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Good Friday 2024 : कब है गुड फ्राइडे?,जानिए क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे और क्या है इसका महत्व


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नई दिल्लीः गुड फ्राइडे ईसाई धर्म में शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन को ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या होली फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है. हर साल ईस्‍टर संडे से पहले वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे होता होता है. इस साल ईस्‍टर संडे 31 मार्च को है. ऐसे में गुड फ्राइडे 29 मार्च को मनाया जाएगा. माना जाता है कि इसी दिन ईसाह मसीह यानी यीशू को तमाम यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था. आइए आपको बताते हैं कि इस दिन को Good Friday क्‍यों कहा जाता है और इस दिन का क्‍या महत्‍व है?

कब है गुड फ्राइडे ?

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, हर साल अप्रैल के महीने में गुड फ्राइडे मनाया जाता है। हालांकि, इस साल 29 मार्च 2024 को गुड फ्राइडे मनाया जाएगा।

आखिर क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे?

गुड फ्राइडे के बारे में लगभग सभी ने सुना है। हालांकि, इसको मनाने के पीछे की वजह से कम लोग परिचित होते हैं। दरअसल, ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे इसलिए मनाते हैं, क्योंकि इसी दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। बता दें, प्रभु ईसा मसीह प्रेम और शांति के मसीहा थे। दुनिया को प्रेम और करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को उस समय के धार्मिक कट्टरपंथी ने रोम के शासक से शिकायत करके उन्हें सूली पर लटका दिया था। इसी कारण ईसाई धर्म को मानने वाले लोग गुड फ्राइडे को काले दिवस के रूप में मनाते हैं। हालांकि ये भी कहा जाता है कि प्रभु यीशु इस घटना के तीन दिन बाद यानी ईस्टर संडे के दिन पुनः जीवित हो उठे थे।

क्‍या है गुड फ्राइडे का महत्‍व

ईसाई धर्म को मानने वाले लोग गुड फ्राइडे को प्रभु यीशु के बलिदान दिवस के तौर पर याद करते हैं. ये दिन उनके लिए बहुत मायने रखता है. इस दिन ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं. तमाम लोग यीशू के लिए उपवास भी रखते हैं. उपवास को करने के बाद मीठी रोटी बनाकर खाई जाती है. इस‍ दिन मंदिर में घंटे की बजाय लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं. लोग दान-पुण्‍य वगैरह करते हैं और बढ़चढ़कर अच्‍छे काम करते हैं. साथ ही इस दिन प्रभु यीशु के उपदेशों का स्मरण किया जाता है.

बलिदान का ये दिन क्‍यों कहलाता है गुड फ्राइडे

ईसाह मसीह को ईसाई समुदाय में ईश्वर का बेटा कहा जाता है. माना जाता है कि उनका जन्‍म ही इस धरती पर अज्ञानता को दूर करने के लिए हुआ था. इसलिए जब पिलातुस ने ईसाह मसीह पर तमाम अत्याचार करवाए तो वे सब सहते रहे और जब उन्‍हें सूली पर लटकाने का आदेश दिया गया, तब भी उन्‍होंने ईश्‍वर से प्रार्थना की थी कि इन लोगों ने अज्ञानतावश जो भी गुनाह किए हैं, उन्‍हें क्षमा करें. यीशू ने प्रेम की पराकाष्‍ठा का उदाहरण पेश करते हुए हंसते हुए सूली पर चढ़ना स्‍वीकार कर लिया, जबकि वो स्‍वयं में इतने शक्तिशाली थे कि अगर चाहते तो उन लोगों को उनके गुनाह की सजा दे सकते थे.

कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे?

ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन व्रत रखते हैं। साथ ही वह प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं। इस दिन लोग काले रंग के वस्त्र पहनकर प्रभु यीशु के बलिदान दिवस पर शोक मनाते हैं। कहा जाता है कि गुड फ्राइडे के दिन गिरजाघरों में घंटा नहीं बजाया जाता है, बल्कि लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं। साथ ही लोग चर्च में क्रॉस को चूमकर प्रभु यीशु का स्मरण करते हैं।

दान-धर्म के किए जाते हैं कार्य

ऐसा कहा जाता है कि गुड फ्राइडे के दिन दान-धर्म के कार्य किए जाते हैं। इस दौरान व्रत के बाद मीठी रोटी बनाकर भी खाई जाती है। वहीं गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे को ईस्टर संडे मनाया जाता है। उनकी क्षमताओं को इस बात से समझा जा सकता है कि वो इस कुर्बानी के ठीक तीन दिनों बाद ही फिर से जीवित हो गए थे. इस दिन को यीशू की नेक मंशा, महानता, उनके त्‍याग और प्रेम की पराकाष्‍ठा के उदाहरण के तौर पर देखा जाता है और इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है और जिस दिन यीशू जिंदा हुए, उस दिन को ईस्‍टर संडे कहा जाता है.

गुड फ्राइडे के दिन क्यों मनाते हैं शोक?

गुड फ्राइडे ईसाई समुदाय का एक ऐसा त्योहार है जिस दिन एक दूसरे को शुभकामनाएं नहीं दी जाती, बल्कि इस दिन लोग शोक मनाते हैं. ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन प्रेम और शांति के मसीहा प्रभु यीशु को सूली को लटकाया गया था. इसलिए इस दिन ईसाई धर्म के लोग शोक मनाते हैं. लेकिन इसे एक पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है क्योंकि मान्यता है कि सूली के चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद यानि ईस्टर संडे के दिन ईसा मसीह पुन: जीवित हो गए थे. लोगों की मान्यता है कि जीसस ने दुनिया के पापों के कारण बहुत दुख झेला और प्रेम के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. इसलिए इस दिन ईसा मसीह के बलिदान के तौर पर याद किया जाता है. इस दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता, बल्कि लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं. गुड फ्राइडे के लिए चर्च में झांकी निकाली जाती है और फिर इसके बाद संडे के दिन ईस्टर संडे मनाया जाता है.

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