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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका ने फिर की भारत की तारीफ, जताया मोदी का आभार


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नई दिल्ली – रूस और यूक्रेन के बीच आज युद्ध का आठवां दिन है। रूस की ओर से अभी भी ताबड़तोड़ हमले किए जा रहे हैं। यूक्रेन के साथ युद्ध छेड़ने के बाद से रूस का बहिष्कार देखने को मिल रहा है. इस बीच रूस ने भी उन देशों पर पाबंदियां लगाई हैं जो उसके खिलाफ हैं. रूस ने गुरूवार को दावा किया कि उनके सशस्त्र बलों से यूक्रेन के 1600 से अधिक सैन्य ठिकानों को बरबाद कर दिया।

वहीं संयुक्त राष्ट्र में गैरहाजिर होकर भारत एक तरह से लगातार अपने सबसे पुराने दोस्त को अपना समर्थन दे रहा है। जाहिर है कि यह बात अमेरिका को खल रही होगी। जो बाइडेन से लेकर कई अधिकारी और सीनेटर भारत के साथ अपनी नई दोस्ती को मजबूत करने की कवायद कर रहे हैं। अमेरिका के एक शीर्ष सीनेटर ने बुधवार को यहां कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती के लिए अमेरिका भारत के लोगों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी है। नियर ईस्ट, साउथ एशिया, सेंट्रल एशिया और आतंकवादरोधी सीनेट फॉरेन रिलेशंस उपसमिति के अध्यक्ष सीनेटर क्रिस मर्फी ने कहा, “अमेरिका-भारत संबंध यकीनन कभी मजबूत नहीं रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका हमारी बढ़ती दोस्ती के लिए भारत के लोगों और प्रधानमंत्री मोदी का आभारी है।”

कनेक्टिकट के डेमोक्रेटिक सीनेटर ने भारत-अमरीका संबंधों पर सीनेटर कांग्रेस की सुनवाई में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि द्विपक्षीय संबंध अच्छे कारणों से बढ़ रहे हैं। अब से पांच साल बाद भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहले से ही दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पिछले साल यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था थी।

उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। वैश्विक महामारी के दौरान भारत का बायोफार्मास्युटिकल उद्योग संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी दुनिया में पीपीई किट और टीकों के प्रमुख उत्पादक के रूप में उभरा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत ने खुद को अलग रखा था। रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को गिरा दिया था। रूस ने भारत के स्टैंड के लिए धन्यवाद कहा था। वहीं, अमेरिका ने भी कहा कि इससे हमें कोई दिक्कत नहीं है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध, अमेरिका और रूस के बीच संबंधों से अलग है। इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है।

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