10 साल में दो राज्य में सत्ता, दिल्ली से पंजाब तक कैसा रहा आप का सफर?
नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली पार्टी ने 2015 में 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में 67 सीटें जीतकर राज्य में सत्ता बरकरार रखने की कोशिश की थी। लेकिन, पांच साल के उनके सफर में कई साथियों ने साथ छोड़ दिया या वे बाहर कर दिए गए।पंजाब में आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई दिग्गज मात खा गए हैं। आप को प्रचंड बहुमत के बाद पूरे पंजाब के आप कार्यकर्ताओं में जश्न है। आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार भगवंत मान ने संगरूर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जीत का जश्न मनाया। भगवंत मान इस दौरान अपनी मां को भी गले लगाते दिखे।
पंजाब में आप को मिली जीत से पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल गदगद हैं। आप की जीत को उन्होंने इंकलाब बताया। उन्होंने भगवंत मान के साथ अपनी फोटो ट्वीट कर उन्हें बधाई दी।
जनलोकपाल बिल बनाने की मांग को लेकर पांच अप्रैल 2011 को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अनशन शुरू किया था।
माना जाता है कि अरविंद केजरीवाल इस आंदोलन के सूत्रधार थे। वे इस आंदोलन के नायक बन कर उभरे।
अन्ना के आंदोलन को किरण बेदी, कुमार विश्वास, जनरल वीके सिंह, योगेंद्र यादव जैसी हस्तियों ने समर्थन दिया। सरकार ने इस बिल के लिए एक समिति बनाने का वादा किया। इसके बाद यह आंदोलन नौ अप्रैल 2011 को समाप्त हो गया।जब सरकार ने आश्वासन के बाद भी 15 अगस्त तक विधेयक पास नहीं हुआ तो 16 अगस्त 2011 को अन्ना ने दोबारा आंदोलन शुरू किया।
इस आंदोलन को देश भर का समर्थन मिला। आखिरकार सरकार आनन-फानन में यह विधेयक संसद में लेकर आई।संसद से विधेयक के पारित होने के बाद अन्ना का आंदोलन खत्म हुआ।अन्ना अपने आंदोलन से राजनीति को दूर रखते थे, लेकिन इस आंदोलन के खत्म होते ही आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ। 2012 में आम आदमी पार्टी का आधिकारिक तौर पर गठन हुआ। तब वकील और कार्यकर्ता शांति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास केजरीवाल के साथी थे।
2012 में बनी आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली में अपना पहला चुनाव लड़ा। सरकार भी बनाई।
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आप दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसे 28 सीटें मिलीं।
कांग्रेस ने उसे बाहर से समर्थन दिया और दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बन गई। हालांकि 49 दिन बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया।
2014 लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन रहा। 400 सीटों पर चुनाव लड़ा, 4 पर जीत मिली।
2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिली। 2017 दिल्ली नगर निगम और 2019 लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन रहा।
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की। आप को 70 में से 67 सीटें मिलीं।
पांच साल के उनके सफर में कई साथियों ने साथ छोड़ दिया या वे बाहर कर दिए गए। अप्रैल 2015 में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और आनंद कुमार को आप से निकाल दिया गया।
दिल्ली के बाद धीरे-धीरे आप ने दूसरे राज्यों में अपना विस्तार शुरू किया। 2017 में आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा और 20 सीटें हासिल कीं।