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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वाड के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन भाग लेंगे


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नई दिल्ली –
क्यों बनाया गया क्वाड?

हिंद महासागर में सुनामी के बाद, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के लिए एक अनौपचारिक गठबंधन बनाया था, मोटे तौर पर तो क्वाड चार देशों का संगठन है और इसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. ये चारों देश विश्व की बड़ी आर्थिक शक्तियां हैं। 2007 में, जापान के तत्कालीन प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने इसे क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग या क्वाड का औपचारिक रूप दिया, 2017 में, चीन का खतरा बढ़ने पर चारों देशों ने क्वाड को पुनर्जीवित किया, इसके उद्देश्यों को व्यापक बनाया, इसके तहत एक ऐसे तंत्र का निर्माण किया जिसका उद्देश्य धीरे-धीरे एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करना है और इसके केंद्र में है चीन।

क्वाड देशों के नेताओं का पहला व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन आज यानि शुक्रवार 24 सितंबर को वाशिंगटन में होगा, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन क्वाड के सदस्य देशों के नेताओं के साथ पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे, शिखर सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों में समग्र सहयोग के विस्तार के लिए एक नया रोडमैप तैयार करने पर ध्यान दिया जाएगा, खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भी इसमें भाग लेंगे. बैठक से पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने एक बयान जारी किया कि व्हाइट हाउस ने कहा कि ‘क्वाड लीडर्स हमारे संबंधों को गहरा करने, कोविड-19 का मुकाबला करने, जलवायु संकट को संबोधित करने, उभरती प्रौद्योगिकियों और साइबर स्पेस पर साझेदारी करने और एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दखलंदाजी के खिलाफ चार देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने एक शक्तिशाली समूह ‘क्वाड’ बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापानी पीएम योशीहिदे सुगा के क्वाड शिखर सम्मेलन में क्वाड के कामकाज को नई गति देने के लिए व्यापक विचार-विमर्श की उम्मीद है।

चीन की बढ़ती ताकत को रोकने में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका आपस में रक्षा संबंध बढ़ा रहे हैं, लेकिन क्या यह चौकड़ी रणनीतिक मतभेद वाले चीन की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के प्रयासों में कामयाब हो सकता है? विश्लेषकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका की नौसेनाओं ने पिछले साल नवंबर में अपना सबसे बड़ा नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया था जिसमें हिंद महासागर में युद्धपोत, पनडुब्बी और विमान भेजे गए, इससे चीन की सैन्य और राजनीतिक प्रभाव का मुकाबला करने में चार देशों की गंभीरता का संकेत मिलता है।

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