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Swati Maliwal Case : बिभव कुमार को कोर्ट से झटका,अब HC का करेंगे रुख


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नई दिल्लीः अदालत ने सोमवार को स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील अनुज त्यागी ने यह आदेश पारित किया। दिल्ली पुलिस ने 18 मई को कुमार को गिरफ्तार किया था। उसके बाद उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। 24 मई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सांसद हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि केजरीवाल के आवास पर कुमार ने उनके साथ मारपीट की।

बिभव कुमार के वकील ने अदालत को बताया

बिभव कुमार के वकील ने अदालत को बताया कि वह बिना बुलाए मुख्यमंत्री आवास पर आईं और जबरन घर में घुस गईं। अदालत को बताया गया कि उन्हें किसने बुलाया था। क्या उन्हें बुलाया गया था। वकील ने सवाल उठाया कि मालीवाल ने उसी दिन पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई और उनकी जांच दिल्ली के किसी सरकारी अस्पताल में क्यों नहीं कराई गई, बल्कि एम्स में कराई गई। कहानी को सही साबित करने के लिए सब कुछ पहले से ही योजनाबद्ध था।

दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया

इन सबके बीच दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि मालीवाल को सीने और गर्दन पर मारा गया और घसीटा गया, इस दौरान उनका सिर टेबल से टकरा गया था। पुलिस ने बताया कि घटना स्थल का वीडियो फुटेज गायब है। यह तकनीकी समस्या के कारण हो सकता है या इसे जानबूझकर हटाया गया हो सकता है। वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। लोग उनसे तब भी संवाद कर रहे थे, जब मुख्यमंत्री के साथ उनकी सेवाएं समाप्त हो चुकी थीं।

सोशल मीडिया पर निशाना बनाया जा रहा : मालीवाल

इसके अलावा स्वाति मालीवाल ने व्यक्तिगत रूप से अदालत को बताया कि आप नेताओं और उनकी सोशल मीडिया टीम की ओर से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यू-ट्यूबर ध्रुव राठी के वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि घटना पर वीडियो प्रकाशित करने के बाद से उन्हें जान से मारने और बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं। मालीवाल ने कहा कि अगर बिभव कुमार को बाहर आने दिया गया, तो उनके और उनके परिवार की जान को गंभीर खतरा हो जाएगा।

विभव कुमार 28 मई तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे

विभव कुमार 28 मई तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे. स्वाति मालीवाल ने विभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया है तो वहीं विभव कुमार ने पुलिस में शिकायत दी कि आप सांसद सीएम आवास में बिना इजाजत घुस गई थीं. विभव का आरोप है कि मालीवाल ने सीएम आवास के स्टाफ की बातों को अनसुना कर दिया और जब स्टाफ ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने नौकरी खा जाने की धमकी दी.

बीजेपी की साजिश करार दिया

स्वाति मालीवाल ने विभव कुमार पर जो आरोप लगाए थे, उसे आम आदमी पार्टी पहले ही खारिज कर चुकी है. पार्टी ने दावा किया कि स्वाति मालीवाल बीजेपी के इशारों पर काम कर रही थीं. आम आदमी पार्टी ने इस पूरे प्रकरण को बीजेपी की साजिश करार दिया था.इस मामले पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. सीएम ने हाल ही में न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा था कि इस मामले में दो पक्ष हैं.

पब्लिक प्रॉसिक्‍यूटर ने भी जमानत का किया विरोध

दिल्ली पुलिस के पब्लिक प्रॉसिक्‍यूटर ने भी जमानत का विरोध करते हुए कहा कि भारत में महिलाएं यौन उत्पीड़न पर FIR कराने में हिचकिचाती हैं. हम बिभव को लेकर मुंबई गए, जहां फोन फॉर्मेट कर दिया गया था. जज ने पूछा कि आप उनका फोन क्यों चाहते थे. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये पता करना था कि बिभव ने किसको फोन किए, क्या सीएम को फोन करके परमीशन ली गई. इन्होंने फोन तो दिया लेकिन पासवर्ड नहीं बताया.

