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जबलपुर में व्यक्ति ने सूखे फूलों, पेड़ के पत्तों और पेड़ की छाल का उपयोग करके बनाई जैविक कलाकृतियां


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मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में रहने वाले प्रकृति प्रेमी बसंत सोनी ने सूखे फूलों, पेड़ों की पत्तियों और पेड़ की छाल का उपयोग करके पर्यावरण के अनुकूल कई सारी कलाकृतियां बनाई।

बसंत ने कागज बचाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाया। जिससे कम से कम कागज का इस्तमाल हो सके और प्रकृति को बरक़रार रखा जा सके। क्या आप जानते हे वह केवल अभी से नहीं साल 1999 से कलाकृति के जैविक टुकड़े बना रहे हैं। हालही में उन्होंने एक बिल्ली की जैविक कलाकृति को प्याज और लहसुन के छिलकों का उपयोग करके बनाया। जो वाके ही अद्भुत था।

सोनी ने मीडिया से कहा ” मेरे पिता ने मुझे वाटर पेंटिंग सिखाई। जब हम कोलकाता में थे, तो हमें कई मौकों पर गुलदस्ते मिलते थे। तभी मैंने अपनी कलाकृतियों में सूखे फूल लगाना शुरू किया। जैविक कलाकृति पर स्विच करके, हम कागज के लिए पेड़ों की कटाई को कम करना, रीसाइक्लिंग करना और सतह के प्रदूषण को कम करना बंद कर रहे हैं। ”

हालही में एक इंटरव्यू में सोनी ने ANI को बताया ” कला का एक भी काम खत्म होने में लगभग 10-15 दिन लगते हैं। क्योंकि पत्तियों, पंखुड़ियों और छाल को पहले संसाधित करने और फिर इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है। जब हम इन कलाकृतियों को एक निश्चित दूरी से देखते हैं, तो वे एक 3-डी देते हैं प्रभाव। ” वह तीन तरह के पेड़ों की छाल को प्रोसेस करके अपना खुद का कैनवस बनाते हैं। विभिन्न रंगों के फूलों और पत्तियों का उपयोग करके कलाकृतियां बनाई जाती हैं।

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