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भारत

pune porsche car accident: नाबालिग बेटे को गाड़ी थमाने वाले बिल्डर को क्या मिलेगी सजा

नई दिल्ली – पुणे हिट एंड रन केस में पुलिस ने बताया कि आरोपी नाबालिग युवक एक्सीडेंट से पहले दो पब में गया था। वहां उसने दोस्तों के साथ शराब पी और 48 हजार रुपए का बिल चुकाया था। कोर्ट ने नाबालिग लड़के को 15 दिन तक समाज सेवा करने और निबंध लिखने की शर्त पर जमानत दी है। 19 मई को नाबालिग ने पोर्शे कार से दो IT इंजीनियर्स युवक-युवती को टक्कर मारी थी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस ने आरोपी के पिता सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है।

नशे में धुत नाबालिग

महाराष्ट्र पुणे में 19 मई को नशे में धुत नाबालिग ने तेज रफ्तार पोर्श कार से दो इंजीनियरों को बीच सड़क पर उड़ा दिया। निचली अदालत ने नाबालिग को हादसे पर निबंध लिखने की शर्त पर जमानत भी दे दी। जब मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने औरंगाबाद से उसके पिता को गिरफ्तार किया, जिसने बिना रजिस्ट्रेशन की पोर्श कार की स्टेयरिंग अपने नाबालिग बेटे को थमाई थी। इस घटना पर लोगों के बीच बहस जारी है। गलती किसकी है? शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले नाबालिग की या उसके पिता की। मोटर वीइकल एक्ट में नाबालिग अपराधियों के लिए अलग धाराएं हैं, जिसमें ऐसे मामलों में पैरेंटस या वाहन मालिक की जवाबदेही तय की गई हैं। अगर नाबालिग करता है तो उसे गाड़ी चलाने की अनुमति देने वाले को तीन साल की कैद और 25 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। इस कानून में भी एक लूप होल है।

नाबालिग ड्राइवरों की ओर से किए गए हादसों

नाबालिग ड्राइवरों की ओर से किए गए हादसों को देखते हुए केंद्र सरकार ने मोटर वीइकल एक्ट में कई प्रावधान किए थे। नियम के मुताबिक, अगर रोड पर नाबालिग एक्सिडेंट करता है तो गाड़ी के मालिक स्वत: जिम्मेदार होगा। इसके साथ ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन भी एक साल के लिए कैंसल हो जाएगा। अगर यह साबित होता है कि नाबालिग पिता या वाहन मालिक की सहमति से ड्राइव कर रहा था, तो उसे तीन साल की कैद हो सकती है। साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। मगर पहले कई ऐसे मामले हुए हैं, जहां केस लंबा चला और किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा। 8 साल पहले दिल्ली की शिल्पा मित्ता के भाई सिद्धार्थ शर्मा को तेज रफ्तार मर्सिडीज ने कुचल दिया था। तब से वह न्याय के लिए केस लड़ रही हैं। यह मामला पुणे पोर्श हादसे जैसा ही था। शिल्पा का कहना है कि वह पिछले आठ सालों से अपने भाई का केस लड़ रही हैं और अभी तक कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई है।

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