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कामदा एकादशी पर बांके बिहारी मंदिर में सजाया गया भव्य फूल-बंगला


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नई दिल्ली – इन दिनों गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है. अब हर कोई खुद को ठंडक पहुंचाने के लिए कोई न कोई उपाय कर रहा है. इसलिए मंदिरों में भी भगवानों के लिए भी एसी, कूलर की व्यवस्था की जाती है. लेकिन, वृंदावन और मथुरा के मंदिरों में कुछ अलग ही देखने को मिलता है. यहां पर शीतलता के लिए मंदिरों में भगवान को फूलों से सजाया जाता है, जिसे फूल बंगला भी कहते हैं.मंदिर सेवायत आशीष गोस्वामी ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में होली के बाद कामदा एकादशी से ही मंदिर में फूल बंगले का आयोजन शुरू हो जाता है. पूरे एक सौ आठ दिन तक मंदिर में यह कार्यक्रम चलता है. सावन में हरियाली अमावस्या को समाप्त होता है. इन 108 दिनों में 216 फूल बंगले सजाए जाते हैं. सुबह और शाम दोनों समय अलग-अलग फूल बंगले भक्तों के द्वारा ठाकुर जी की सेवा में चढ़ाए जाते हैं.

सभी रास्ते श्रद्धालुओं की भीड़

सुबह दर्शन के लिए मंदिर के पट खुलने के साथ ही जनसैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर निकास द्वार तक लोगों की भीड़ ही भीड़ दिखाई दी। जैसे-जैसे दिन चढ़ा मंदिर के पहुंच वाले सभी रास्ते श्रद्धालुओं की भीड़ के दबाव के कारण जाम हो गए। फूल बंगले की सेवा के साथ ही सेवायत गोस्वामी अपने लाडले आराध्य बांकेबिहारी महाराज को पद गायन कर रिझाएंगे। इन पदों में चरणन की सेवा भई तुलसी चंदन फूल, श्री स्वामी हरिदासजी गए प्रेममय भूल…। प्रभु को बंगलाओं से सेवित करने के लिए देश-विदेश के भक्तजन छह माह पहले से ही इंतजार करने लगते हैं। वह अपनी सेवा के लिए बुकिंग करा रहे हैं।

गर्मी से राहत देने के लिए बनाए जाते हैं फूल बंगले

ठाकुर जी की पोशाक को भी कई तरह के फूलों से सजाया जाता है. गेंदा, गुलाब, कुमुदनी, चमेली, मोगरा समेत कई विदेशी फूलों का भी इस्तेमाल किया जाता है. ताकि, श्री बांके बिहारी को गर्मी के दिनों में ठंडक मिले. बांके बिहारी मंदिर में एक समय के फूल बंगले को बनाने के लिए करीब 1000 किलो फूलों का उपयोग किया जाता है. इसके साथ बिहारी जी के एक बंगले को बनाने के लिए करीब 80 लोग 8-10 घंटे में एक बंगले को तैयार करते है.

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