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भारत में कोरोना की तीसरी बूस्टर डोज लगनी शुरू, जानिये पूरी खबर


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नई दिल्ली – अब तक पुरे विश्व में चीन की वुहान लेब से फैला कोरोना वायरस का कहर कोहराम मचा चूका है। कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचाया। जिसके बाद अब सभी के मन में तीसरी लहर का खौफ बढ़ता जा रहा है। क्यूंकि Covid19 की तीसरी लहर में मरीज़ों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है।

कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने की प्रक्रिया देश में 10 जनवरी से शुरू हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते महीने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर खुराक देने का ऐलान किया था। कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है और ऐसे में गंभीर बीमारियों से ग्रसित वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर भी आज को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगना शुरू हो चुकी है। पीएम मोदी ने इसे प्रिकॉशन डोज कहा है। Booster Dose अभी सिर्फ हेल्थ केयर वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक के लोगों को लगेगी।

आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है की इस बूस्टर डोज के लिए कैसे अप्लाई करना है और किन लोगों को अभी बूस्टर डोज लगाई जा रही है? Precaution Dose की खुराक के लिए रजिस्ट्रेशन करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो पात्र है वे सीधे अपॉइंटमेंट ले सकते है या टीकाकरण केंद्र पर जा सकते है। सभी वयस्कों के लिए बूस्टर खुराक पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और पुरानी बीमारियां हैं, वे बूस्टर डोज ले सकते हैं। हालांकि पात्र लोगों को कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के 9 महीने बाद ही बूस्टर खुराक दी जाएगी।

इसके बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए केंद्र ने कहा है कि जो वैक्सीन पहले ली जा चुकी है, वही वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी जाएगी यानि जिन लोगों को सीरम इंस्टिट्यूट के वैक्सीन कोविशील्ड की दो खुराक मिली है, उन्हें उसी की तीसरी खुराक दी जाएगी, जबकि जिन्हें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन दी गई है, उन्हें भी कोवैक्सिन की तीसरी खुराक दी जाएगी। कोरोना वैक्‍सीन का करीब 6 माह में असर खत्म हो जाता है या कम होने लगता है। दूसरे डोज और प्रिकाशनरी डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप होना चाहिए।

बता दे की 3 जनवरी को फैसले से पहले टीकाकरण पर राष्‍ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) की बैठकों में बूस्‍टर पर चर्चा हुई। एक सदस्‍य ने कहा कि फैसला इस तथ्‍य के आधार पर हुआ कि अगर वैक्‍सीन को मिक्‍स किया जाए तो रिएक्‍टोजेनेसिटी बढ़ जाती है। रिएक्‍टोजेनेसिटी मतलब वैक्‍सीनेशन के बाद होने वाले रिएंक्‍शंस। मगर एक्‍सपर्ट्स की राय जुदा है। कोलकाता के जीडी हॉस्पिटल एंड डायबिटीज इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसल्‍टेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्‍ट एके सिंह ने कहा की भारत में उत्‍पादित किए जा रहे उपलब्‍ध टीकों में से बूस्‍टर डोज के रूप में Covavax बेस्‍ट चॉइस होती, वही वैक्‍सीन नहीं।

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