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इन जानवरों के काटने से होती है रेबीज की बीमारी,बचाव के करे ये उपाय


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नई दिल्लीः आपने कई संक्रमित बीमारियों के बारे में सुना होगा जो जानवरों से फैलती है. इन्हीं में से एक खतरनाक कही जाने वाली बीमारी है रेबीज . रेबीज इतनी खतरनाक है कि इससे मरीज की जान तक जा सकती है. रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी की रोकथाम और इसके प्रति जनता को जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. रेबीज के बारे में बात की जाए तो ये कुछ जानवरों के काटने से होता है. जब संक्रमित जानवर किसी व्यक्ति को काटते हैं तो उनकी लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है जिससे रेबीज के कीटाणु उस शख्स के शरीर में चले जाते हैं. आपको बता दें कि भारत में ही हर साल रेबीज के चलते 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है.

रेबीज क्या है? एक घातक वायरस है जो संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है। रेबीज वायरस आमतौर पर काटने से फैलता है। एक बार जब किसी व्यक्ति में रेबीज के संकेत या लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तो उसके लिए बचना मुश्किल होता है। ऐसे लोग इन्हें रेबीज होने का खतरा हो सकता है, उन्हें सुरक्षा के लिए रेबीज के टीके लगवाने चाहिए।

रेबीज की बीमारी संक्रमित जानवर के काटने से फैलती है. ये बीमारी कुत्ते, बंदर और बिल्लियों के काटने से फैलती और इन संक्रमित जानवरों की लार में पाए जाने वाले कीटाणु खून में मिलकर संक्रमण फैलाते हैं. हालांकि आजकल पालतू जानवरों को रेबीज की वेक्सीन लगने लगी है लेकिन आवारा पशुओं को रेबीज की वेक्सीन नहीं लग पाती और इसीलिए ये संक्रमित होकर रेबीज की बीमारी के वाहक बन जाते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, किसी में एक बार लक्षण दिखने के बाद रेबीज लगभग 100% घातक होता है। 99% मामलों में घरेलू कुत्ते मनुष्यों में रेबीज वायरस के संचरण के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह आमतौर पर लार के माध्यम से काटने या खरोंच के माध्यम से लोगों और जानवरों में फैलता है। रेबीज का टीका लगवाकर रोग की रोकथाम की जा सकती है।

रेबीज से संक्रमित जानवर अगर किसी इंसान को काट ले तो इसके लक्षण एक से तीन महीने के भीतर दिखने लगते हैं. हालांकि कुछ मामलों में ये लक्षण दस दिनों के बाद भी दिखने लगते हैं औऱ कुछ मामलो में आठ माह बाद भी हल्के लक्षण दिखते हैं. इन लक्षणों में सिर में दर्द, बुखार,बदन में दर्द,जी मिचलाना, थकान, बेचैनी, नींद ना आना और लगातार चक्कर आना शामिल हैं. अगर इसके लक्षणों के प्रति लापरवाही की जाए तो रेबीज इस कदर गंभीर हो जाती है कि कई मामलों में मरीज की मौत तक हो जाती है.

मेयो क्लिनिक के अनुसार, रेबीज के पहले लक्षण फ्लू के समान ही हो सकते हैं और कई दिनों तक रह सकते हैं। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, जी मिचलाना, उल्टी, घबराहट, चिंता, भ्रम, सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार आना, पानी निगलने में कठिनाई, चेहरे पर एक अजीब डर, अनिद्रा और पक्षाघात शामिल हैं।चमगादड़ों को घर भगाएं- घर की किसी भी दरार और अंतराल को सील करें, जहां चमगादड़ आपके घर में प्रवेश कर सकते हैं। यदि आप जानते हैं कि आपके घर में चमगादड़ हैं, तो चमगादड़ को बाहर रखने के तरीके खोजने के लिए स्थानीय विशेषज्ञ के साथ काम करें।यदि आपको किसी जानवर ने काट लिया है, या किसी ऐसे जानवर के संपर्क में है, जिसे रेबीज होने का संदेह है, तो तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपकी स्थिति के आधार पर डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि आपको रेबीज से बचाव के लिए उपचार प्राप्त करना चाहिए या नहीं। अगर आपको यह नहीं पता है कि आपको किसी जानवर ने काट लिया है तो भी डॉक्टर से सलाह लें। उदहारण के लिए सोते समय आपके कमरे में उड़ने वाला चमगादड़ आपको बिना जगाए काट सकता है।

रेबीज वायरस रेबीज संक्रमण का कारण बनता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार से फैलता है। संक्रमित जानवर दूसरे जानवर या किसी व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकते हैं।दुर्लभ मामलों में रेबीज तब फैल सकता है, जब संक्रमित लार एक खुले घाव या श्लेष्मा झिल्ली, जैसे कि मुंह या आंखों में चली जाती है। ऐसा तब हो सकता है, जब कोई संक्रमित जानवर आपकी त्वचा को चाट ले।बिल्ली, गाय, कुत्ते, बकरी, घोड़े, जंगली जानवर, चमगादड़, बीवर, काइओट, लोमड़ी, बंदर जैसे जानवर रेबीज वायरस को आसानी से प्रसारित कर सकते हैं। यही वजह है कि डॉक्टर हमेशा इन जानवरों को पालने वालों को अधिक सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।रेबीज के खिलाफ बिल्लियों, कुत्तों और फेरेट्स को टीका लगाया जा सकता है। अपने पशु चिकित्सक से पूछें कि आपके पालतू जानवरों को कितनी बार टीका लगाया जाना चाहिए।

अपने पालतू जानवरों को अंदर रखें और बाहर होने पर उनकी निगरानी करें। यह आपके पालतू जानवरों को जंगली जानवरों के संपर्क में आने से रोकने में मदद करेगा।छोटे पालतू जानवरों को शिकारियों से बचाएं- खरगोशों और अन्य छोटे पालतू जानवरों, जैसे कि गिनी पिग, को अंदर या संरक्षित पिंजरों में रखें ताकि वे जंगली जानवरों से सुरक्षित रहें।आवारा कुत्तों और बिल्लियों की रिपोर्ट करने के लिए अपने स्थानीय पशु नियंत्रण अधिकारियों को बुलाएं।जंगली जानवरों के पास न जाएं- रेबीज वाले जंगली जानवर लोगों से बेखौफ लग सकते हैं। किसी जंगली जानवर का लोगों के साथ दोस्ताना व्यवहार करना सामान्य बात नहीं है, इसलिए ऐसे किसी भी जानवर से दूर रहें जो बेखौफ लगता है।

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