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Lok Sabha Election 2024 : कौन हैं केएल शर्मा? जिनको कांग्रेस ने अमेठी से स्मृति ईरानी के खिलाफ उम्मीदवार बनाया


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नई दिल्लीः कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार यूपी की अमेठी लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस की तरफ से किशोरी लाल शर्मा इस सीट पर मौजूदा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी से मुकाबला करेंगे.राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी को मात देकर क्या किशोरी लाल शर्मा फिर से कांग्रेस को उसकी परंपरागत सीट दिला पाएंगे या नहीं, ये तो नतीजे आने के बाद ही साफ होगा. फिलहाल कहा जा रहा है कि किशोरी लाल शर्मा बेशक राष्ट्रीय राजनीति में इतने चर्चित नाम न हों, लेकिन इस बार बीजेपी को वह कड़ी चुनौती दे सकते हैं. आइए आंकड़ों से जानते हैं पूरा गणित.

कौन हैं केएल शर्मा?

कांग्रेस ने काफी इंतजार के बाद आखिर अमेठी लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है। इस बार अमेठी में गांधी परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा है। अमेठी से कांग्रेस ने केएल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में जाहिर है कि सभी के मन में सवाल होगा कि कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी लोकसभा सीट से जिनको कांग्रेस ने टिकटा दिया है वो केएल शर्मा कौन हैं। तो आइए जानते हैं उनके बारे में मूल रूप से किशोरी लाल शर्मा पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखते हैं। 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्हें पहली बार अमेठी लेकर आए थे। तब से वह यहीं के होकर रह गए। 1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद जब गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद किया तो भी शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के लिए काम करते रहे। उन्हें संगठन ही नहीं परिवार का भी वफादार माना जाता है।

गांधी परिवार के करीबी हैं शर्मा

शर्मा मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं और उन्हें गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है। वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। वे पहली बार 1983 में अमेठी आए थे और तब से ही कांग्रेस के लिए यहां पर काम कर रहे हैं। फिलहाल वे रायबरेली में सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने नामांकन पर्चा खरीदा था।

पहले जानिए अमेठी सीट का इतिहास

अमेठी लोकसभा सीट 1967 में बनी. 1967 से लेकर 1977 तक इस पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977-80 तक जनता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा रखा. 1980 से 98 तक यह इस सीट फिर से कांग्रेस के खाते में रही. 1998 में BJP को यहां से जीत मिली, लेकिन 1999 से एक बार फिर कांग्रेस ने अपने गढ़ को हासिल कर लिया.

अमेठी और रायबरेली में संभालते हैं कांग्रेस की जिम्मेदारी

शर्मा अमेठी के साथ ही रायबरेली में भी पार्टी की जिम्मेदारियों संभालते रहे हैं। 1991 में राजीव की मृत्यु के बाद शर्मा अमेठी में कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते रहे हैं। 1990 के दशक में जब गांधी परिवार चुनावी राजनीति से दूर रहा तो उन्होंने यहां से दूसरे कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। 1999 में सोनिया की अमेठी से पहली चुनावी जीत में शर्मा ने अहम भूमिका निभाई थी।

राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी के थे प्रतिनिधि

राजीव गांधी की मौत के बाद से उन्होंने सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में काम किया. साल 1999 में अमेठी सीट से सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. सोनिया गांधी के सांसद बनने के बाद से केएल शर्मा उनके संसद प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्होंने लंबे समय तक रायबरेली में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में कामकाज देखा है. कांग्रेस के युवा कांग्रेस के साथ उन्होंने अन्य संगठनों में भी काम किया है.राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए युवा कांग्रेस के होनहार लोगों को सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए कोआर्डिनेटर के तौर पर नियुक्त किया था, जिसमें केएल शर्मा को अमेठी का कोआर्डिनेटर बनाया गया था. किशोरी लाल कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार के सह प्रभारी भी रहे हैं.

25 सालों में पहली बार अमेठी से गैर-गांधी मैदान में

अमेठी गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रही है। शर्मा 25 साल के बाद इस सीट से लड़ने वाले पहले ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो गांधी परिवार से नहीं हैं। शर्मा ने युवा कांग्रेस के लिए भी काम किया है। राजीव के कार्यकाल के दौरान शर्मा को सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए युवक कांग्रेस में समन्वयक नियुक्त किया गया था। वे पंजाब और बिहार में भी पार्टी के लिए काम कर चुके हैं। रायबरेली से सोनिया गांधी के सांसद चुने जाने के बाद च उनके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते रहे। सोनिया गांधी के चुनाव नहीं लड़ने पर किशोरी को रायबरेली से दावेदार माना जा रहा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें रायबरेली के बजाय अमेठी से उम्मीदवार बनाया है।

शर्मा के लिए आसान नहीं है जीत की राह

अमेठी भले ही गांधी परिवार की पारंपरिक सीट रही है, लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी ने इस अभेद्य किले को भेद दिया था। तब उन्होंने राहुल को करीब 55,000 वोटों से हराकर पहली बार जीत दर्ज की थी। भाजपा ने दोबारा उन पर भरोसा जताया है। फिलहाल वे केंद्रीय मंत्री हैं और भाजपा की फायरब्रांड महिला नेताओं में गिनी जाती हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो शर्मा के लिए यहां से जीत दर्ज करना इतना आसान नहीं है।

अमेठी-रायबरेली में 20 मई को मतदान

अमेठी और रायबरेली सीट पर 5वें चरण के अंतर्गत 20 मई को वोट डाले जाएंगे, जिसके लिए आज नामांकन की आखिरी तारीख है। ईरानी ने पहले ही यहां से नामांकन दाखिल कर दिया है। आज शर्मा बड़े लाव-लश्कर के साथ यहां से पर्चा भरेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी समेत कई बड़े पार्टी नेता उनके नामांकन के दौरान शामिल रहेंगे।

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