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संन्यास लेते ही मनोज तिवारी ने धोनी सहित विराट और रोहित पर लगाए गंभीर आरोप,विवादित रहा भारतीय क्रिकेटर का करियर


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नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम की कैप हासिल करना देश के किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा सपना होता है। हालांकि, भारत की सीनियर टीम के लिए खेलना जितना कठिन है, टीम में जगह बनाए रखना भी उतना ही कठिन है। कई क्रिकेटरों ने ऐसा कर दिखाया और टीम में लंबे समय तक जगह बनाने में सफल रहे, लेकिन कुछ दुर्भाग्यपूर्ण क्रिकेटर ऐसे भी हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को साबित भी किया, लेकिन लंबे समय के लिए भारत की सीनियर टीम में नहीं खेल सके और उनका अंतरराष्ट्रीय करियर कुछ समय बाद खत्म हो गया। मनोज तिवारी भी उन्हीं क्रिकेटरों में से हैं, जिन्होंने लगभग दो दशकों तक बंगाल की सेवा की और भारत के लिए 12 वनडे और तीन टी20 मैच खेले। इस खिलाड़ी ने रविवार को रणजी ट्रॉफी में बंगाल के फाइनल मैच के एक दिन बाद संन्यास ले लिया।बंगाल के बल्लेबाज मनोज तिवारी ने घरेलू क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. पिछले साल उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा था. मनोज तिवारी टीम इंडिया इंडिया के लिए ज्यादा मुकाबले नहीं खेल सके थे. उन्होंने अपना ज्यादा समय बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने में बिताया. मनोज तिवारी का करियर काफी विवादित रहा है. वह गौतम गंभीर से भी मैदान पर उलझ चुके हैं.

2008 में मनोज ने अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था

मनोज तिवारी ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे डेब्यू किया था। उन्होंने 11 दिसंबर, 2011 को चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला वनडे शतक बनाया। उन्हें उनके प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। हालांकि, वह श्रीलंका के खिलाफ जुलाई 2012 में टीम का हिस्सा नहीं रहे और उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया। 7 साल और आठ अलग-अलग सीरीज में वह 12 वनडे और तीन टी20 मैच खेले। दिसंबर 2011 में, उन्होंने चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 104 रन बनाकर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक लगाया था। हालांकि, उन्हें अगला मौका पाने के लिए 7 और महीने इंतजार करना पड़ा।अब संन्यास के एक दिन बाद मनोज ने उन्हें टीम से बाहर करने और उनका करियर खत्म होने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अफसोस है कि वह टेस्ट कैप नहीं हासिल कर सके, जबकि उन्होंने वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

मनोज ने बताई पूरी कहानी

एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू के दौरान मनोज ने कहा- जब मैंने 65 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे, तब मेरा बल्लेबाजी औसत 65 के आसपास था। तब ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारत का दौरा किया था, और मैंने चेन्नई में एक दोस्ताना मैच में 130 रन बनाए थे। फिर मैंने इंग्लैंड के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में 93 रन बनाए थे। मैं टेस्ट कैप हासिल करने के काफी करीब था, लेकिन उन्होंने मेरी जगह युवराज सिंह को चुना। इसलिए टेस्ट कैप नहीं मिल सकी। इतना ही नहीं वनडे में शतक बनाने के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिलने के बाद मुझे नजरअंदाज कर दिया गया था। मुझे लगातार 14 मैचों तक नजरअंदाज किया गया। जब आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है और कोई उसे नष्ट कर देता है, तो वह खिलाड़ी खत्म हो जाता है। किसी भी पेशे में एक खिलाड़ी के लिए आत्मविश्वास ही सब कुछ होता है।सवाल पूछने वाले के इस प्रश्न पर कि ‘उस आत्मविश्वास को किसने मारा?’ मनोज तिवारी ने बताया, ‘मुझे नाम पता है लेकिन मैं वह नाम नहीं लेना चाहता। मैं अब मैच्योर हो गया हूं। जब किसी खिलाड़ी को बाहर किया जाता है तो यह टीम प्रबंधन का फैसला होता है।

