डॉ.हर्षवर्धन : तंबाकू और धूम्रपान करने वाले लोगों को Covid19 के कारण होने वाली मृत्यु का 40-50% ज़्यादा जोखिम
नई दिल्ली – पुरे विश्व में हर साल 31 मई को United Nation द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। इस साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस की 2021 की थीम ” कमिट टू क्विट ” है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के रिपोर्ट के अनुसार ” दुनिया भर में 1.3 बिलियन तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 70 प्रतिशत से अधिक के पास उन उपकरणों तक पहुंच नहीं है, जिन्हें उन्हें सफलतापूर्वक छोड़ने की आवश्यकता है। यह अंतर केवल पिछले वर्ष में और बढ़ गया है क्योंकि स्वास्थ्य कार्यबल को कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए जुटाया गया है। ”
Monday is World #NoTobacco Day 🚭.
The #COVID19 pandemic has led to millions of tobacco users saying they want to protect their health and quit tobacco.
Join them! https://t.co/KPMYDjdYFG pic.twitter.com/grA08KJYKu
— United Nations (@UN) May 31, 2021
World No Tobacco Day 2021 विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट की वरिष्ठ छाती और श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. राखी खंडूरी ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति के लिए कोरोना का जोखिम 50 प्रतिशत बढ़ जाता है। तंबाकू के सेवन की वजह से कैंसर, दिल की बीमारी और सांस की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।
तम्बाकू और खासकर धूम्रपान करने वाले लोगों को कोविड के कारण होने वाले घातक परिणामों जिसमें मृत्यु भी शामिल है का 40-50% ज़्यादा जोखिम होता है। इससे सिर्फ फेफड़े, हृदय और कैंसर जैसी बीमारियां ही नहीं बल्कि शरीर के हर अंग पर दुष्प्रभाव पड़ता है:केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन pic.twitter.com/cgvxiXjEZJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 31, 2021
तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों के लिए कोविड-19 के अधिक घातक होने की बड़ी वजह यही है कि उनका शरीर वायरस के हमले का प्रतिरोध नहीं कर पाता। सिगरेट के धुएं का हर कश आपके फेफड़ों में सात हजार गुना से अधिक रसायन पहुंचाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने भी विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लोगो से तंबाकू और धूम्रपान न करने की अपील करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया। उन्होंने कहा ” तंबाकू और धूम्रपान करने वाले लोगों को कोविड के कारण होने वाली मृत्यु का 40-50% ज़्यादा जोखिम रहता है। इससे सिर्फ फेफड़े, हृदय और कैंसर जैसी बीमारियां ही नहीं बल्कि शरीर के हर अंग पर दुष्प्रभाव पड़ता है
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