना आवश्यक है।

    इन्फ्लूएंजा की रोकथाम / इन्फ्लूएंजा से बचाव

    इन्फ्लूएंजा की रोकथाम या इन्फ्लूएंजा से बचाव के उपायों का पालन करने से व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ रख सकता है। यहाँ कुछ महत्त्वपूर्ण उपाय बताए गए हैं:

    1. स्वच्छता का ध्यान रखना: हाथ धोते समय, साबुन का इस्तेमाल करना ख़ासकर खाना खाने से पहले, इन्फ्लूएंजा वायरस से बचाने में मदद कर सकता है।
    2. मास्क पहनना: यदि किसी व्यक्ति के आसपास इन्फ्लूएंजा संक्रमित व्यक्ति है, तो मास्क पहनने से वह व्यक्ति ख़ुद को संक्रमण से बचा सकता है।
    3. हाथों की सफाई: अपने हाथों को समय-समय पर साबुन से धोना और सैनिटाइजर का उपयोग करना, इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है।
    4. संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना: संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचने से, इन्फ्लूएंजा वायरस से बचाव संभव है।
    5. स्वस्थ आहार और पूरी नींद: स्वस्थ आहार लेना और पूरी नींद लेना, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है।
    6. इम्यूनाइजेशन (टीकाकरण): बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और अन्य संक्रमण-संवर्धित व्यक्तियों (Infection-Prone Individuals) का इन्फ्लूएंजा के खिलाफ टीकाकरण का पालन करना, उन्हें इन्फ्लूएंजा से बचा सकता है।
    7. गर्मी के संपर्क में अधिक रहना: इन्फ्लूएंजा के संक्रमण से बचने के लिए, बच्चों को बाहर गर्मियों में ज़्यादा देर तक समय बिताना आवश्यक है, क्योंकि गर्मी में वायरस के प्रसार की संभावना कम होती है।
    8. इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के बने रहने पर, डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने से सही समय पर उपचार संभव है।

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