धोनी को लेकर यह बोले मनोज तिवारी

रिपोर्टर ने मनोज तिवारी से पूछा- उस टीम के कप्तान एमएस धोनी थे। मैं आपसे सीधा सवाल पूछ रहा हूं? मनोज ने जवाब देते हुए कहा ‘हां, एमएस धोनी कप्तान थे। अगर मुझे यह सवाल पूछने का मौका मिलता है तो मैं उनसे जरूर पूछूंगा कि शतक बनाने के बाद मुझे टीम से बाहर क्यों कर दिया गया, खासकर ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे में जहां कोई रन नहीं बना रहा था, न तो विराट कोहली, रोहित शर्मा और न ही सुरेश रैना। मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है।’ धोनी और मनोज तिवारी आईपीएल में भी एक टीम से खेल चुके हैं। दोनों राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स के लिए साथ खेले थे।

मनोज तिवारी ने धोनी पर लगाए गंभीर आरोप

संन्यास के बाद मनोज तिवारी ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह किसी दिन पूर्व कप्तान धोनी से यह जानना चाहते हैं कि शतक लगाने और प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने के बाद भी उन्हें लगातार 14 मैचों तक क्यों बाहर रखा गया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें 2012 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए नजरअंदाज कर दिया गया था, जबकि उस सीरीज में विराट कोहली, रोहित शर्मा और सुरेश रैना जैसे कुछ शीर्ष खिलाड़ी रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।उन्होंने कहा, ‘मौका मिलने पर मैं उनसे जरूर पूछूंगा। मैं यह सवाल निश्चित रूप से पूछूंगा मुझे शतक लगाने के बाद टीम से क्यों बाहर कर दिया गया, खासकर उस ऑस्ट्रेलिया दौरे में जहां कोई भी रन नहीं बना रहा था, न तो विराट कोहली, न ही रोहित शर्मा और न ही सुरेश रैना। अब मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है।’

टेस्ट कैप नहीं मिलने पर जताया अफसोस

इसके अलावा मनोज टेस्ट कैप नहीं मिलने पर भी अफसोस जताया। प्रैक्टिस मैचों में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पारियों और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपने आंकड़ों का हवाला देते हुए तिवारी ने कहा कि भारतीय चयनकर्ताओं ने घरेलू क्रिकेट में उनके प्रयासों के बावजूद युवराज सिंह को चुना।उन्होंने आगे कहा, ‘जब मैंने 65 फर्स्ट क्लास मैच पूरे कर लिए थे, तो मेरा बल्लेबाजी औसत लगभग 65 था। तब ऑस्ट्रेलिया टीम भारत दौरे पर आई थी, और मैंने अभ्यास मैच में 130 रन बनाए थे, फिर इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच में 93 रन बनाए थे। मैं बहुत करीब था, लेकिन उन्होंने युवराज सिंह को चुना। तो टेस्ट कैप और शतक ले के बाद प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिलने के बावजूद मुझे नजरअंदाज कर दिया गया…मुझे लगातार 14 मैचों तक नजरअंदाज किया गया। जब आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है और कोई उसे खत्म कर देता है, तो यह उस खिलाड़ी को खत्म कर देता है।’

गौतम गंभीर और मनोज तिवारी भिड़ गए थे

दरअसल, साल 2015 में दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में दिल्ली और बंगाल के बीच मुकाबला खेला जा रहा था. इस मैच के दौरान गौतम गंभीर और मनोज तिवारी भिड़ गए थे. हुआ कुछ यूं था कि मनोज तिवारी इस मैच में चौथे नंबर पर बैटिंग करने के लिए उतरे थे. वह टोपी पहन कर आए थे. लेकिन जब तेज गेंदबाज बॉलिंग करने आया तो वह हेलमेट मंगवाने लगे. दिल्ली के खिलाड़ियों को लगा कि मनोज समय बर्बाद कर रहे हैं. गुस्से में आकर गंभीर ने मनोज को गालियां दे दी थी. जिसके बाद जमकर विवाद हुआ था.

