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Kishore Kumar Death Anniversary : किशोर कुमार के जिंदगी के कुछ रोचक बाते


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नई दिल्ली – हिंदी सिनेमा के बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता और सिंगर किशोर कुमार को शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो नहीं जनता हो। वह अपनी गायिकी और एक्टिंग की वजह से आज भी फैंस के दिलों में राज करते हैं। किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ। बचपन में उनका नाम आभास कुमार गांगुली था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर किशोर कुमार रख लिया।साल 1957 में आई उनकी फिल्म बेगुनाह रिलीज नहीं हुई थी। इसके साथ ही अदालत ने उसके प्रिंट भी नष्ट करवा दिए थे।किशोर कुमार आज ही के दिन साल 1987 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। आइए आज हम आपको किशोर दा की पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से बताते हैं।

अपने काम का पूरा पैसे लेते थे किशोर दा

किशोर दा की आवाज में जितनी गंभीरता और ठहराव था वह असल जीवन में उतने ही चुलबुले स्वभाव के हुआ करते थे। पहले तो वो किसी के हक के पैसे लेते नहीं थे और अगर किसी ने उनके पैसे मार लिए तो वो नए-नए ढंग से उससे रूपये निकलवाना अच्छी तरह जानते थे। इसके साथ ही अगर कोई उनके काम के मुताबिक पैसे देने में आना-कानी करता था तो किशोर दा उसे सबक सिखाना भी अच्छी तरह जानते थे।अगर किसी ने आधा पैसा दिया तो वे काम भी आधा ही छोड़ दिया करते थे। उनके इस अक्खड़ स्वभाव के कारण कई फिल्म निर्माता उनके साथ काम करने में हिचकिचाते थे। ज्यादा लोग मिलने घर न आएं इसलिए सबको डराने के लिए घर में हड्डियां और खोपड़ी लगवाई थीं।

आधे काम का आधा गेटअप

गीत-संगीत हो या अभिनय किशोर दा अपने सभी काम बहुत गंभीरता से पूरे करते थे। एक बार एक प्रोड्यूसर ने उन्हें फिल्म साइन करने के एवज में आधी फीस दी। किशोर दा ने उस समय तो कुछ नहीं कहा लेकिन जैसे ही उस फिल्म की शूटिंग शुरु हुई और किशोर दा सेट पर पहुंचे तो हर कोई उन्हें देखते ही सन्न रह गया। दरअसल किशोर दा ने अपना आधा सिर और आधी मूंछ मुंडवा ली थी। ऐसे में सेट पर सभी हीरो के हाल को देखकर डर गए। फिल्म के निर्देशक ने पूछा ये क्या हुआ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि आधी फीस, तो मेरा गेटअप भी आधा ही होगा।

प्रोड्यूसर के घर तलवार लेकर पहुंचे

किशोर कुमार की जिंदगी का एक मजेदार किस्सा फिल्म प्रोड्यूसर आर.सी.तलवार से जुड़ा हुआ है। एक बार वे उनके साथ काम कर रहे थे, लेकिन आर.सी तलवार ने उन्हें आधे पैसे दिए। फिर क्या किशोर दा तो थे ही अपने उसूल के पक्के, वे रोज सुबह तलवार लेकर प्रोड्यूसर के घर के सामने पहुंच जाते थे और जोर-जोर से चिल्लाने लगते थे, “हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार… हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार…।

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