भरी अदालत में रोने लगीं स्वाति मालीवाल

जिस समय कोर्ट रूम में स्वाति मालीवाल के मुख्यमंत्री आवास से निकलने का वीडियो जज साहब को दिखाया गया और एफआईआर के बारे में बिभव के वकील जज को बता रहे थे, उस समय स्वाति मालीवाल कोर्ट रूम में रोने लगीं.

बिभव ने बताया केजरीवाल के आवास पर क्या-क्या हुआ?

बिभव के वकील हरी हरन ने कहा, ‘पुलिस ने सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट की अनदेखी क्यों की? यह किस तरह की जांच है. वह परेशानी पैदा करने के लिए पहले से ही सोची-समझी मंशा से आई थीं. वह अक्सर यहां आती रही हैं, इसलिए उन्हें अतिक्रमण का अधिकार है? वह बिभव को इसलिए बुला रही थीं, ताकि वह समय रहते सीएम से मिल सके. स्वाति के अंदर घुसने पर बिभव ने सुरक्षाकर्मियों से पूछा कि किसके निर्देश पर स्वाति को अंदर जाने दिया गया? उन्हें (बिभव) पूछना ही होगा क्योंकि वे सीएम की सुरक्षा के लिए भी जवाबदेह हैं. इसके बाद सुरक्षाकर्मी अंदर गए और पूरे सम्मान के साथ उन्हें बाहर निकाला गया. तो आखिर यह घटना कहां हुई? वह सामान्य तरीके से वहां से बाहर जा रही थीं. कोई झिझक नहीं दिखी. पहली नजर में बिभव कुमार वहां मौजूद ही नहीं थे. इसके बाद वे करीब 9:20 बजे आए, वह भी स्वाति मालीवाल के बार-बार कहने पर. उन्होंने उसी दिन कोई शिकायत नहीं की. 3 दिन बाद की. वे डीसीडब्ल्यू प्रमुख थीं, उन्हें अपने अधिकारों का पूरा ज्ञान था. अगर उनके अधिकारों का हनन हुआ था, तो उन्हें तुरंत शिकायत करनी चाहिए थी. 3 दिन की देरी क्यों हुई. यह बहुत सोच-विचार के बाद किया गया.’

दिल्ली पुलिस के वकील ने क्या दलील दी?

दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा, ‘आप एक अकेली महिला को मार रहे हैं. छाती, गर्दन पर मारा गया और उन्हें घसीटा गया. इस दौरान उनका सिर सेंटर टेबल से टकरा गया. मैं खुद से सवाल करता हूं, क्या इससे उनकी मौत नहीं हो सकती? आप एक महिला को इस तरह से मार रहे हैं कि उसका बटन खुल गया. वे कहते हैं कि स्वाति वहां पहले से सोची समझी योजना के साथ गई थीं, मैं यह सवाल पूछता हूं, वे मौजूदा सांसद हैं, वे डीसीडब्लू की सीपी रह चुकी हैं, पार्टी कहती है कि स्वाति लेडी सिंघम हैं, अगर कोई महिला संकट में होती है तो वे स्वाति को बुलाते हैं और आप कहते हैं कि वे बिभव कुमार की छवि खराब करने के लिए वहां गई थीं? बिभव बेहद प्रभावशाली हैं. आप कहतें हैं कि एक सांसद सीएम से मिलने जा रहा है, लेकिन सीएम से मिलने के लिए बिभव की अनुमति की आवश्यकता है. सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि बिभव सर की अनुमति की आवश्यकता है. वास्तव में, बिभव को वहां रहने का कोई अधिकार नहीं था. उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं. बिभव के वकील ने जमानत याचिका पर अपनी दलील पूरी कर ली. अब पुलिस ने अपना दलील रखना शुरू किया.

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