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Manipur Violence : SC कहा हम सरकार नहीं चलाते,कानून व्यवस्था बनाए सरकार


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मुंबई – सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई की। अदालत ने दो टूक कहा, शीर्ष अदालत के मंच का इस्तेमाल मणिपुर में हिंसा को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज मणिपुर की स्थिति पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून और व्यवस्था नहीं चला सकता है। ये काम चुनी हुई सरकार का है। दरअसल, कुकी समूहों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने राज्य में बढ़ती हिंसा के बारे में चिंता जताई। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने की मांग की है।

मणिपुर सरकार ने स्थिति पर नवीनतम स्टेटस रिपोर्ट सौंपी, जबकि इस पर सुनवाई मंगलवार को फिर से शुरू होगी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि मणिपुर की स्थिति एक मानवीय मुद्दा है; ‘आइए इसे पक्षपातपूर्ण मामले के रूप में न देखें।’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, याचिकाकर्ता इस मामले को पूरी संवेदनशीलता के साथ उठा सकते हैं क्योंकि किसी भी गलत सूचना से स्थिति बिगड़ सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि मणिपुर की स्थिति में गंभीर वृद्धि हुई है। दलीलों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “ठोस सुझाव के साथ अदालत में आएं।” सीजेआई ने गोंसाल्वेस से कहा, “आपका संदेह हमें कानून व्यवस्था संभालने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता।” गोंसाल्वेस ने तर्क दिया कि नैरेटिव मणिपुर में आदिवासियों के खिलाफ है। सीजेआई ने कहा, “हम नहीं चाहते कि इस कार्यवाही को राज्य में मौजूद हिंसा और अन्य समस्याओं को और बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया जाए। सुरक्षा तंत्र या कानून व्यवस्था हम नहीं चलाते हैं।”

मणिपुर में जातीय समूहों के बीच संघर्ष के कारण पिछले दो महीनों से स्थिति तनावपूर्ण है। सोमवार को मणिपुर के वेसर कांगपोकपी इलाके में रात भर हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए। अशांति का दौर 3 मई को शुरू हुआ जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति की मांग के खिलाफ एक मार्च आयोजित किया गया। 100 से अधिक लोगों की मौत की रिपोर्ट सामने आ चुकी है।

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