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चीन अपनी हरकतों से नहीं आ रहा बाज़, अरुणाचल प्रदेश के कई इलाको के बदले नाम


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नई दिल्ली – ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत और चीन के बीच तनाव जारी है और यह तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। भारत-चीन सीमा विवाद को और हवा देते हुए चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों समेत इससे सटे करीब 15 जगहों का नाम बदल दिया है।

तिब्बती संस्कृति को खत्म करने में जुटे चीन ने चीनी शब्दों में इन जगहों के नाम रखे है और इसे अपना अधिकार बताया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता है साथ ही इसे दक्षिण तिब्बत या जंगनान कहता रहा है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के नागरिक मंत्रालय ने नियमों के मुताबिक जंगनान (चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत या जंगनान कहता रहा है) में चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमला में जगहों का मानकीकरण किया है। जिन 15 जगहों के नाम बदले गए है वे भारत के अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा है। बदले गए 15 नामों में से आठ रेसिडेंशियल प्लेस, चार पहाड़, दो नदी और एक पहाड़ी दर्रा है। बता दें कि चीन ने दूसरी बार अरुणाचल प्रदेश के जगहों का चीनी नाम देने का काम किया है। इससे पहले 2017 में चीन ने छह जगहों का नाम अपने हिसाब से रखा था।

चीन ने जिन जगहों के नाम बदले है उसमें से कई जगह अरुणाचल प्रदेश के भाग है। चीन ने शन्नन प्रीफेक्चर के कोना काउंटी में सोंगकोज़ोंग और डग्लुंगजोंग, निंगची के मेडोग काउंटी में मणिगंग, ड्यूडिंग और मिगपेन, न्यिंगची के जायू काउंटी में गोलिंग, डंबा और शन्नान प्रीफेक्चर के लुंजे काउंटी में मोजाग के नाम बदल दिए है। जायू और लुंजे काउंटी के बड़े हिस्से भारत के अरुणाचल प्रदेश में है। विशेषज्ञ लियान जियांगमिन ने बताया की यह घोषणा सैकड़ों सालों से मौजूद स्थानों के नामों पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण का हिस्सा है। उन्हें मानकीकृत नाम देना एक वैध कदम और चीन की संप्रभुता है। लियान ने कहा कि भविष्य में इस क्षेत्र में अधिक मानकीकृत स्थानों के नामों की घोषणा की जाएगी।

चीन के इस कदम का भारत ने भी करारा जवाब दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। नाम बदलने से सच्चाई नहीं बदलती। चीन ने 2017 में भी ऐसा ही कदम उठाया था। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा। चीन ने कभी भारत के अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी। उसका आरोप है कि इस पर भारत ने कब्जा किया है। बीजिंग ने 23 अक्टूबर 2021 को ‘लैंड बॉर्डर लॉ’ नाम के कानून को मंजूरी दी थी। इसके बाद ही आशंका थी कि वो इस तरह की कोई हरकत कर सकता है। इस कदम से आशंकाएं सच साबित हुई है।

अप्रैल 2017 में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने अरुणाचाल प्रदेश का दौरा किया था। इससे नाराज चीन ने कहा था की दलाई लामा की एक्टिविटीज भारत के चीन से किए गए वादों के खिलाफ है। चीन जगहों के नामों में फेरबदल कर रहा है, ऐसे में जरूरी है कि इन्हें अपनी भाषा से जोड़ा जाए।

अगर किसी देश को, किसी जगह का नाम बदलना है तो उसे UN ग्लोबल जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट को पहले से जानकारी देनी होती है। इसके बाद, यूएन के जियोग्राफिक एक्सपर्ट उसे इलाके का दौरा करते हैं। इस दौरान प्रस्तावित नाम की जांच की जाती है। स्थानीय लोगों से बातचीत की जाती है। तथ्य सही होने पर नाम बदलने को मंजूरी दी जाती है और इसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है।

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