रणजी ट्रॉफी मुकाबले में मिली सुविधाओं से नाराज हो गए थे

दाएं हाथ के बल्लेबाज मनोज तिवारी एक बार बंगाल और केरल के बीच कॉलेज ग्राउंड पर जारी रणजी ट्रॉफी मुकाबले में मिली सुविधाओं से नाराज हो गए थे. उन्होंने यहां मिली ड्रेसिंगरूम के बारे में भी बहुत कुछ कहा था.उनका कहना था कि ड्रेसिंग रूम ऐसी है जहां कोई प्राइवेसी नाम की चीज नहीं है. मनोज तिवारी ने कहा, ‘ हम ग्राउंड पर खेल रहे हैं ना कि स्टेडियम में. आप यहां सुन सकते हैं दूसरे क्या कह रहे हैं. यहां कोई प्राइवेसी नाम की चीज नहीं है.’

ऐसा रहा भारतीय क्रिकेटर का करियर

तिवारी ने पिछले साल इंस्टाग्राम पर संन्यास का ऐलान कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था. हालांकि, उन्होंने वाइफ के कहने पर दोबारा वापसी की थी. उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी जिम गई थी और वापस आने के बाद उसने मुझे डांटा भी था. इसके बाद मैंने यह ठाना कि मैं एक साल के लिए संन्यास से वापसी करूंगा.बता दें कि मनोज तिवारी ने 2015 में भारत के लिए अंतिम मैच खेला था, जब वह जिम्बाब्वे दौरे पर वनडे सीरीज खेलने गए थे. तीन वनडे मैचों में मनोज तिवारी ने 34 रन बनाए थे.इससे पहले 2011-12 में मनोज तिवारी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 104 रन की पारी चेन्नई में खेली थी. मनोज तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे 26.09 की औसत से 287 रन बनाए हैं. वहीं, उन्होंने भारत के लिए 3 टी20 इंटरनेशनल मैचों की 1 पारी में 15 रन बनाए हैं.

रणजी ट्रॉफी को खत्म कर देना चाहिए

बंगाल की तरफ से लगभग दो दशक तक खेलने वाले 38 साल के मनोज तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे और तीन टी20 मैच खेले हैं. उन्होंने हाल ही में एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि रणजी ट्रॉफी को खत्म कर देना चाहिए, लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी थी क्योंकि वह बीसीसीआई के सक्रिय क्रिकेटर थे. इस टिप्पणी के लिए उन पर मैच फीस का 20 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया था.केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों का घरेलू क्रिकेट में नहीं खेलने के संदर्भ में मनोज तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैंने देखा कि युवा खिलाड़ियों की मानसिकता आईपीएल केंद्रित है, जो खिलाड़ी आईपीएल में नहीं खेलते हुए दुबई या अन्य स्थानों पर चले जाते हैं. इस तरह के चलन से प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी का महत्व कम हो रहा है.”उन्होंने आगे कहा, “अब अपने विचार व्यक्त करने पर आपको प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है. केवल एक पोस्ट के कारण मुझ पर ही मैच फीस का 20 प्रतिशत जुर्माना लगा दिया गया था.”

ईशान किशन को लेकर कही ये बात

भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने ईशान किशन के रणजी ट्रॉफी में नहीं खेलने के कारण आईपीएल नीलामी में शामिल होने के लिए खिलाड़ियों को न्यूनतम संख्या में रणजी ट्रॉफी मैच खेलना अनिवार्य कर दिया है. इसे लेकर तिवारी ने कहा, “मुझे लगता है कि अगर मैंने पोस्ट नहीं की होती तो शायद बीसीसीआई निर्देश जारी नहीं करता. मुझे लगता है कि मेरी पोस्ट ने बीसीसीआई सचिव को खिलाड़ियों पर दबाव बनाने के लिए प्रेरित किया.”

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