x
भारत

अमेरिका, भारत, इजरायल और यूएई विदेश मंत्रियों ने की पहली बैठक ,क्या रचेंगे नया क्वाड ?


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्ली – क्वाड समूह में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान हैं। खास बात यह है कि भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई के विदेश मंत्रियों की यह पहली बैठक है। बताया जाता है कि विदेश मंत्रियों की यह बैठक मध्य एशिया में अपना सहयोग एवं आर्थिक साझेदारी बढ़ाने के लिए हो रही है। यह वर्चुअल बैठक ऐसे समय हो रही है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने पांच दिनों के दौरे पर इजरायल में हैं। ईटी नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह बैठक दोपहर बाद होने वाली है। पिछले साल इजरायल-यूएई के बीच राजनयिक संबंध कायम हो जाने के बाद भारत-इजरायल एवं यूएई ने त्रिपक्षीय आर्थिक परियोजनाओं की संभावना तलाश की है।

अपने इजरायली एवं यूएई के समकक्षों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकेन ने कहा, ‘हमारा दृढ़ रूप से मानना है कि फलस्तीन और इजरायल के लोग सुरक्षित एवं आजादी, समृद्धता एवं लोकतंत्र के समान अवसरों के साथ रहने के हकदार हैं और इसके लिए हम अपना प्रयास जारी रखेंगे।’ तीनों मंत्रियों ने इरान के परमाणु कार्यक्रम पर भी चर्चा की।

विदेश मंत्री जयशंकर ने यहां भारतीय-यहूदी समुदाय तथा भारत संबंधित विषयों के विद्वानों से कहा कि भारत और इजरायल के समाजों को कट्टरपंथ और आतंकवाद जैसी एक समान चुनौतियों समेत भूराजनीतिक परिदृश्य पर उभरते कई घटनाक्रम का सामना करना पड़ रहा है। विदेश मंत्री के तौर पर इजराइल की अपनी पहली यात्रा पर यहां पहुंचे जयशंकर ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों में भारतीय यहूदी समुदाय के उल्लेखनीय योगदान की सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि इजराइल में भारतीय यहूदी समुदाय आने वाले वर्षों में दोनों देशों को और करीब लाएगा।

वह भारत को मिडल ईस्‍ट में अहम भूमिका निभाते देखना चाहते हैं। उन्‍होंने टीओआई से कहा, ‘हम भी बड़ी दिलचस्‍पी से यह देखना चाहते हैं कि मिडल ईस्‍ट के नए हालात में भारत की भूमिका क्‍या हो सकती है? जो संभावनाएं बन रही हैं, उनमें भारत को कैसे शामिल किया जा सकता है? आमतौर पर यह क्षेत्र धमकियों और चुनौतियों से भरा रहता है लेकिन पिछले साल में मैंने मिडल ईस्‍ट में अब्राहम समझौतों की वजह से व्‍यापक बदलाव देखे हैं। यह सच में एक रणनीतिक भूकंप है।’

Back to top button