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कोरोनालाइफस्टाइल

आप जानते है दिन और रात के हिसाब से बदल जाता है कोरोना जांच का नतीजा


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नई दिल्ली – दुनियाभर के लोग लगभग दो सालों से कोरोना वायरस के सामने लड़ते रहे। इन दो सालो में कोरोना की वजह से कई लोगो ने अपने दिल के करीबी कई संबंधियों को खो दिया। इस भयानक वायरस को लेकर वैसे तो विश्वभर के वैज्ञानिक अलग-अलग शोध में जुटे है, लेकिन फिर भी कोई सटीक जानकारी अब तक किसी के हाथ नहीं लगी है। आए दिन कोरोना को लेकर नए-नए खुलासे होते है, इसी बीच कोरोना को लेकर अब तक की सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है।

कोरोना जांच के नतीजे को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। जिसे सुनकर आप भी इस बात पर जल्दी विश्वास नहीं कर पायेगे। अमेरिका के वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के अध्ययन में कहा गया है कि वायरस समय और व्यक्ति के बाडी क्लाक के हिसाब से अलग-अलग तरीके से व्यवहार करता है। दिन और रात के हिसाब से जांच का नतीजा बदल सकता है। क्या आप भरोसा करेंगे की अगर आप सुबह कोरोना जांच कराते है, तो उसके नतीजे रात को कराए गए नतीजों से अलग हो सकता है। आपके सोने-जागने के चक्र का भी कोरोना जांच पर असर होता है।

किये गए अध्ययन से पता चला है कि रात की तुलना में यदि किसी ने सैंपल दोपहर में दिया हो तो संक्रमित होने की सटीक जानकारी मिलने की उम्मीद दोगुना रहती है यानी दोपहर के समय जांच से फाल्स निगेटिव की आशंका कम हो जाती है। फाल्स निगेटिव उस स्थिति को कहते है, जिसमें संक्रमित होने पर भी जांच रिपोर्ट में निगेटिव आ जाता है। फाल्स निगेटिव मरीज और उसके आसपास के लोगों के लिए खतरनाक होता है क्योंकि संक्रमित नहीं पाए जाने पर व्यक्ति जरूरी सतर्कता नहीं बरतता है और अन्य लोगों में संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है।

दिन के समय बाडी क्लाक के कारण व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ज्यादा सक्रियता से काम कर रहा होता है। इस वक्त में संक्रमित कोशिकाओं द्वारा खून और लार में वायरस के पार्टिकल छोड़ने की गति तेज रहती है। इस प्रक्रिया को वायरस शेडिंग कहा जाता है। शेडिंग तेज होने से जांच में सही नतीजा मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है। दोपहर के समय वायरस शेडिंग ज्यादा होने से यह समय वायरस के प्रसार के लिहाज से भी ज्यादा संवेदनशील होता है।

बता दे की अन्य कई वायरस और बैक्टीरिया आदि जीवों की तरह कोरोना वायरस का भी व्यक्ति के बाडी क्लाक के हिसाब से अलग-अलग प्रभाव रहता है। दिन में व्यक्ति का इम्यून सिस्टम ज्यादा सक्रिय होता है और इस दौरान वायरस शेडिंग भी अधिक होती है। इसलिए, इस वक्त सही नतीजा आने की अधिक संभावना होती है। इस स्टडी में कोरोना वायरस की जांच और इलाज के नए तरीके को अपनाने का भी सुझाव दिया गया है।

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