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ईरान से बदला लेने से पहले इजरायल ने किया बड़ा एलान ,दुनिया को दिया ये संदेश


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नई दिल्लीः इजरायल और ईरान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. इजरायल, ईरान से हिसाब चुकता करना चाहता है. मुंहतोड़ जवाब देना चाहता है. नेतन्याहू बेताब हैं लेकिन अमेरिका और यूरोप के दबाव ने उनके हाथ बांध रखे हैं. ईरान उकसा रहा है, लेकिन यूएस और पश्चिमी देश उसे रोक रहे हैं. अमेरिका ने इजरायल को सब्र रखने को कहा है. अमेरिका, औद्योगिक देशों के G-7 समूह और यूरोपीय यूनियन ने ऐलान किया है कि वे ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाकर घुटनों के बल ला सकते हैं, बशर्ते इजराइल किसी भी जवाबी हमले से बचेगा. ऐसी अटकलों के बीच इजरायल ने ये ठान लिया है कि चाहे कुछ हो जाए वो हमले का बदला जरूर लेगा.

इजरायल नहीं मानेगा…युद्ध होकर रहेगा?

हाल ही में खत्म हुई नेतन्याहू की वार कैबिनेट बैठक में ये साफ किया गया है कि भले ही सहयोगी देश कुछ कहें, लेकिन इजरायल अपनी रक्षा के लिए जरूरी हर कदम जरूर उठाएगा. इससे ठीक पहले ब्रिटिश विदश मंत्री डेविड कैमरून और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक इजरायल को समझाने तेलअवीव पहुंचे थे.जर्मनी और ब्रिटेन ने हमले के बाद इजरायल से संयम रखने की अपील की है और चेतावनी दी है कि ईरान के खिलाफ कोई भी कार्रवाई मध्य पूर्व को बड़े युद्ध की तरफ ले जा सकती है. वहीं केमरून ने साफ कहा कि इजरायल के इरादे देख ये साफ है कि वो जल्द हमला करने वाला है.

यूरोपियन यूनियन का बैन काम आएगा?

यूरोपीय संघ के पास ईरान के खिलाफ पहले से ही कई प्रतिबंध हैं, जिनमें व्यापार , ट्रैवल और संपत्ति फ्रीज शामिल हैं और अब इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी की जा चुकी है. ईरान और इजरायल के इस तनाव के बीच गाज़ा पर इजरायल के अटैक भी लगातार जारी है. और अब मिडिल ईस्ट की ये जंग आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है क्योंकि हमास और इजरायल के बीच शांति बनाने की कोशिश कर रहा कतर भी अब पीछे हटने लगा है. कतर के प्रधानमंत्री ने कहा कि वो इज़राइल और हमास के बीच मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका पर दोबारा सोच रहा है.

ईरानी मिसाइलों की रैंज का दिया ब्यौरा

अपने एक अन्य पोस्ट में इजरायल ने ईरान द्वारा 14 अप्रैल को दागी गई सभी मिसाइलों की रैंज का ब्यौरा दिया है। इजरायल ने बताया है कि ईरान ने उस पर 300 मिसाइलें दागी थीं। इनमें से 170 यूएवी मिसाइलें थीं, जिनकी मारक क्षमता 2500 किलोमीटर तक है। 120 बैलिस्टिक मिसाइलें थीं, जिनकी मारक क्षमता 2000 किलोमीटर तक है। इसके अलावा 30 क्रूज मिसाइलें थीं। इनकी मारक क्षमता भी 2000 किलोमीटर तक है। ऐसे में समझ सकते हैं कि ईरान ने कितना बड़ा हमला इजरायल पर किया था। अगर इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम एक्टिव नहीं होता तो तेल अवीव में बड़ी तबाही मच सकती थी। इजरायल ने इन ईरानी मिसाइलों में से 99 फीसदी को हवा में ही मारकर गिरा दिया। इससे बड़ा नुकसान होने से बच गया।

‘अमेरिकी सेना इजराइल की रक्षा करेगी’

उधर, अमेरिकी सेना ने पुष्टि की है कि उसने ईरान और यमन से दागे गए 80 से अधिक ड्रोन और छह बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट कर दिया है. साथ ही ईरान के इस तरह के अटैक के खिलाफ वो इजराइल की रक्षा करेगी. हम इसके लिए अपने सभी क्षेत्रीय साझेदारों के साथ काम जारी रखेंगे.

‘हमले से पहले इजराइल को चेतावनी दी थी’

वहीं, इराक, जॉर्डन और तुर्की के अधिकारियों ने कहा है कि ईरान के हमले से कुछ दिन पहले इजराइल को चेतावनी दी गई थी. ईरान ने ड्रोन और मिसाइल लॉन्च करने से पहले पड़ोसी देशों और अमेरिका को 72 घंटे का नोटिस दिया था. तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने हमले से पहले तेहरान और वाशिंगटन बात की थी.

हमले के बाद अमेरिका की इजराइल से बातचीत

अमेरिका के रक्षा सचिव ने इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट से बात की. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट भी किया. इसमें कहा, मैंने आज इस हफ्ते के अंत में तीसरी बार इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट से बात की. हम इजराइल और अमेरिकी कर्मियों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करना जारी रखेंगे.

मौके की तलाश में इजरायली सेना

कान समाचार की रिपोर्ट कहती है कि इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ईरान में मौके का फायदा उठाने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। कई रिपोर्ट अटकलें भी लगाई गई हैं कि क्या इजरायली सेना सीधे ईरानी धरती पर हमला करेगी। इस तरह का कदम दोनों के बीच तनाव को बढ़ाएगा। काफी लोगों का मानना है कि इजरायल सीधे हमले की बजाय ईरानी दूतावास या प्रॉक्सी समूह को निशाना बनाएंगे।

इन पांच तरीकों से ईरान से बदला लेगा इजरायल

परमाणु संयंत्र पर एयरस्ट्राइक

इजरायल ईरान के न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बना सकता है. इजरायल को ईरान की दुखती रग के बारे में पता है. जैसा कि वो 1981 में इराक व 2007 में सीरिया के परमाणु प्लांट पर हमला कर चुका है.

सैन्य ठिकानों पर हमला

इजरायल, ईरान की सेना के स्पेशल विंग रिवोल्यूशनरी गार्ड के ठिकानों पर हमला कर सकता है. जैसा कि उसने 2020 में ईरान का ड्रोन बेस बर्बाद करके उसे बड़ी चोट पहुंचाई थी.

मददगारों के हाथ काटना

हमसे तेज इजराइल यमन के हूती, लेबनान के हिजबुल्ला पर कड़ी कार्रवाई सैन्य कर सकता है. वो गाजा में एक बार फिर से बड़ा सैन्य अभियान चला सकता है. साउथ गाजा में हमास के 8 हजार से ज्यादा दरिंदे छिपे हैं.

ईरान को अलग-थलग करना

इजरायल के पास रईस और मजबूत मददगारों की कमी नहीं है. ऐसे में वो दुनिया के नक्शे से ईरान को अलग-थलग करने के लिए बहुत बड़ा अभियान चला सकता है.

साइबर अटैक

सबसे आखिरी लेकिन दिखने में सामान्य और सबसे खतरनाक ऑप्शन की बात करें तो इजरायल, ईरान के सैन्य ठिकानों या बिजली प्लांट्स की सप्लाई प्रभावित कर सकता है. वो ईरान पर लगातार साइबर हमले करके उसके बिजनेस और सप्लाई चेन को नुकसान पहुंचाकर तेहरान की इकोनॉमी को कमजोर कर सकता है.

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