नई दिल्ली – कोरोना की दूसरी लहर की वजह से अलग-अलग प्रदेशों में चल रहा लॉकडाउन भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित तो करेगा, लेकिन यह असर पिछले वर्ष के मुकाबले काफी कम होगा। पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में हुए देशव्यापी लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था 23.9 प्रतिशत सिकुड़ गई थी। इस बार अधिकतर प्रदेशों में आंशिक लॉकडाउन किया गया है।
भले ही बाजार बंद हों, लेकिन औद्योगिक गतिविधियां जारी हैं। यही वजह है कि पिछले वर्ष की तरह कामगारों का पलायन नहीं हुआ है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों का मानना था कि इस वर्ष जीडीपी की वृद्धि दर 12 प्रतिशत के आसपास रहेगी। लेकिन जेपी मॉर्गन ने इसे घटाकर 11 प्रतिशत कर दिया है जबकि मूडीज के अनुसार, यह 9.3 प्रतिशत रहेगी। अप्रैल के महीने में वाहनों की बिक्री 30 प्रतिशत घट गई। जबकि मनरेगा के तहत रोजगार की मांग 2.45 करोड़ हो गई। ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल की बिक्री में दहाई अंक में आई कमी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर का संकेत है।
ई-वे बिल की संख्या मार्च के सात करोड़ के मुकाबले अप्रैल में 5.8 करोड़ रह गई। स्टील, ईंधन और सीमेंट की खपत में भी गिरावट आई। लॉकडाउन की वजह से होटल, रेस्टोरेंट्स, यात्रा, पर्यटन जैसे सेवा क्षेत्रों पर काफी असर पड़ा है।