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PCOS Diet :PCOS क्या है?,इस सुपरफूड्स को आहार में करें शामिल जल्दी मिलेगी राहत


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नई दिल्लीः PCOS यानी पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिससे आज कई महिलाएं पीड़ित हैं। पीसीओएस की समस्या में पीरियड्स या तो अनियमित होते हैं या फिर होते ही नहीं। इसमें एक महिला की ओवरी में छोटी-छोटी कई सारी सिस्ट बन जाती हैं। यह कंडीशन एंड्रोजन्स नामक हार्मोन्स के ज्यादा उत्पादन से होता है।जीवनशैली और आहार में बदलाव इस हार्मोनल डिसऑर्डर से निपटने और वजन कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इससे हृदय रोग, टाइप II डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है, जो बदले में महिला की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है और गर्भावस्था के दौरान कॉम्प्लिकेशन्स पैदा कर सकता है।

पीसीओएस क्या है?

पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल इंबैलेंस होता है, जिसमें ओवरी एंड्रोजन हार्मोन का उत्पादन ज्यादा करने लगती है। इस दौरान ओवरी में कई सारी सिस्ट्स बनने लगती हैं।

पीसीओएस में क्या नहीं खाना चाहिए?

फ्राइड फूड्स, सैचुरेटेड फैट्स, रेड मीट और प्रोसेस्ड स्नैक्स या फूड्स का सेवन ऐसे में नहीं करना चाहिए। ये चीजें उन लक्षणों को ट्रिगर करती है, जिससे समस्या बढ़ सकती है।

​4 टाइप का होता है PCOS

  • इंसुलिन रेजिस्टेंस पीसीओएस
  • एड्रेनल पीसीओ
  • इंफ्लेमेटरी पीसीओएस
  • पोस्ट पिल पीसीओएस

एक्सपर्ट बताती हैं कि यह जानना महत्वपूर्ण है, कि आपको कौन-सा PCOS है। क्योंकि PCOS के टाइप के आधार पर ही आहार और जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है।

​PCOS के लक्षण

पीसीओडी के लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, दर्दभरा व लम्बा मासिक धर्म, चेहरे पर अनचाहे बाल, मुंहासे, पेल्विक दर्द, इनफर्टिलिटी शामिल है।लंबे समय में PCOS के लक्षणोंं से ग्रसित महिलाएओं में टाइप 2 डायबिटिज, मोटापा, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, हृदय की समस्याएं, अवसाद की समस्या और एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम अधिक होता है।हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करें और हेल्थ, डाइट और आहार पोषण से जुड़े ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

पीसीओएस के लिए बेहतर हैं ये सुपरफूड्स

फंक्शनल हार्मोनल हेल्थ न्यूट्रिशनिस्ट शिखा गुप्ता अपने इंस्टाग्राम के जरिए डाइट और लाइफस्टाइल से जुड़ी जानकारी साझा करती रहती हैं। उन्होंने एक पोस्ट में बताया है कि कौन-से ऐसे सुपरफूड्स हैं जो पीसीओएस नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।पीसीओएस की समस्या के लिए कोई स्टैंडर्ड डाइट नहीं हो सकती है, लेकिन अगर आप अपने आहार को पौष्टिक बनाएंगी तो आपको इसे नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है-सभी फैट्स आपके शरीर के लिए खराब नहीं होते हैं। मोनो और पोली अनसैचुरेटेड फैट्स पीसीओएस को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। घी, कोकोनट ऑयल, ऑलिव्स, एवोकाडो, नट्स, नट बटर, और ऑर्गेनिक पीनट बटर में ये फैट्स होते हैं। आइए आप भी इन सुपरफूड्स को जानें और अपनी हेल्थ को दुरुस्त करने के लिए इनका सेवन करें।

पौष्टिक दालों से करें पीसीओएस कंट्रोल

दाल के बिना आपका खाना अधूरा है। अपने आहार में चना दाल, मटर, मूंग, मसूर, राजमा, तुअर, सोयाबीन, चना और अन्य दालें शामिल करें। इनमें लीन प्रोटीन होता है जो पीसीओएस को नियंत्रित करने में मदद करता है, क्योंकि वे इंसुलिन, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे विभिन्न हार्मोन्स को सिंथेसाइज करने में मदद करता है।

मिलेट्स को करें आहार में शामिल

मिलेट्स खाने से आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। ये महिलाओं को पोस्ट-मेनोपॉज कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी नियंत्रित करने में मदद करता है और पीसीओएस को नियंत्रित करने के लिए सबसे प्रभावी आहार है। ओट्स, ज्वार, रागी जैसे अनाज ग्लूटेन फ्री होता है जो पीसीओएस के लिए अच्छा है। इतना ही नहीं, ये कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन और अमीनो एसिड से भरपूर है, जो पीसीओएस के लिए आवश्यक हैं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड हैं पीसीओएस के लिए अच्छे

पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जरूरी होते हैं, क्योंकि वे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। ओमेगा-3 फैट्स ट्राइग्लिसराइड्स और इंसुलिन के स्तर में सुधार करने के अलावा सूजन और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त ओमेगा-3 फैटी एसिड नियमित ओव्यूलेशन को बढ़ावा दे सकता है, एंड्रोजन स्तर को कम कर सकता है। सैल्मन, टूना, चिया सीड्स, फ्लैक्स सीड्स, सोयाबीन ऑयल आदि ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत माने जाते हैं।

डार्क चॉकलेट्स से करें पीसीओएस नियंत्रित

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मिठाइयां, डेजर्ट्स और शुगर युक्त चीजें पीसीओएस के लिए अच्छी नहीं होती हैं। इनका सेवन कम या बहुत ही सीमित होना चाहिए। हालांकि, डाइटीशियन शिखा गुप्ता के अनुसार, अगर इन्हें सीमित मात्रा में लिया जाए तो ये पीसीओएस डाइट का हिस्सा हो सकती हैं। डार्क चॉकलेट (डार्क चॉकलेट्स के फायदे) का एक या दो टुकड़े (70% कोको या अधिक) शुगर क्रेविंग को नियंत्रित कर सकता है। इतना ही नहीं, डार्क चॉकलेट में फ्लेवोनॉयड्स होते हैं जो अच्छे मूड के साथ ही यूट्रस और ओवरी में ब्लड फ्लो को बेहतर बनाता है।

पत्तेदार सब्जियों को करें पीसीओएस की डाइट में शामिल

केल, कोलार्ड, पालक और पत्ता गोभी जैसी सब्जियों का सेवन करें। इनमें विटामिन-ए, सी और कई महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं। इन सब्जियों में फाइबर की मात्रा भी अच्छी होती है, जिसके कारण आपका पेट लंबे समय तक भरता है और वेट गेन नहीं होता। ब्रोकोली जैसी सब्जी में क्रोमियम नामक केमिकल होता है, जो इंसुलिन के प्रोडक्शन को भी रेगुलेट करता है। साथ ही, ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रित करेगा। इसके अलावा अपने आहार में फूल गोभी और ब्रूसेल स्प्राउट्स को भी शामिल करें।आप ब्रेकफास्ट, स्नैक्स, लंच और डिनर में इन ऑप्शन्स को जरूर रखें। इसके अलावा ऐसी चीजों के सेवन से बचें जो पीसीओएस की समस्या को और बढ़ाएं।

​PCOS में पर्याप्त नींद है जरूरी

8 घंटे की नींद को हेल्दी स्वास्थ्य की कुंजी माना जाता है। पर्याप्त नींद लेने से शरीर में सूजन को कम करने में मदद मिलती है। साथ यह एंडोक्राइन सिस्टम होमियोस्टेसिस को भी बनाए रखता है, जो मेटाबॉल्जिम को रेगुलेट करने का काम करता है।

​PCOS में लें ये सप्लीमेंट

पीसीओएस के लक्षणों में सुधार करने वाले सप्लीमेंट जिंक, विटामिन डी, विटामिन बी 12, मैग्नीशियम, बायोटिन, स्पीयरमिंट, इवनिंग प्रिमरोज़ ऑयल और इनोसिटोल हैं। लेकिन इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

​इंफ्लेंमेंटरी खाद्य पदार्थों से बचें

चीनी, वनस्पति तेल, उच्च जीआई खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, शराब और कैफीन जैसे इंफ्लेमेंटरी फूड के सेवन से बचें। इसके अलावा यदि आप PCOS के साथ कमजोर आंत और त्वचा की समस्या से भी ग्रसित हैं तो कुछ समय के लिए ग्लूटेन और डेयरी का भी सेवन न करें।

​PCOS में नियमित कसरत है फायदेमंद

एक्सपर्ट बताती हैं कि सुनिश्चित करें कि आप हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट का व्यायाम करें। जो 5 दिनों के लिए 30 मिनट या सप्ताह में 3 दिन 45-50 मिनट के बराबर है। शक्ति प्रशिक्षण वाले कसरत ज्यादा करें।

​मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें

तनाव के कारण हमारी अधिवृक्क ग्रंथियां अतिरिक्त टेस्टोस्टेरोन/डीएचईए का उत्पादन करती हैं। इसलिए प्रतिदिन ध्यान, योग, जर्नलिंग का अभ्यास करना PCOS से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद होता है।

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