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36 साल की इस महिला ने विकसित की इस बीमारी का पता लगाने वाली ऐप, दुनियाभर से मिल रही है तारीफ


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नई दिल्ली – ब्रेस्ट कैंसर को मात देने वाली 36 साल की जेसिका बलदाद उन महिलाओं की मदद कर रही हैं, जो इस बीमारी से जूझ रही हैं। जेसिका ने ऐसी ऐप विकसित की है जो ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में मदद करती है।

जेसिका की ऐप का नाम है ‘फील फॉर योर लाइफ’। यह ब्रेस्ट कैंसर की स्थिति को ट्रैक करती है। यह ऐप महिलाओं को नोटिफिकेशन भेजकर जरूरी जांच और सावधानियों के बारे में बताने का काम करता है। ब्रेस्ट कैंसर दुनियाभर की महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। महिलाओं में होने वाली मौत का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

जेसिका एक प्रोफेशनल ऐप डेवलपर नहीं हैं, लेकिन लोगों की मदद करना उनका जुनून है। अपनी आपबीती से सबक लेते हुए उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर ऐप को विकसित किया। जेसिका कहती हैं, इन दिनों मैं उन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के लिए जागरुक कर रही हूं। इसके साथ उन्हें कैंसर का पता लगाने और इससे निपटने में मदद कर रही हूं।जेसिका कहती हैं, मैं चाहती हूं महिलाएं अपने ब्रेस्ट की सेहत के बारे में गंभीरता से सोचें और झिझक को खत्म करें।

देश में पिछले 10 साल में कैंसर के मामले 30 फीसदी तक बढ़े हैं। हर साल अक्टूबर माह को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है। बावजूद इसके देश में 80 फीसदी महिलाएं डॉक्टर्स के पास कैंसर की तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंचती हैं।

स्टेज 0 : यह कैंसर से पहले की स्थिति है। कैंसर काेशिकाएं स्तन के डक्ट्स में रहती हैं। आसपास के ऊतकों में नहीं पहुंचती हैं। यानी कैंसर का खतरा बना रहता है।
स्टेज 1 : ट्यूमर का आकार 2 सेमी से बड़ा नहीं होता। लिम्फ नोड्स प्रभावित नहीं होते।
स्टेज 2 : ट्यूमर का आकार 2 सेमी से छोटा होता है, लेकिन कैंसर लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है। ट्यूमर का आकार 2-5 सेमी तक भी फैल सकता है।
स्टेज 3 : इस स्थिति में ट्यूमर का आकार 5 सेमी से बड़ा नहीं होता, लेकिन यह आसपास के ऊतकों तक फैल चुका होता है। कैंसर छाती या त्वचा तक भी फैल सकता है।
स्टेज 4 : ट्यूमर का आकार कितना भी हो सकता है। यह लिम्फ नोड्स तक फैल चुका होता है। लिम्फ नोड्स यानी कैंसर के शरीर के अन्य भागों तक पहुंचने का रास्ता।

जानिए जेसिका की आपबीती
जेसिका कहती हैं, शरीर में ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत उस समय हुई जब मैं कॉलेज में थी। मैं जागरुक थी और रेग्युलरली ब्रेस्ट की जांच करती थी। इस दौरान मुझे ब्रेस्ट में गांठ सी महसूस हुई। हालांकि, यह गांठ कैंसरस नहीं थी। डॉक्टर के पास गई और इलाज शुरू किया। सर्जरी हुई और गांठ निकाल दी गई।

मैं बहुत डर गई थी। मैं अपनी उन आंटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा सकी जिनकी मौत ब्रेस्ट कैंसर के कारण हुई थी। मुझे लगा मैं परिवार को निराश करने का काम कर रही हूं।

यह घटना होने के बाद मैं अलर्ट हो गई और रेग्युलरली ब्रेस्ट की जांच करना नहीं छोड़। कुछ समय बाद दोबारा गांठ महसूस हुई। इस बार गांठ की जांच में कैंसर की पुष्टि हुई, लेकिन सीधे तौर डॉक्टर ने मुझसे कुछ नहीं कहा। फिर मैं दूसरे डॉक्टर से मिली, उन्होंने कई दौर के अल्ट्रासाउंड टेस्ट करने के बाद कैंसर होने की बात कही।

इलाज के दौरान कीमोथैरेपी के 16 राउंड हुए। दो बार मास्टेक्टॉमी हुई। कुल 25 घंटे तक रेडिएशन के दौर से गुजरी। हाल ही में फ्लैप रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी हुई। सर्जरी के दौरान पेट से फैट टिश्यू और रक्त वाहिकाओं की मदद से बिगड़े ब्रेस्ट को शेप दिया गया।

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