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काले कपड़े, नंगे पैर चलना… ‘अयप्पा दीक्षा’ के लिए कड़े नियमों का पालन कर रहे राम चरण तेजा


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मुंबई : कुछ समय पहले ही साउथ इंडस्ट्री की धमाकेदार फिल्म आरआरआर ने पूरी दुनिया में धूम मचा दी है. अरबों के कारोबार के साथ फिल्म लगातार लोगों के दिलों को भी जीत रही है. इसी बीच RRR फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता राम चरण तेजा को हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट पर काले रंग के कपड़ों, बिना चप्पल के देखा गया था. अब खबर आ रही है कि, वह भगवान अयप्पा स्वामी का 41 दिनों का महाव्रत कर रहे हैं. ये व्रत बेहद ही कठिन होता है.

पारिवारिक सूत्रों ने ये भी बताया है कि वह पूरी श्रद्धा का साथ सभी नियमों का पालन कर रहे हैं. तकरीबन तीन महीने पहले अजय देवगन ने भी इन सभी नियमों का पालन किया था.

जानकारी के मुताबिक, देशभर में साउथ के सुपरस्टार्स को लेकर बीते कुछ दिनों में क्रेज बढ़ा है. इन सुपरस्टार्स की एक्‍ट‍िंग के साथ ही जो एक चीज फैंस को सबसे ज्यादा पसंद आती है, वह है उनकी सादगी. RRR फिल्म की इतनी तगड़ी सफलता के बाद फिल्म के अभिनेता राम चरण तेजा काफी चर्चा में हैं.

दरअसल, हाल ही में राम चरण को मुंबई में प्राइवेट एयरपोर्ट के बाद बांद्रा इलाके में एक रेस्त्रां के बाहर बिना चप्पलों के काले कपड़ों में स्पॉट किया गया. यही नहीं, वह गेटी गैलेक्सी थिएटर भी पहुंचे थे. उन्होंने वहां भी चप्पल नहीं पहनी थी. राम चरण इस दौरान काले कुर्ते, चूड़ीदार के साथ नजर आए. उनका यह ऑल ब्लैक लुक भी खूब पसंद किया जा रहा है.

हालांकि, राम चरण के नंगे पांव होने के पीछे एक बड़ा कारण था. एक यूजर ने ही इसकी जानकारी विस्तार से दी.

उन्होंने लिखा, ‘यह दक्षिण भारत की एक परंपरा है, जिसे अयप्‍पा दीक्षा (Ram Charan Ayyappa Deeksha) कहते हैं.

यह 41 दिनों तक चलती है. इसमें 41 दिनों अपना सब कुछ भगवान को समर्पित कर देते हैं. न चप्पल पहनते हैं, न नॉनवेज खाते हैं. जमीन पर सोते हैं.’ इसी फैन ने यह भी बताया कि राम चरण हर साल यह काम करते हैं. राम चरण के परिवार वालों ने भी इस बात की पुष्टि की है.

सबरीमाला में भगवान अयप्पा के दर्शन की इच्छा रखने वालों को पहले 41 दिनों तक कठिन अनुष्ठान करना पड़ता है. इसे ‘मंडलम’ कहा जाता है. इसके लिए 41 दिन तक समस्त लौकिक बंधन छोड़कर ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. नीले या काले कपड़े पहनने पड़ते हैं. गले में तुलसी की माला रखनी होती है और दिनभर में सिर्फ एक बार ही साधारण खाना खाना होता है.

इसमें हर दिन शाम को पूजा करनी होती है और जमीन पर ही सोना पड़ता है. इसके अलावा मंदिर यात्रा के दौरान सिर पर इरुमुडी रखनी होती है. यानी दो थैलियां और एक थैला. एक में घी से भरा हुआ नारियल व पूजा सामग्री होती है और दूसरे में भोजन सामग्री. इसे लेकर शबरी पीठ की परिक्रमा की जाती है, तब जाकर 18 सीढ़ियों से होते हुए मंदिर में प्रवेश मिलता है.

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